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राजनितिक

भारतीय संविधान में संशोधन और बुद्धिजीवियों को आन्दोलन के लिए आगे आने की जरूरत।

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बुद्धिजीवियों

जमशेदपुर : १___ इन्डिया गठबंधन ने यह साबित कर दिया कि देश में सिर्फ दो या तीन ही राष्ट्रीय पार्टी होनी चाहिए ।अगर आज सभी क्षेत्रीय पार्टियां गठबंधन करके नहीं लडी होती तो आज सभी पार्टियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता और विपक्ष में बैठने की कोई पार्टी नहीं बच जाती और भाजपा और अधिक भारी सीटों पर विजय हासिल करता

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२—- अगर क्षेत्रिय पार्टियों पर रोक लग जाता तो दल बदल और वंशवाद समाप्त हो जाता आज दल बदल के चलते है स्थाई सरकार नहीं टिक पाती

३__ अगर कोई दल चुनाव के पहले किसी दल के साथ मिलकर चुनाव लडता है तो उसपर प्रतिबंध होता चाहिए कि वह पांच साल तक किसी दूसरे दल का समर्थन नहीं कर सकते नहीं तो अपने कम सीट पर भी बहुमत दल पर अपना दबाव बनाते रहेंगे और अपने लिए मनमानी पद मांगते रहेंगे और अपनी सरकार बचाने के लिए बड़ी पार्टी को मजबुर हो जाना पड़ेगा जैसा आज केन्द्र में हो रहा है यह कानून बन जाने से उनकी मनमानी नहीं चलेगी और बहुमत दल को मजबुर नहीं होना पड़ेगा

४__ राष्ट्रपति और गवर्नर के पद पर किसी राजनीतिक दल के सक्रिय सदस्य को नहीं होना चाहिए क्योंकि उसके दिल से आपने पार्टी भावना नहीं जाती इस पद पर कोई गैर राजनीतिक व्यक्ति जो शिक्षा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्ति को होना चाहिए

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५___ अगर किसी क्षेत्र की जनता से पुछिए की आपके क्षेत्र से राज्यसभा का प्रतिनिधि कौन है और वो क्या करता है तो कुछ इने गिने लोगों के अलावा आम जनता को मालूम ही नहीं है । राज्यसभा के सदस्य भी गैर राजनीतिक और किसी क्षेत्र से ख्यातिप्राप्त बुद्धिजीवी व्यक्ति होना चाहिए।
शिव पुजन सिंह
मुख्य संयोजक

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