यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत होने जा रहा है। जी हां दोस्तों अब वह दिन दूर नहीं जब चाँद पर भी होंगे मानव की बस्तियां। लेकिन यह बस्तियां आम लोगों के लिए नहीं होंगी बल्कि यह रिसर्चर्स के लिए होगा।
यह वर्चस्व की लड़ाई धरती तक ही सीमित नहीं रही बल्कि अन्तरिक्ष तक पहुंच चुकी है। जिसमें अमेरिका ने चाँद पर बस्तियां बसाने के प्रोग्राम को पूरी करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी थी वह भी केवल रूस को पीछे करने के लिए। जिस वजह से रूस ने अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए चीन से हाथ मिलाने का फैसला कर लिया है।
अब इन दो देशों की टेक्नोलॉजी मिलकर इस प्रोग्राम पर काम करेंगी। दोनों देशों ने ऐलान भी कर दिया है कि वे अब साथ मिलकर चांद पर साइंटिफिक रिसर्च स्टेशन बनाएंगे।
बता दें कि अमेरिका एक बार फिर इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है। वर्ष 2024 में यह मिशन पूरा करने पर कार्य कर रहा है।
अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में अन्तरिक्ष पर पहला झंडा कौन गाड़ता हैं?
लेकिन बड़ी बात यह है कि इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम खत्म होने जा रहा है। जिस वजह से ही रूस अमेरिका से अलग होना चाहता है। वहीं रूस ने अमेरिका के साथ हुए आर्टेमिस समझौते को भी नहीं माना है जिसका उद्देश्य चांद पर अंतरराष्ट्रीय एक्सप्लोरेशन को बनाये रखना था। जिसे लेकर रूस ने साफ तौर पर कहा है कि यह अमेरिका का अपना निजी स्वार्थ था और यह अमेरिका-केंद्रित समझौता था।
चीन का तियानवेन-1 प्रोब मंगल ग्रह की कक्षा का चक्कर लगा रहा है जो मई या जून में मंगल की सतह पर पहुंचेगा। अब तक उसने लाल ग्रह की बेहद ही स्पष्ट तस्वीरें भेजी हैं।
वहीं, अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA द्वारा भेज गया Perseverance रोवर मंगल ग्रह के Jezero Crater पर लैंड हो चुका है। उतरते ही उसने इस लाल ग्रह पर जीवन होने के सबूतों की खोज चालू कर दी है।
भारत भी अंतरिक्ष अनुसंधान को लेकर सजग है और आने वाले दिनों में भारत इन देशों को कड़ी टक्कर देगा। भारतीय टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी और अच्छी बात यह है कि यह आधुनिक उपकरणों की सहायता से बहुत ही कम खर्चे में अपने मिशन को पूरा करने में सक्षम है।
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