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जिला विधिक सेवा प्राधिकार चाईबासा के तत्वावधान में चाईबासा व्यवहार न्यायालय और चक्रधरपुर अनुमंडल न्यायालय में लोक अदालत का हुआ आयोजन।

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चाईबासा

⚫130 मामलों का हुआ निष्पादन, ₹ 1,27,700/– का हुआ समायोजन।

चाईबासा : झालसा के निर्देशानुसार और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री विश्वनाथ शुक्ला के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा के तत्वावधान में चाईबासा सिविल कोर्ट परिसर और चक्रधरपुर अनुमंडल न्यायालय में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया, इस दौरान चाईबासा न्यायालय में गठित आठ न्यायपिठों का गठन किया गया, मामलों की सुनवाई करते हुए कुल 130 मुद्दों का सफल निष्पादन किया तथा 1,27,700/– की राशि का समायोजन हुआ, प्राधिकार के सचिव श्री राजीव कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार रांची के निर्देशानुसार प्रत्येक माह लोक अदालत का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग अपने सुलहनीय मामलों के निष्पादन के लिए अपील कर सकते हैं।इसी क्रम में नवगठित चक्रधरपुर अनुमंडल न्यायालय में भी कृष्णा लोहरा, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, चक्रधरपुर तथा अंकित कुमार सिंह, अनुमण्डल न्यायिक दंडाधिकारी चक्रधरपुर की दो न्यायपीठ का गठन कर लोक अदालत का आयोजन किया गया।

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⚫ रैफरल जजों और मध्यस्थो के मध्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

झारखंड राज्य सेवा प्राधिकार रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम के तत्वधान में कोर्ट परिसर स्थित मीटिंग हॉल में न्यायिक पदाधिकारियों और मध्यस्थ अधिवक्ताओं के बीच आवश्यक बैठक का आयोजन किया गया इसका मुख्य उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के निष्पादन को सुलभ और सहज बनाना था।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री विश्वनाथ शुक्ला ने न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका की विशेषताओं का वर्णन किया तथा इसके और प्रभावी बनाने पर चर्चा की।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार राजीव कुमार सिंह ने बताया कि यह विवाद सुलझाने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मध्यस्थ (मीडिएटर) निष्प्रभावी एवं निर्विकार व्यक्ति के रूप में, विवाद ग्रस्त पक्षकारों को एक ऐसे समझौते के लिये तैयार करता है जिस पर पक्षकारों की सहमति होती है।

प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय श्री योगेश्वर मणि ने न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए इसे किसी भी मामले के सकारात्मक निष्पादन की एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया,मौके पर उपस्थित अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार रखें।

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बैठक में श्री योगेश्वर मणि, प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, श्री ओम प्रकाश, जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम, श्री सूर्य भूषण ओझा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय, श्री तरूण कुमार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय, श्री .लक्ष्मण प्रसाद, जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, श्री विनोद कुमार, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, श्री राजीव कुमार सिंह, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, श्री मंजीत कुमार साहू, रेलवे मजिस्ट्रेट, सुप्रिया तिग्गा, एसडीजेएम सदर सह रजिस्ट्रार, श्रीमती। एंजेलिना नीलम मडकी, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी। , श्रीमती पूजा पांडे, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी सहित बार सचिव ऑगस्टिन कुल्लू, अधिवक्ता सुभाष मिश्रा, संतोष गुप्ता, अमर बख्शी एवं अधिवक्ता उपस्थित थे।

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