जमशेदपुर: 1 मई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर झारखंड प्रदेश इंटक के अध्यक्ष श्री राकेश्वर पांडेय के नेतृत्व में आदित्यपुर ब्रिज के समक्ष से एक विशाल मोटरसाइकिल रैली निकाली गई, इस रैली में हजारों मजदूर हाथों में विशाल इंटक का झंडा लिये हुए थे, रैली आदित्यपुर ब्रिज से प्रारंभ होकर वोल्टास हाउस होते हुए बिष्टुपुर मेंन रोड से मुख्य पोस्टऑफिस से मुड़कर गरमनाला साकची थाना से बसंत टॉकीज काशीडीह से आरडी टाटा से गोलमुरी टिनप्लेट निलडीह से होते हुए तारकंपनी से 1 नंबर गेट से होते हुए लेबर ब्यूरो स्थित टाटा मोटर्स वर्क्स यूनियन कार्यालय में सभा के उपरांत समाप्त हुई, आगे आगे खुली गाड़ी में रैली का नेतृत्व प्रदेश इंटक अध्यक्ष राकेश्वर पाण्डेय कर रहे थे उनके साथ इंटक महासचिव महेंद्र मिश्रा, टाटा मोटर्स यूनियन अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के महामंत्री श्री आर के सिंह कार्यकारी अध्यक्ष अनिल शर्मा,काँग्रेस अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे टाटा मोटर्स यूनियन के कोषाध्यक्ष एस एन सिंह प्रदेश इंटक,कोषाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव इंटक नेता हरेंद्र प्रताप सिंह रामाश्रय प्रसाद टिनप्लेट यूनियन अध्यक्ष मनोज सिंह टिनप्लेट महासचिव परविंदर सिंह, टाटा पावर यूनियन महासचिव पिंटू श्रीवास्तव , टी आर एफ महासचिव संजय झा तार कंपनी यूनियन महासचिव पंकज सिंह श्रीकांत सिंह,उषा सिंह राणा सिंह, के पी तिवारी, जगदीश नारायण चौबे, इंटक अध्यक्ष राजेश सिंह राजू,, राकेश साहू उपस्थित थे। पूरे रैली में मजदूर एकता जिंदाबाद, राकेश्वर पाण्डेय जिंदाबाद,
इंटक जिंदाबाद संजीवा रेड्डी जिंदाबाद के जोरदार नारे लगा रहे थे, रैली के मार्ग में जगह जगह पानी की व्यवस्था की गई थी। मोटरसाइकिल रैली आदित्यपुर ब्रिज से प्रारंभ होकर लेबर ब्यूरो स्थित टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन में सभा के उपरांत समाप्त हुई। मजदूरों की सभा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष श्री राकेश्वर पाण्डेय ने कहा की आप सभी मजदूर साथियों ने हजारो की संख्या में इस भारी गर्मी में जिस जोश खरोश के साथ रैली में शामिल हुए काबिले तारीफ है, आपका शामिल होना मजदूरों के अपने अधिकारों के प्रति आपकी सजगता एवं प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसा की आप जानते है 1 मई को मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है.
श्रमिकों के सम्मान के साथ ही मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से भी इस दिन को मनाते हैं, ताकि मजदूरों की स्थिति समाज में मजबूत हो सके ,मजदूरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान करने और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए दुनियाभर में हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाया जाता है. इसकी उत्पत्ति 19 वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रमिक संघ आंदोलन में हुई जोकि विशेष रूप से आठ घंटे का आंदोलन था.न्यूयॉर्क श्रम दिवस को मान्यता देने वाला बिल पेश करने वाला पहला राज्य था, जबकि ओरेगन 21 फरवरी, 1887 को इस पर एक कानून पारित करने वाला पहला राज्य था. साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया था. इसके बाद 1886 में पूरे अमेरिका में लाखों मजदूर इस मुद्दे पर एकजुट हो गए और हड़ताल की. इस हड़ताल में लगभग 11 हजार फैक्ट्रियों के 3 लाख 80 हजार मजदूर शामिल हुए.
बाद में 1889 में, मार्क्सवादी
अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस ने एक महान अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए एक प्रस्ताव अपनाया जिसमें उन्होंने मांग की कि श्रमिकों से दिन में 8 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जाना चाहिए. इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि एक मई को अवकाश घोषित किया जाएगा.
भारत ने 1 मई, 1923 को चेन्नई में मजदूर दिवस मनाना शुरू किया. इसे ‘कामगार दिवस’, ‘कामगार दिन’ और ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन को पहली बार लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया था, और इसे देश में राष्ट्रीय अवकाश माना जाता है. इस दिन, दुनिया भर के लोग श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और उन्हें शोषण से बचाने के लिए मार्च और विरोध प्रदर्शन करके इस दिन को मनाते हैं. जागरूकता फैलाने के लिए कई देशों में इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया जाता है।सभा का संचालन अशोक उपाध्याय एवं प्रकाश विश्वकर्मा ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन झारखंड प्रदेश इंटक प्रवक्ता जम्मी भास्कर ने किया। सभी मजदूर साथियों के खड़े होकर राष्ट्रगान गाने के बाद कार्यक्रम की समाप्ति की गई।