लंबे समय तक जवान बने रहने के लिए इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
शीर्षासन : अनेकों लाभ देने वाला यह आसन कुछेक को छोड़कर सभी उम्र के महिला, पुरुष कर सकते हैं। इसके लिए सतत अभ्यास की आवश्यकता होती है और यह आसन एक बार में नहीं हो सकता है।
शीर्षासन आरम्भ करने से पहले कोई कपड़ा गोल लपेट कर सिर के नीचे लगाने के लिए रख लीजिए। मोड़कर या लपेट कर इसे अधिक मोटा न बनाये। बस सिर पर दबाव कम पड़े इतना मोटा बना लीजिए। आरम्भ में इसे करने के लिए दीवार या किसी मित्र का सहारा ले सकते हैं।
सबसे पहले घुटने खोलते हुए बैठ जाएं। अब दोनों हाथों की हथेलियों को एक दूसरे में फंसा लें और आगे शरीर को झुकाते हुए जमीन पर केहुनी तक सटा कर रख दें। (ध्यान रहे इन्हीं हथेलियों के पास सिर रखना है इसलिए यहां पर मोड़े हुए कपड़े को रख लें।)
अब अपने सिर को इस स्थान पर रखें। थोड़ा सा उछलते हुए शरीर के पिछले हिस्सा को (कमर से पैर तक के भाग) को आसमान की ओर उल्टा कर दें। और अभ्यासानुसार पैर को ऊपर आसमान की ओर सीधा ले जाएं। यहां संतुलन बनाते हुए पैर बिल्कुल सीधे ऊपर की ओर उठा ले। इस स्थित में मूल बंध तथा उड्डयनबंध भी लगा सकते हैं। जिससे इस आसन का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
मूल बंध और उड्डयन बंध कैसे लगाया जाता है? इसके बारे में हमने पहले बताया है। जानने के लिए दिए लिंक पर जा सकते हैं – https://www.thenewsframe.com/2021/06/blog-post_4.html?m=1
सावधान – मासिक धर्म अथवा गर्भावस्था में इस आसन को नहीं करना चाहिये।
नोट – आरम्भ में किसी योग गुरु या आसनों के जानकर / निरीक्षक के समक्ष ही कठिन आसनों को करना चाहिए जिससे किसी प्रकार का दुर्घटना न हो।
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