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अमेरिका ने भारत को लौटाए 250 पुरावशेष।

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न्यूयॉर्क : शुक्रवार 29 अक्टूबर, 2021

विश्व के लगभग हर देश में भारत से जुड़ी कई प्राचीन धरोहरें पाई गई हैं। जिनमें भारतीय कला की बेहतरीन कलाकारी की हुई होती है। ये देखने में अद्भुत तो है ही साथ ही ये बेशकीमती भी होते हैं। 

आपको यह जानकर गुड फील तो जरूर होगा कि अमेरिकी अधिकारियों ने चोरी की लगभग 250 पुरावशेष भारत को लौटा दिए हैं।

न्यूयॉर्क शहर में भारतीय वाणिज्य दूतावास में हुए एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी अधिकारियों ने अनुमानित $15 मिलियन मूल्य की पुरातन वस्तुएं सौंपी है। अधिकारियों ने बताया कि इनमें एक कांस्य की शिव नटराज की मूर्ति है जिसकी कीमत लगभग $ 4 मिलियन है।

आपको बता दें कि यह कार्यक्रम मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के कार्यालय में हुआ जहां यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट द्वारा व्यापक जांच के बाद कराया गया।

यह जांच हजारों पुरातन अवशेषों को ध्यान में रख कर किया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये सभी पुरातन अवशेष पुरानी चीजों का दलाल सुभाष कपूर द्वारा संयुक्त राज्य में तस्करी कर लाया गया था। हालांकि सुभाष कपूर इन आरोपों से इनकार कर चुका है।

वहीं इस मामले में जिला अटॉर्नी साइरस वेंस जूनियर ने एक बयान में कहा, “मामला एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि व्यक्तिगत लाभ की खोज में पवित्र मंदिरों को लूटने वाले व्यक्ति न केवल देश की विरासत बल्कि इसके वर्तमान और भविष्य के खिलाफ भी अपराध कर रहे हैं।”

वहीं उन्होंने आगे कहा कि जांच के परिणामस्वरूप 143 मिलियन डॉलर मूल्य की 2,500 कलाकृतियां बरामद हुई हैं और छह अन्य साजिशकर्ताओं को दोषी ठहराया गया है।

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि सुभाष कपूर भारतीय जेल में बंद हैं और अमेरिका के प्रत्यर्पण अनुरोध के लंबित रहने के आरोपों का सामना कर रहे हैं। उसने न्यूयॉर्क में अपने आर्ट ऑफ द पास्ट गैलरी का इस्तेमाल कर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न देशों से लूटे गए खजाने को ट्रैफिक करने के लिए किया। 

वहीं अधिकारियों ने कहा कि शिव नटराज की कांस्य मूर्ति को एक गैलरी संचालक नैन्सी वीनर की मां ने बेचा था। जिसे इस मामले में इस माह साजिश रचने और चोरी की संपत्ति रखने के आरोप में दोषी ठहराया था। साथ ही उन्होंने बताया कि नैन्सी वीनर ने ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर के प्रमुख संग्रहालयों में लूटे गए सामान भी बेचे।

आपको यह जानना चाहिए कि जून में, जिला अटॉर्नी के कार्यालय ने जांच के हिस्से के रूप में कंबोडिया को 3.8 मिलियन डॉलर मूल्य की दो दर्जन से अधिक कलाकृतियां लौटा दीं। वहीं 33 अन्य वस्तुओं को अप्रैल में वापस अफगानिस्तान भेज दिया था।

न्यूयॉर्क में दायर किए गए कोर्ट के कागजात में लिखा गया है कि कपूर ने उन कलाकृतियों, जिनमें कई हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं, को हासिल करने के लिए बहुत लंबी दूरी तय की है साथ ही, जाली दस्तावेजों के साथ उनके उद्गम स्थल को गलत बताया। उसने मंदिरों, घरों और पुरातात्विक स्थलों से लूटी गई पुरावशेषों की तलाश में दुनिया की यात्रा की। न्यूयॉर्क में कपूर की भंडारण इकाइयों से कुछ कलाकृतियां बरामद की गईं।

अमेरिकी अभियोजकों ने बताया कि सुभाष कपूर ने अवैध उत्खनन से उत्पन्न हुए नुकसान को दूर करने के लिए वस्तुओं को साफ और मरम्मत किया था। और फिर अवैध रूप से उन्हें अपने मूल देशों से संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात किया था।

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