केंद्र ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत 2021-22 में आंध्र प्रदेश को 3,183 करोड़ रुपए का दिया सहयोग।
ग्रामीण परिवारों को नल का जल उपलब्ध कराने की गति को तेज करने और मार्च, 2024 तक राज्य को ‘हर घर जल’ बनाने के लिए आवंटन में चार गुना वृद्धि।
जल ही जीवन है। |
उस समय इस राज्य में 30.74 लाख (32.14 प्रतिशत) परिवारों को नल से पानी की आपूर्ति की गई थी। राज्य में 21 महीनों में 16.14 लाख (16.88 प्रतिशत) परिवारों में नल जल कनेक्शन दिए गए हैं, जो 22 प्रतिशत की राष्ट्रीय वृद्धि से कम है। आंध्र प्रदेश को ‘हर घर जल’ बनने के लिए शेष 48.77 लाख परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन देने हैं।राज्य को समयसीमा को पूरा करने के लिए मिशन को लागू करने की गति में तेजी लानी होगी । राज्य ने 2021-22 में 32.47 लाख परिवारों में नल जल कनेक्शन, 2022-23 में 12.28 लाख नल जल कनेक्शन और 2023-24 में 6 लाख नल जल कनेक्शन देने की योजना तैयार है ताकि प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए नल जल आपूर्ति प्राप्त की जा सके।
2021-22 में आंध्र प्रदेश को ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं को जल और स्वच्छता कार्यों के लिए 15वें वित्त आयोग से जुड़े अनुदान के रूप में 1,164 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अगले पांच साल यानी 2025-26 तक 6,138 करोड़ रुपये का आवंटन सुनिश्चित है। आंध्र प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में यह व्यापक निवेश रोजगार के नए अवसरों को पैदा करेगा, आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
देश में स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए सुरक्षित नल जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 100 दिनों के अभियान की घोषणा की थी। इस अभियान का प्रारंभ केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 अक्टूबर 2020 को किया था। परिणामस्वरूप आंध्र प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा, हिमाचलप्रदेश,पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनवाड़ी केंद्रों तथा ग्रामपंचायत भवनों में नल जल उपलब्ध कराया।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य को जल की कमी वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) गांवों को भी प्राथमिकता देने की जरूरत है।
जल गुणवत्ता जांच और निगरानी गतिविधियों को भी शीर्ष प्राथमिकता देनी है जिसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशाकर्मियों, स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों, पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों, स्कूल शिक्षकों आदि को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वह फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के उपयोग से प्रदूषण के लिए पानी के सैंपलों का परीक्षण कर सकें। राज्य को अपनी जल परीक्षण प्रयोगशालाओं को उन्नत बनाने तथा उनकी एनएबीएल मान्यता हासिल करने की भी जरूरत है। कुल 107 प्रयोगशालाओं में से आंध्र प्रदेश में केवल 5 प्रयोगशालाएं ही एनएबीएल मान्यता प्राप्त हैं।
‘जल जीवन मिशन’ एक उर्ध्वगामी दृष्टिकोण है जिसमें समुदाय नियोजन से लेकर क्कियान्वयन, प्रबंधन, संचालन तथा रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार को ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)/ पानी समिति को मजबूत बनाना, अगले पांच वर्षों के लिए ग्राम कार्य योजना विकसित करना, ग्रामीण समुदायों को समर्थन देने के लिए राज्य की क्रियान्वयन एजेंसियों (आईएसए) को शामिल करना, लोगों के बीच जागरूकता लाने जैसी सहायता गतिविधियां शुरू करनी होंगी । राज्य ने 2021-22 में 18 गैर सरकारी संगठनों को राज्य क्रियान्वयन एजेंसियों (आईएसए) के रूप में शामिल करने की योजना बनाई है। यह ध्यान में रखते हुए कि आन्ध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में गांव हैं, राज्य को लगभग एक लाख ग्रामीण व्यक्तियों की क्षमता निर्माण के लिए और अधिक गैर-सरकारी संगठनों को शामिल करना होगा। इस तरह की हैंड होल्डिंग और क्षमता निर्माण हर घर में सुनिश्चित पानी की आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक स्थिरता और संचालन और जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के रखरखाव को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वर्ष 2021-22 में जल जीवन मिशन के लिए कुल बजट 50,011 करोड़ रुपये है। राज्य के अपने संसाधनों औरजल एवं स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग से जुड़े आरएलबी/पीआरआई को 26,940 करोड़ अनुदान के साथ इस वर्ष ग्रामीण पेयजल आपूर्ति क्षेत्र में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जा रहा है। इससे गांवों में रोजगार के नए अवसरों का सृजन हो रहा है और ग्राणीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है।
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