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माउंटबेटन की डायरी और एडविना के पत्रों में छुपे हैं भारत के पहले प्रधानमंत्री के कई राज जिन्हें ब्रिटिश गवर्मेंट सार्वजनिक नहीं करना चाहती।
भारतीय राजनीतिक इतिहास के पन्नों में ऐसे कई राज दफ्न है जिनका परत दर परत खुलने से शायद लोगों के वर्तमान विचार ही बदल जाये।
आज हम बात करने जा रहें है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़े कुछ खास पहलू के बारे में।
स्वतंत्र भारत में सबसे राजशाही जीवन व्यतीत करने वाले राजनयिकों का जिक्र जब भी होगा उनमें पंडित जवाहरलाल नेहरु का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। इनके कई किस्से भी मशहूर हैं। जिनका जिक्र करना एक बार तो बनता है।
विमान को सिगरेट लाने के लिए भोपाल से इंदौर भेजा
मध्यप्रदेश राजभवन की वेबसाइट पर इस घटना का जिक्र किया गया है। वेबसाइट के अनुसार एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू भोपाल के दौरे पर थे। और भोपाल राजभवन में रुके। जवाहरलाल नेहरू को खाना खाने के बाद सिगरेट पीना पसंद था, वह भी स्टेट एक्सप्रेस 555 लेकिन राजभवन में उस समय उनका पसंदीदा सिगरेट मौजूद नहीं था। यह बात जब राजभवन के अधिकारियों को पता चली तो तुरंत एक विमान को सिगरेट लाने के लिए भोपाल से इंदौर भेजा गया। यह स्टेट एक्सप्रेस 555 सिगरेट उस ज़माने का मशहूर सिगरेट ब्रैंड हुआ करता था। जो हर जगह आसानी से नहीं मिलता था।
कपड़े लंदन से धुलकर आते थे
यह बात भी बहुत चर्चा में रही है कि जवाहरलाल नेहरू के कपड़े लंदन धुलने के लिए जाया करते थे। धुलने के बाद उनके कपडों में इत्र की महक आती थी और उनके लबादे (लंबी कोट) में गुलाब लग कर भारत आता था।
लंदन में पढ़े
जब भारत के लोग अंग्रेजों के गुलाम हुआ करते थे। इनकी जिंदगी राजशाही जीवन में व्यतीत हुआ करती थी। ब्रिटिश शासन के दौर में इनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू देश के नामीगिरामी लोगों में शामिल थे जो कि इलाहाबाद में जाने मानें वकील हुआ करते थे। वहीं नेहरू जी के दादा पंडित गंगाधर नेहरु दिल्ली में कोतवाल थे। पंडित नेहरु अपने पिता के अकेले संतान थे। जिस कारण विलासिता भरी जिंदगी का भरपूर आनंद मिला। स्कूली शिक्षा हैरो से पूरी करने के बाद उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से अपनी डिग्री पूरी की। इसके बाद लॉ की पढ़ाई कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की।
वायसराय माउंटबेटन की पत्नी से प्रेम
पामेला हिक्स (माउंटबेटन की बेटी) ने अपनी किताब ‘डॉटर ऑफ़ एम्पायर’ में लिखा है कि- ‘उनकी मां एडविना और भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच में प्रेम संबध था। मेरी मां और नेहरू जी एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। पुराना मुहावरा सोलमेट उन दोनों पर लागू होता था। मेरे पिता बहुर्मुखी थे, जबकि मेरी मां अपने-आप में ही रहना पसंद करती थीं। मेरे माता पिता बहुत लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ थे लेकिन इसके बावजूद मेरी मां अकेलेपन की शिकार थीं। इसी बीच माँ की भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हुई जो संवेदनशील, आकर्षक, सुसंस्कृत और बेहद मनमोहक था। शायद यही वजह थी कि वह उनके प्यार में डूब गईं।’
और इनके बीच पत्रों का सिलसिला जारी हुआ।
इस प्रेमलीला की जानकारी वायसरॉय माउंटबेटन को भी थी। इसलिए शायद वे अंदर ही अंदर उनसे नाराज रहने लगे, इन बातों को उन्होंने अपनी डायरी में नोट करना आरंभ किया और खुद की बेबसी को दूर करने के लिए पराई औरतों का सहारा लिया।
इस बात की खबर आगे चलकर पंडित नेहरू की बेटी इंदिरा जी को भी हुई।
माउंटबेटन की डायरी और एडविना के पत्रों में छुपे हैं भारत के पहले प्रधानमंत्री के कई अन्य राज जिन्हें ब्रिटिश गवर्मेंट सार्वजनिक नहीं करना चाहती।
साउथहैंपटन यूनिवर्सिटी में सुरक्षित हैं पत्र और डायरी
बता दें कि इन पत्रों और डायरी को सार्वजनिक करने के लिए लेखक एंड्रयू लोवनी ने लगभग ढाई करोड़ रुपये चार सालों में खर्च कर दिए हैं। भारत में अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन की डायरी तथा पत्रों को सार्वजनिक करने से वर्तमान ब्रिटिश कैबिनेट और साउथहैंपटन यूनिवर्सिटी ने मना कर दिया है।
वहीं लेखक का यह मानना है कि इस डायरी से भारत के बंटवारे और एडविना-नेहरू के रिश्ते के बारे में कई राज खुल जाएंगे जिस कारण ब्रिटिश सरकार इन्हें सार्वजनिक करने से कतरा रही है।
गार्डियन अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010 में माउंबेटन की डायरी और एडविना के कुछ पत्रों को ‘देश के लिए सुरक्षित’ कर दिया गया था।एडविना माउंटबेटन के पत्रों को ब्रॉडलैंड आर्काइब के नाम से साउथहैंपटन यूनिवर्सिटी में सुरक्षित रखा गया है। वर्ष 2010 में 2.8 मिलियन पाउंड में यह पत्र और डायरी साउथहैंपटन यूनिवर्सिटी ने खरीदा था।
भारत बंटवारे के राज हैं इस डायरी में
लेखक एंड्रयू लोवनी वर्ष 2017 से डायरी और एडविना के पत्रों को सार्वजनिक करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन्होंने लार्ड माउंटबेटन पर किताब एक लिखी है।
साउथहैंपटन यूनिवर्सिटी ने कहा है कि उसे सरकार की ओर से निर्देश प्राप्त है कि इन दस्तावेजों को सुरक्षा की दृष्टि से सार्वजनिक नहीं किया जाए। लेखक लोवनी ने कहा कि इन दस्तावेजों में कुछ खास तो जरूर है जिसकी वजह से यूनिवर्सिटी और सरकार उन्हें सार्वजनिक करने लाखों पाउंड खर्च कर रही हैं। वहीं उनका मानना है कि इन दस्तावेजों से ब्रिटिश शाही परिवार और भारत के बंटवारे के बारे में नई जानकारीयां सामने आ सकती है।
बता दें कि लॉर्ड माउंबेटन ब्रिटिश प्रिंस फिलीप के अंकल थे और माउंटबेटन की पत्नी एडविना का प्रेम संबंध भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से था।
लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन के बाहरी लोगों के साथ संबंध थे
यह दावा तब और पक्का हो जाता है जब ब्रिटेन के शाही बॉयोग्राफर फिलीप जेइगलर ने यह दावा किया था कि लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन के बाहरी लोगों के साथ संबंध थे और इस बात के पर्याप्त साक्ष्य भी उपलब्ध हैं।
फिलीप जेइगलर ने अपनी किताब ‘माउंटबेटन: द ऑफिशल बॉयोग्राफी’ में लिखा है की एक बार माउंटबेटन ने यह स्वीकार करते हुए कहा था – ‘एडविना और मैंने अपना पूरा वैवाहिक जीवन दूसरों के बिस्तर में गुजारते हुए बिता दिया।’
माउंटबेटन की बेटी पामेला हिक्स ने भी अपनी किताब ‘डॉटर ऑफ एंपायर: लाइफ एज ए माउंटबेटन’ में कहा कि ‘उनके पिता का योला लेटेलिअर (डेउविले के मेयर हेनरी की पत्नी थीं) के साथ कई सालों तक प्रेम संबंध था।
क्या एडविना एक अय्याश औरत थी?
ब्रिटिश अखबार एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार एडविना के पिता ब्रिटेन के सांसद थे और वह धनी परिवार से थे। ऐसे में विलासिता के सारे संसाधन उपलब्ध होना स्वाभाविक था। एडविना का कई अन्य मर्दों के साथ प्रेम संबंध था जिसे वह पति माउंटबेटन से छिपाती नहीं थीं। वहीं पति माउंटबेटन के संबंध भी दूसरी औरतों के साथ थे।
माउंटबेटन की बेटी पामेला हिक्स ने अपनी किताब में अपनी मां एडविना को पुरुषों को आकृष्ट करने वाली महिला कहा है। और पूरे बचपन में उसकी मां के प्रेमी ‘अंकल’ बनकर आया करते थे। उसकी बातों से यह मालूम होता है कि एडविना के संबंध अनेक पुरुषों के साथ थे।
एक और लेखक एंड्रू लोनी ने वर्ष 2019 में आई अपनी एक किताब में लिखा है कि शादी के तीन साल बाद वर्ष 1925 से ही एडविना का दूसरों मर्दों के साथ प्रेम संबंध आरम्भ हो गया था।
अब इन बातों से तो यह समझ आता है कि धनी लोगों में अफेयर आम बात थी। लेकिन बात जब भारत के पहले प्रधानमंत्री की हो तो खास है। और वह रहस्य जिससे भारत का बंटवारा जुड़ा हो तो जानना आवश्यक है।
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