आजकल यह एक ट्रेंड देखने को मिल रहा है – ‘आयुर्वेद VS एलोपैथ।’
हमारे देश में दोनों अपनी-अपनी जगह सही हैं। एलोपैथ में जड़ से किसी बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता जबकि उस बीमारी को दवा के जरिये दबा दिया जाता है। परिणामस्वरूप दवा के इफेक्ट से कई अन्य बीमारी हो सकती है। लेकिन तत्काल राहत तो एलोपैथ ही दे सकता है। इसका अभी तक कोई दूसरा ऑप्सन ही नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर योग और आयुर्वेद में इलाज तो कन्फर्म है लेकिन इलाज बहुत स्लो है। और आज के युग में हमें हर चीज़ फास्ट चाहिए। इलाज में भी जो कि आयुर्वेद में अभी सम्भव नहीं है। या फिर आयुर्वेदाचार्य के ज्ञान में कमी है।
वैसे मेडिकल साइंस लगातार रिसर्च में लगा हुआ। बेहतर इलाज और जीवन देने के लिए। एक मरीज के लिए दोनों का अपना अलग महत्व है। बस दोनों में समय और परिणाम का अंतर है। आइये एक टीवी डिबेट के कुछ अंश की बात करते हैं।
ये डिबेट आज तक न्यूज़ चैनल में कुछ दिनों पहले आयुर्वेद और एलोपैथ को लेकर हुआ था। यह तीखी बहस योग गुरु बाबा रामदेव और IMA (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के पूर्व अध्यक्ष डॉ राजन शर्मा एवं आईएमए के महासचिव डॉ जयेश एम लेले के बीच हुई थी।
जिसमें आज तक की एंकर अंजना ओम कश्यप ने इन तीनों से आयुर्वेद और एलोपैथ को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे।
सबसे पहले बता दें कि बाबा रामदेव ने कुछ दिनों पहले आई एम ए को एक लेटर देकर एलोपैथ की चिकित्सा पद्धति और दवाई से संबंधित 25 सवाल पूछे थे जिसको लेकर बहस बढ़ने लगी और जिसका असर सोशल मीडिया पर भी देखा जाने लगा। आइये इस तीखी बहस के बीच हुए कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं, जिसका टैग था “योग गुरु VS एलोपैथी डॉक्टर।”
एंकर अंजना ओम कश्यप ने पहला सवाल बाबा रामदेव से पूछा कि जब यहां हम चर्चा कर रहे हैं तब भी देश के डॉक्टर पीपीई किट पहन कर और अपनी जान जोखिम में डालते हुए मरीजों का इलाज कर रहे हैं। कई डॉक्टर की मौत हो गई है तो ऐसे में उनका अपमान क्यों?
बाबा रामदेव ने जवाब दिया- “डॉक्टरों के योगदान को मैंने कभी नकारा नहीं है और जहां तक इस संदर्भ में टिप्पणी की बात है तो हम उस टिप्पणी से इतने आवेशित क्यों हो जाते हैं? जब यही टिप्पणी अमेरिका के डॉक्टर करते हैं कि डेथ बाय प्रिसक्रिप्शन (एक किताब दिखाते हैं) तो उनके खिलाफ हम कुछ बोल नहीं पाते। जिस संदर्भ में मैंने बात कही उसी संदर्भ में भारत के अखबारों में निकला है एंटी बैक्टीरिया के दवाओं से हर साल 700000 लोगों की मौत होती है जब डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अभी तक कोरोना कि कोई मेडिसिन नहीं है और जो भी हम मेडिसिन दे रहे हैं वह सभी सिंमटोमेटिक दवाएं हैं और 2021 तक पहुंचते-पहुंचते मामला बहुत आगे बढ़ चुका है। एडवर्स ड्रग रिएक्शन के कारण 462 बड़े ड्रग को पूरे वर्ल्ड में बंद कर दिया गया है। मैं एलोपैथ की आलोचना फिर भी नहीं करता हूं। एक पूरी फार्मेसी इंडस्ट्री है, जिसका अपना कारोबार है। इसलिए डॉक्टर उसके शिकार क्यों हो डॉक्टर शिकारी नहीं है कई बार वे शिकार भी हो जाते हैं। मेडिकल साइंस पर पढ़ाया जाता है उसके अनुसार ही दवा देते हैं मैं फिर भी कहता हूं मैं उन डॉक्टरों का सम्मान करता हूं। मैं मॉडर्न मेडिकल साइंस का भी सम्मान करता हूं। हमने यहां करीब 500 करोड़ रुपए रिसर्च में खर्च किया, हमारे साथ लगभग 1000 से ज्यादा डॉक्टर और 500 से ज्यादा साइंटिस्ट जुड़े हैं। मैं सबका सम्मान करते हुए कहता हूं आयुर्वेद को कोई गाली देता है उसकी आलोचना करता है उसको सैडो साइंस कहता है वह भी गलत है। डॉक्टरों का अपमान करना मेरा मकसद नहीं है। हमारे आईएमए के भाई जो हमेशा कहते हैं स्वामी रामदेव जो अपनी अवैध दवा को चलाने के लिए ऐसे बयान देते हैं जैसे कोरोनिल को लेकर बात होती है। लेकिन भारत सरकार से इस दवा का लाइसेंस मिला है और पहला डबल क्लिनिकल ट्रायल्स पर पास किया गया है। मैं पूरे सम्मान के साथ इनसे प्रश्न पूछता हूँ की पूरे वर्ल्ड में कोरोना कि दवाई नहीं है सिर्फ सिमटोमेटिक दवा देकर इलाज हो रहा है। हमारे पास टाइप वन डायबिटीज और टाइप टू के इलाज की परमानेंट दवा है क्या आपके पास है? हमारे पास हाइपरटेंशन का परमानेंट इलाज है क्या आपके पास है? अस्थमा, अर्थराइटिस, का इलाज हमारे पास है क्या इसका परमानेंट सॉल्यूशन आपके पास है?”
डॉ राजन शर्मा ने इसका जवाब देते हुए कहा- “यह प्रोग्राम कोरोनिल स्पेंसर है इस पर सबसे पहले मुझे आपत्ति है इस पर एंकर अंजना ओम कश्यप ने साफ किया की यह कोरोनिल द्वारा स्पॉन्सरशिप नहीं है।
डॉ शर्मा ने आगे कहा उन्होंने हजार डॉक्टर का उपहास किया है। जो खुद को नहीं बचा सके वह लोगों को क्या बचाएंगे? क्या, इन्होंने कभी सोचा इनके परिवार वालों पर क्या बीत रही होगी?”
इस पर एंकर ने बाबा से सवाल किया कि “क्या आपने इंजेक्शन ले लिया जो हमारे साइंटिस्ट ने बनाया? दूसरा आपके सहयोगी बालकृष्ण का इलाज भी एम्स में हुआ तो आपको भी इलाज के लिए एलोपैथिक की शरण की ओर जाना हुआ क्यों?”
बाबा रामदेव ने अपना जवाब इस प्रकार दिया “मैं मान रहा हूं इमरजेंसी के लिए मेडिकल साइंस, लाइफ सेविंग ड्रग्स सही है, लाइफ सेविंग सीरियस सर्जरी जरूरी है वह उन्हीं के पास छोड़ दीजिए इसके अलावा सभी का इलाज मुझ पर छोड़ दीजिए। वैज्ञानिक युग के रिसर्च के बाद बेहतर दवाइयों के द्वारा मैं पक्का इलाज कर सकता हूं। उनसे या तो पूछ ले क्या सिर दर्द भी का परमानेंट इलाज है उनके पास है? क्या इनके पास थायराइड, अर्थराइटिस, अस्थमा आदि का स्थाई समाधान है? फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस को ठीक करने का दवा है? जो एक बार आदमी खा ले तो ठीक हो जाये। उसे कब्ज या एसिडिटी ना हो।”
इसका जवाब देने के लिए डॉक्टर लेले को आमंत्रित करते हो अंजना जी ने पूछा- “क्या एलोपैथी के डॉक्टर आयुर्वेद ट्रीटमेंट को हीन नजर से देखते हैं?” डॉक्टर लेले झल्लाते हुए जवाब देना आरंभ करते हैं- “इनकी वीडियो को देखें, थप्पड़ मारने का है, इन्होंने अपने दोनों बयानों को अलग-अलग कहा है। क्या हमें बेवकूफ बना रहे हैं।”
इसी बीच बाबा रामदेव और डॉक्टर लेले के बीच नोकझोंक हुई। डॉ लेले ने एलोपैथिक इलाज के वीडियो को गलत तरीके से पेश करने को लेकर बाबा रामदेव पर आरोप लगाया। और कहा कि “जितने बाहर ऑक्सीजन से नहीं मेरे उतने हॉस्पिटल में ऑक्सीजन और ट्रीटमेंट के द्वारा मरे हैं। आपके इस स्टेटमेंट से पूरा वर्ल्ड हंस रहा हैं। अपने कितना पढ़ाई किया है? एलोपैथ के बारे में क्या जानते हैं?”
इस पर बाबा रामदेव ने भी तंज कसते हुए कहा- “आपने कितना आयुर्वेद की पढ़ाई की है? कोरोना के कारण ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस अन्य बीमारी हो रही है।”
इन्हें शांत करते हुए एंकर अंजना ने डॉ लेले से सवाल किया- “हर डॉक्टर कोरोना को लेकर अलग-अलग दवा लिख रहा है ऐसा क्यों?
डॉ ले ले ने कहा – “जब कोरोना आया तब रिसर्च हुआ और दवा को लेकर भी रिसर्च हुआ जैसे-जैसे जानकारी मिल रही है उसी आधार पर दवा दिया जा रहा है। प्लाज्मा थेरेपी से भी फायदा हुआ है।”
वहीं अंजना ने बीच में ही कहा- “लेकिन प्लाजमा थेरेपी तो हटा दी गई है।”
इसपर डॉक्टर लेले ने बोला “बिल्कुल, लेकिन इस पर रिसर्च चल रहा है और जैसा आईसीएमआर बोलती है वर्ल्ड में, हम वैसा ही फॉलो करते हैं। हम मनमाना किसी को नहीं बोलते कि यह ले लो वह ले लो हमारा काम नहीं है। हम सिस्टेमैटिक दवा देते हैं। इंडिया में अभी कोरोना से सिर्फ दो परसेंट डेथ रेट है क्योंकि हमारे एलोपैथी डॉक्टर सबसे अच्छे वर्ल्ड फेमस डॉक्टर हैं। इसलिए उन पर कीचड़ उछालना बहुत गलत है।”
इस बात पर एंकर ने बाबा रामदेव से कहा की “हमारे डॉक्टर पूरी मनोबल के साथ लड़ रहे हैं, लेकिन आपके बात से आहत है, यह संवेदनशील विषय है।”
अब बाबा रामदेव ने इसके जवाब में कहा “मैंने एक बयान पढ़ा, जिसे मैंने वापस ले लिया। अब यह क्या बाबा रामदेव की जान लेंगे? दूसरी बात एलोपैथ की जो श्रेष्ठ बात है उसकी प्रशंसा भी कर दी है। लेकिन, इनके मुख से एक बार भी नहीं निकला कि करोड़ों लोगों की जान जो बची है, उसमें योग का भी योगदान है, गिलोय और तुलसी का भी योगदान है। डॉक्टर किसी फार्मा कंपनी का रिप्रेजेंटेटिव नहीं होता है। डॉक्टर केवल दवाई का प्रिस्क्रिप्शन देता है। तो कोरोनिल मेडिसिन पर इनको क्या आपत्ति है?”
इसपर एंकर अंजना ओम कश्यप ने डॉक्टर शर्मा से पूछा “आयुर्वेद की प्रशंसा क्यों नहीं की जाती? कोरोनिल जब प्रमाणित है तो उसके खिलाफ क्यों बोला जाता है? दूसरी बात स्टेरॉयड के इस्तेमाल से कई लोगों को शुगर लेवल में दिक्कत आ गई है और ब्लैक फंगस अन्य कई बीमारियां सामने आ गई है तो क्या इन सब पर बोलने पर इतना गुस्सा करना चाहिए?”
इसके जवाब में डॉ शर्मा कहते हैं- “बाबा रामदेव जी आप यमुनानगर से हैं मैं भी वहीं से हूं मैं आपके योग की कद्र करता हूं मैंने भी आपके योग शिविर को फॉलो किया है। योग के लिए आपने लोगों को जागृत किया है इसके लिए धन्यवाद। दूसरी बात एस्टेरॉइड, फीवरमैकटिन, रेमेडेसिविर इन दवाओं के इस्तेमाल के लिए प्रिस्क्रिप्शन सरकार की गाइडलाइन के तहत दिया जाता है। हम स्वयं से नहीं लिखते। आप ने कहा योग से सब कुछ ठीक हो सकता है, बड़े दुख की बात है साध्वी प्रज्ञा इतने दिनों से कह रही थी कि वह गोमूत्र पीती है मुझे कोरोना नहीं होगा और वह कल शाम को कोकिलाबेन हॉस्पिटल में एयरलिफ्ट होकर एडमिट हुई। स्वामी विद्यानंद गुजरात से योग के प्रसिद्ध गुरु थे। योग-प्राणायाम के मास्टर थे, वे कुछ दिनों पहले कोरोना की वजह से हमें छोड़ कर चले गए। वे भी किसी हॉस्पिटल में थे। बाबा मेरा अनुरोध है कि आपसे या आयुर्वेद से कोई झगड़ा नहीं है। सिर्फ आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है आपको जो ट्रीटमेंट करना है, काढ़ा पिलाना है पिलाइये। देश लड़ रहा है, इसमें आम आदमी आप को फॉलो करके घर से सीरियस कंडीशन में हॉस्पिटल पहुंच रहा है। आई एम सी आर के डॉक्टर गुलरिया के द्वारा बताया गया इंस्ट्रक्शन के द्वारा स्टेरॉयड लेकर लोग हॉस्पिटल जा रहे हैं यह हमारी नहीं गवर्नमेंट की गाइडलाइन है।”
इन बातों को सुनकर बाबा रामदेव ने आपत्ति जताते हुए कहा- “कोई काढ़ा पीकर, योग करके सीरियस हो जाता है और वछ हॉस्पिटल जाता है। कितनी घोर अपमानजनक बात है यह।”
इसपर एंकर अंजना ओम कश्यप ने डॉक्टर शर्मा से पूछा की क्या ओवर प्रिसक्रिप्शन से दिक्कतें आ रही हैं।”
इसपर डॉ शर्मा ने जवाब में कहा कि “मरीज जब सीरियस हो जाता है तब हॉस्पिटल पहुंचता है। इसके लिए आप सारी मेडिकल पद्धति की गलती नहीं कह सकते।”
तभी एंकर अंजना जी ने बाबा रामदेव से पूछा – “आयुर्वेद के भरोसे बैठकर कहीं सीरियस हो जाए मरीज।”
इतना सुनकर बाबा रामदेव ने कहा- ” मैं आपको स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने के लिए तैयार हूँ। माइल्ड और एक भी सिंगल पेशेंट यदि मॉडरेट हो जाए। स्वासाहारी, कोरोनिल खाकर, प्राणायाम करके या तो तुलसी-गिलोय का काढ़ा पी कर के तो मैं जो कहो वह दंड देने के लिए तैयार हूं। आप यह आरोप लगा रहे हैं। लोग योग करके भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, कपालभाति, प्राणायाम करके मेरे पास लाखों लोगों का डेटाबेस है जिसका इलाज हमने आयुर्वेदिक दवाइयों से किया है और वह भी ठीक हुए हैं। आप इस तरह से आयुर्वेद का अनादर नहीं कर सकते हैं। माइल्ड से मॉडरेट होकर आप सीरियस हो जाएंगे और मर जाएंगे यह गलत है।”
इस पर डॉ राजन शर्मा ने कहा- “मैं आपका सम्मान करता हूं कि आपने योग का प्रचार किया मुझे दुख है आपके इस वीडियो से कि डॉक्टर टर टर जब हजार डॉक्टर खुद को नहीं बचा पाए तो लोगों को क्या बचाएंगे? यह अशोभनीय बात है। देश में आप कोरोना से संबंधित सभी समस्याओं को हैंडल कर लो। बाबा जी कितने डॉक्टर हिंसा के कारण मरते हैं क्या आपको ज्ञान है?
इस बात पर बाबा ने कहा- “वेंटिलेटर वाले पेशेंट आप देख लो बाकी मुझ पर छोड़ दो। हम मिलकर इसका इलाज करते हैं। मैंने 25 सवाल पूछे आपने उसका एक भी जवाब नहीं दिया। हम लोग मिलकर इलाज क्यों नहीं कर सकते आयुर्वेद का उपहास क्यों किया जाता है?
यह तो रही डिबेट की कुछ नोकझोंक वाली बातें।
लेकिन एक आश्चर्यजनक बात यह है कि जब बाबा रामदेव ने डेंगू से बचाव के लिए पपीते के पत्ते को पीसकर उसका रस पीने के लिए कहा था जिससे प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ जाता है और मरीज की स्थिति में भी सुधार होने लगता है तब एलोपैथी के कुछ डॉक्टरों ने कहा था कि झाड़ फूस से सब बेकार है उससे कुछ नहीं होगा। लेकिन एलोपैथ में डेंगू के लिए कोई दवा नहीं है। एलोपैथिक डॉक्टर के द्वारा एक दवा दी जाती है वह भी आयुर्वेदिक जिसका नाम है- कैरिपिल। और यह बनती है पपीते के पत्तों से, है न आश्चर्य!
लेकिन आप किस चिकित्सा पद्धति को फॉलो करते हैं, अपने कमेंट हमें लिखकर जरूर बताएं।