नई दिल्ली | भारत
भारत सरकार खाद्य तेलों की घरेलू खुदरा कीमतों की गहनता से निगरानी कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में कमी का पूरा लाभ अंतिम उपभोक्ताओं को प्राप्त हो सके। प्रमुख खाद्य तेल संघों और उद्योग के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिसमें उन्हें अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के अनुरूप खुदरा कीमतों में कमी करने की सलाह दी जाती है।
इसके अतिरिक्त, घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने और उसमें कमी लाने के लिए, भारत सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
• कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया। तेलों पर कृषि-उपकर 20 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया। 30 दिसंबर, 2022 को इस शुल्क संरचना को 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
• 21 दिसंबर 2021 को रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर मूल शुल्क 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया और रिफाइंड पाम तेल पर मूल शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया। इस शुल्क को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
• सरकार ने रिफाइंड पाम ऑयल के निःशुल्क आयात को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है।
20 जुलाई 2023 तक, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल, कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेलों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में पिछले साल से भारी गिरावट आई है। सरकार द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों के कारण, रिफाइंड सूरजमुखी तेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल और आरबीडी पामोलीन की खुदरा कीमतों में एक वर्ष में क्रमशः 29.04 प्रतिशत, 18.98 प्रतिशत और 25.43 प्रतिशत की कमी आई है।
सरकार द्वारा की गई नवीनतम पहल में, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क 15 जून 2023 से 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
यह जानकारी उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री सुश्री साध्वी निरंजन ज्योति ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।