झारखंड
🚨 हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन बना माल ढुलाई का अड्डा, यात्री परेशान — रेल प्रशासन बेखबर!

📍 सरिया, गिरिडीह
🛤️ रेलवे स्टेशन पर नहीं यात्रियों की चिंता, प्राथमिकता में डेली पैसेंजर का माल!
हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन, जो झारखंड के गिरिडीह जिले के सरिया में स्थित है, इन दिनों यात्री सुविधाओं की अनदेखी और कथित भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। प्लेटफॉर्म पर रोजाना होने वाली अव्यवस्था, सुरक्षा की अनदेखी और ठेकेदारों की मनमानी से आम यात्रियों का जीवन नारकीय बन गया है।
📌 विशेष बिंदु:
- गरीबों के लिए भेजे गए जनवितरण प्रणाली (PDS) के अनाज की कालाबाजारी।
- सीमेंट व चोकर के बोरों में भरकर प्लेटफॉर्म पर चावल, कटहल समेत अन्य सामानों का जमावड़ा।
- डेली पैसेंजर्स से खुलेआम वसूली, महिला सुरक्षा कर्मी की भी भूमिका संदिग्ध।
- ट्रेन रुकते ही यात्रियों को धकेल कर पहले चढ़ाया जा रहा माल।
- 10:24 में आने वाली हटिया-पटना सुपरफास्ट ट्रेन में भी यही स्थिति।
👁️🗨️ प्रत्यक्षदर्शी बोले — “माल चढ़ाओ पहले, सवारी बाद में चाहे गिरे पटरी पर!”
स्थानिय संवाददाता जब स्टेशन पर हालात का जायजा लेने पहुंचे तो दृश्य बेहद चौंकाने वाला था। प्लेटफॉर्म पर लगे बोरियों के ढेर और मालवाहकों की भीड़ के बीच यात्री परेशान और सहमे खड़े थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि —
“ट्रेन आती है, दो मिनट रुकती है, और इतने में पहले माल चढ़ाया जाता है। अगर कोई यात्री गिर जाए या रह जाए, तो किसी को फर्क नहीं पड़ता।”
⚠️ रेलवे सुरक्षा भी सवालों के घेरे में
जिन बोरियों को लगेज कोच में बुक होना चाहिए, उन्हें सामान्य डिब्बों में जबरन ठूंसा जा रहा है। जब ठेकेदार वसूली कर चलते बनते हैं, तब एक महिला रेलवे सुरक्षा कर्मी भी वसूली करती दिखती हैं। यह सब बिना किसी रोक-टोक के चलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि “सबका हिस्सा” तय है।
📦 बिहार से आता माल, बिहार ही लौटता — लेकिन ऊंचे दामों में!
सूत्रों के अनुसार ये डेली पैसेंजर मुख्यतः बिहार से आते हैं और सरिया के PDS दुकानदारों से चावल, गेहूं और केरोसिन तेल ऊंचे दामों पर खरीदकर गुरपा, पहाड़पुर, दिलवा जैसे बिहार के इलाकों में महंगे दामों पर बेचते हैं। यह धंधा प्रतिदिन चल रहा है और प्रशासन पूरी तरह से आंख मूंदे हुए है।
📉 यात्री सुविधाओं का गिरता स्तर, प्रशासन मौन!
यह स्थिति केवल लोकल ट्रेनों की नहीं बल्कि सुपरफास्ट ट्रेनों की भी है। इससे यात्री समय पर चढ़ नहीं पाते, ट्रेन से गिरने की आशंका बनी रहती है और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है।
🔍 विश्लेषणात्मक निष्कर्ष:
हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन केवल माल चढ़ाने-उतारने का अड्डा बनकर रह गया है। यात्री सुविधाओं, सुरक्षा और जवाबदेही की घोर अनदेखी हो रही है। यह पूरा प्रकरण सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं बल्कि रेलवे के भीतर फैली कमीशनखोरी, मिलीभगत और प्रशासनिक उदासीनता की बानगी है।
❗ मांग उठती है:
- रेलवे प्रशासन तुरंत जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करे।
- PDS अनाज के दुरुपयोग पर रोक लगे।
- यात्रियों की सुरक्षा व सुविधा सुनिश्चित की जाए।
- लगेज के लिए अलग व्यवस्था और सख्त निगरानी लागू हो।
वीडियो देखें:
विस्तार से,
हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन बना माल ढुलाई का अड्डा, यात्री परेशान — रेल प्रशासन बेखबर
हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन, जो झारखंड के गिरिडीह जिले के सरिया में स्थित है, इन दिनों यात्री सुविधाओं की अनदेखी और कथित भ्रष्टाचार का उदाहरण बन चुका है। प्लेटफॉर्म पर रोजाना होने वाली अव्यवस्था, सुरक्षा की अनदेखी और ठेकेदारों की मनमानी से आम यात्रियों का जीवन कठिन हो गया है।
जानकारी के अनुसार, महीनों से यह शिकायत मिल रही थी कि इस स्टेशन पर यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने और उतरने में भारी परेशानी होती है। जब संवाददाता मौके पर पहुंचे, तो प्लेटफॉर्म पर अनाज, कटहल और अन्य सामग्री के बोरे बेतरतीब ढंग से रखे हुए थे। ये बोरे जन वितरण प्रणाली (PDS) के तहत गरीबों को मिलने वाले चावल आदि के थे, जिन्हें सीमेंट और चोकर के बोरियों में भरकर डेली पैसेंजर द्वारा इकट्ठा किया गया था।
वहीं दूसरी ओर डेली पैसेंजर्स से खुलेआम वसूली की जा रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वसूली के बाद रेलवे सुरक्षा में तैनात एक महिला कांस्टेबल भी पैसे लेती दिखाई दीं। सामान को लगेज कोच में भेजने की बजाय, यात्री डिब्बों में ठूंसा जा रहा था। जब ट्रेन आती है, तो केवल दो मिनट का ठहराव होता है, लेकिन पहले माल चढ़ाया जाता है और उसके बाद ही यात्रियों को चढ़ने का मौका मिलता है। इससे अफरा-तफरी की स्थिति बन जाती है और यात्री गिर भी जाते हैं।
यह अव्यवस्था सिर्फ लोकल ट्रेनों में नहीं, सुपरफास्ट ट्रेनों में भी देखी जा रही है। जैसे कि हटिया से पटना जाने वाली सुपरफास्ट ट्रेन जो सुबह 10:24 पर आती है, उसमें भी यही स्थिति रहती है।
जानकारी के अनुसार, ये डेली पैसेंजर बिहार से आते हैं और सरिया के जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों से ऊंचे दाम पर चावल, गेहूं और केरोसिन खरीदकर बिहार के गुरपा, पहाड़पुर, दिलवा जैसे इलाकों में बेचते हैं। यह सिलसिला प्रतिदिन का हो गया है।
इस पूरे मामले में रेलवे प्रशासन की चुप्पी और सुरक्षा बलों की भूमिका सवालों के घेरे में है। यात्रियों की सुविधा, सुरक्षा और जवाबदेही का पूर्णत: अभाव देखा जा रहा है। अब समय आ गया है कि रेलवे प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर ठोस कार्रवाई करे।
इस स्टेशन की स्थिति दिखाती है कि किस प्रकार से एक सार्वजनिक सुविधा भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और लापरवाही का शिकार बन चुकी है।
📢 यह रिपोर्ट जनहित में प्रकाशित की गई है। यदि आपके पास भी ऐसे किसी स्टेशन या जनसेवा से जुड़े मुद्दे हैं, तो हमें जरूर सूचित करें।