झारखंड
🌿 अदिवासी आवाज को डिजिटल मंच तक ले जाने का प्रशिक्षण शुरू

📅 5 से 9 मई तक चाईबासा के गुइरा में हो रहा आयोजन | “अदिवासी लाइव्स मैटर” अभियान के तहत पहल
चाईबासा (जय कुमार), 6 मई 2025: झारखंड के चाईबासा में “अदिवासी लाइव्स मैटर” बैनर के तहत एक विशेष डिजिटल मीडिया प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हो रहा है, जिसका उद्देश्य अदिवासी समुदाय की पारंपरिक ज्ञान, संस्कृति और पर्यावरणीय अनुभवों को वैश्विक डिजिटल मंच तक पहुंचाना है। यह प्रशिक्षण 5 से 9 मई 2025 तक टी.आर.टी.सी., गुइरा में आयोजित हो रहा है।
🌼 पं. रघुनाथ मुर्मू को श्रद्धांजलि के साथ हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ पं. रघुनाथ मुर्मू की जयंती के अवसर पर उन्हें याद करते हुए किया गया। आयोजकों ने उनके समक्ष अगरबत्ती जलाकर और पौधरोपण कर श्रद्धांजलि दी। यह आयोजन उनकी विरासत को डिजिटल युग में आगे ले जाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास माना जा रहा है।
Read More : मालती गिलुवा का राज्य सरकार पर हमला, कहा बिजली बिल वृद्धि जनहित में नहीं
🎯 उद्देश्य: अदिवासी युवा बने डिजिटल क्रिएटर
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य अदिवासी युवाओं को लेखन, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, सोशल मीडिया कंटेंट निर्माण और इन्फ्लुएंसर बनने की तकनीकी जानकारी देना है। प्रतिभागियों को डिजिटल माध्यमों से अपनी संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज और पर्यावरणीय समझ को प्रस्तुत करने की कला सिखाई जा रही है।
🧠 प्रशिक्षण में क्या-क्या शामिल है?
- 📸 फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की व्यावहारिक जानकारी
- 📝 कहानी लेखन और रिपोर्टिंग की तकनीकें
- 📱 सोशल मीडिया कंटेंट बनाना और पब्लिश करना
- 🌳 पारंपरिक ज्ञान और पर्यावरण संरक्षण पर संवाद
- 💬 डिजिटल युग में अदिवासी पहचान की मजबूती पर चर्चा
👥 प्रशिक्षकों और विशेष प्रतिभागियों की सूची
प्रशिक्षण कार्यक्रम में निम्नलिखित प्रशिक्षक और प्रतिभागी प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- आशीष बिरुली, रबिन्द्र गिलुवा, राहुल हेमब्रोम, शालिनी कुल्लू, साधु हो, बेस बुढ़िउली, दीपक बाड़ा और नितेश महतो जैसे अनुभवी प्रशिक्षक
- हो समाज के समाजसेवी रियन्स सामड, नरेश देवगम
- संताल फिल्म अभिनेता बस्ता मुर्मू, हो फिल्म अभिनेता/निर्देशक विकास उगुरसांडी
- गायक व अभिनेता गुरु सिंकू, फिल्म निर्माता सत्यजीत सुंडी
- झारखंड के विभिन्न जिलों से आए युवा प्रतिभागी
🛤️ डिजिटल क्रांति में एक नया पड़ाव
यह आयोजन न सिर्फ अदिवासी संस्कृति को संरक्षण और प्रचार देने वाला मंच है, बल्कि यह उन्हें डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में भी प्रेरित करता है। प्रतिभागी युवा सीख रहे हैं कि कैसे वे अपनी जड़ों से जुड़े रहकर तकनीक का उपयोग अपने समुदाय और पहचान को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने में कर सकते हैं।
📢 “यह सिर्फ प्रशिक्षण नहीं, पहचान की पुनर्स्थापना की एक डिजिटल पहल है।”