जैसा कि आप जानते हैं की भारत सरकार के कृषि कानून का विरोध किसान संगठन और किसान बने राजनीतिक दलों ने मिलकर करना आरंभ किया है।
इस बिल के विरोध में किसान और अन्य पार्टियों ने दिनांक 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम करने का फैसला लिया था। इस आंदोलन का देश भर में छिटफुट असर देखने को जरूर मिला लेकिन यह विफल साबित रहा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जहां बीजेपी का शासन नहीं है वहां चक्का जाम का कुछ असर देखने को मिला। इस बाबत इंटरनेट की सेवाएं बाधित रही।
झारखंड में झामुमों, कॉंग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वामदल के सम्मिलित सहयोग से राज्य मार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग को जगह-जगह जाम किया गया था।
राज्य में लगभग 300 स्थलों पर धरना प्रदर्शन कर जाम करने की घटना को अंजाम दिया गया।
26 जनवरी के दिन हुई घटना के मद्देनजर दिल्ली पुलिस पहले से ही तैयारी में थी। और दिल्ली बोर्डरों पर बैरीकेट से मोटी दीवार बना दी गई थी। जिससे प्रदर्शनकारी दुबारा किसी अप्रिय घटना को अंजाम न कर सकें। सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानून विरोधी दलों ने मिलकर प्रदर्शन किया किन्तु बोर्डरों पर कड़े इंतजाम होने की वजह से राजधानी में घुस नहीं सके।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में आईटीओ के समीप शहीदी पार्क पर चक्का जाम के उद्देश्य से गये प्रदर्शनकारियों में से 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार समझ जाएं, तीनों बिल वापस हो और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाया जाए, तभी घर वापसी होगी। अन्यथा 2 अक्टूबर तक विरोध जारी रहेगी।