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बालू बना अपराध: सरकार लगाए बैन, फिर भी खुलेआम हो रहा व्यापार — झारखंड में कौन है जिम्मेदार?

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🔴 गांव की आवाज़: बेरहाबाद में बालू खनन रोकने को लेकर ग्रामीणों की बड़ी बैठक, संघर्ष समिति के गठन का फैसला
✍️ रिपोर्ट: जमुआ प्रखंड, गिरिडीह से संतोष कुमार तरवे 

🏞️ प्राकृतिक संपदा की रक्षा को लेकर ग्रामीणों की हुंकार

गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड अंतर्गत बेरहाबाद पंचायत में बालू के अवैध खनन पर रोक लगाने को लेकर ग्रामीणों की एक अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि पंचायत स्तर पर बालू बचाव संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा और जमुआ प्रशासन को पत्राचार कर बालू उठाव पर पूर्ण रूप से रोक लगाने की मांग की जाएगी।

🧑‍⚖️ मुखिया प्रतिनिधि गौतम सागर राणा की अध्यक्षता में बैठक

बैठक की अध्यक्षता कर रहे मुखिया प्रतिनिधि गौतम सागर राणा ने कहा—

“बालू हमारी प्राकृतिक संपदा है, इसे बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। अवैध खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।”

📜 बैठक में लिए गए मुख्य निर्णय:

  1. पंचायत स्तरीय बालू बचाव संघर्ष समिति का गठन अगली बैठक में किया जाएगा।
  2. बालू उठाव पर पूर्ण रोक लगाई जाएगी, विशेषकर बाहरी प्रखंडों और राज्यों को भेजे जाने पर।
  3. जमुआ प्रशासन को लिखित पत्राचार कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।
  4. प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

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🚧 ग्रामीणों की पीड़ा और विरोध

ग्रामीणों ने बताया कि नदी से बड़े पैमाने पर बालू उठाकर बिहार जैसे राज्यों में ऊँचे दामों पर बेचा जा रहा है, जबकि स्थानीय लोगों को घर बनाने के लिए भी अच्छा बालू नहीं मिल पा रहा है।

ग्रामीण मनोज यादव ने कहा—

“अगर अब भी अवैध खनन पर रोक नहीं लगी, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। हमें महंगे दामों पर बालू खरीदना पड़ेगा।”

राधे यादव ने कहा—

“नदियों का अस्तित्व बालू खनन से खतरे में है। यदि हम नहीं जागे, तो हमारी ही जमीन बंजर हो जाएगी।”

👥 बैठक में मौजूद प्रमुख लोग:

बैठक में उप मुखिया इकबाल अंसारी, वार्ड सदस्य राजू सिंह, मंटू यादव, बसीर अंसारी, प्रदीप ठाकुर, महेंद्र दास, सोना यादव, इसरेल अंसारी, बासुदेव यादव, राजेश यादव, विजय यादव, अमृत दास, हजरत अंसारी, बजरंगी यादव, एजाज खान, बिनोद मोदी, शंकर मोदी सहित दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे।

🔍 विशेष टिप्पणी:

👉 इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब ग्रामीण प्राकृतिक संसाधनों के शोषण के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाने को तैयार हैं
👉 संघर्ष समिति का गठन और प्रशासन को लिखित मांग, भविष्य में बड़े आंदोलन का संकेत दे रहा है।
👉 यदि समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो यह मुद्दा जल्द ही जिला स्तर पर गरमा सकता है।

📌 सरकारी बैन के बावजूद जारी है बालू का अवैध खेल – एक नजर 

झारखंड सरकार द्वारा बालू उठाव और खनन पर समय-समय पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। पर्यावरण संरक्षण, नदी तंत्र की रक्षा, और राजस्व घाटे को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया। लेकिन हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर इन प्रतिबंधों का कोई असर नहीं दिख रहा है। जगह-जगह से रिपोर्ट आ रही है कि बालू का अवैध खनन और व्यापार बिल्कुल खुलेआम जारी है।

💰 बड़े मुनाफे का खेल, प्रशासन की चुप्पी

बालू माफिया दिन-रात नदी से बालू निकाल रहे हैं और इसे ट्रकों के जरिए दूसरे राज्यों—खासकर बिहार और बंगाल—तक भेजा जा रहा है। यह सब कुछ प्रशासन की निगरानी के बावजूद हो रहा है, जिससे सवाल उठता है:

क्या प्रशासन की चुप्पी मिलीभगत है या लाचारी?

🧱 आम जनता को नुकसान, माफिया को मुनाफा

जब अवैध बालू उठाव होता है, तो स्थानीय लोगों को ए-ग्रेड बालू नहीं मिल पाता
👉 कई सरकारी आवास योजनाएं बालू के अभाव में अधूरी पड़ी हैं।
👉 वहीं माफिया ऊंचे दामों पर दूसरे राज्यों में बालू बेच रहे हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है।

🏞️ नदी तंत्र पर संकट

  • नदियों का जलस्तर गिर रहा है
  • तटवर्ती इलाकों में कटाव बढ़ रहा है
  • पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो रहा है

प्राकृतिक संसाधनों की यह लूट भविष्य के लिए खतरे की घंटी है।

🗣️ ग्रामीणों की आवाज: “सरकार सुन क्यों नहीं रही?”

झारखंड के कई प्रखंडों जैसे जमुआ, गांवा, बगोदर, और सरिया में ग्रामीणों ने बालू खनन पर रोक लगाने को लेकर कई बार बैठकें, आंदोलन, और प्रशासन को ज्ञापन दिए हैं।

फिर भी अवैध खनन जारी है।
👉 सवाल है कि कानून सिर्फ आम जनता के लिए है या माफियाओं के लिए भी?
👉 पुलिस और खनन विभाग की नाक के नीचे इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन कैसे हो रहा है?

🏛️ झारखंड सरकार क्या कर रही है?

सरकार के पास नीतियाँ हैं, आदेश हैं, लेकिन जमीनी क्रियान्वयन की भारी कमी है।
अगर यही हाल रहा तो आने वाले वर्षों में नदी, पर्यावरण, और विकास—तीनों खतरे में होंगे।

समाप्ति बिंदु:

बालू का अवैध व्यापार अब केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि पर्यावरण, विकास और आम जनता के हक पर हमला है।
अगर झारखंड सरकार और प्रशासन ने मिलकर ठोस कार्रवाई नहीं की, तो यह संकट और गहराएगा।

📢 सरकार से अपील:

  1. अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई हो
  2. दोषियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई
  3. स्थानीय पंचायतों को निगरानी में शामिल किया जाए
  4. पारदर्शी बालू नीति लागू हो

📢 निष्कर्ष:

बेरहाबाद पंचायत के ग्रामीणों ने बालू खनन को लेकर जो रुख अपनाया है, वह आने वाले समय में अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की यह एकजुटता निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

वीडियो देखें : 

 

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