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झारखंड

परिवर्तन की लौ: सामूहिक जागरूकता से सुरक्षा और तैयारी की ओर : अरविंद कुमार सिन्हा, चीफ – सिक्योरिटी एवं ब्रांड प्रोटेक्शन, टाटा स्टील

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परिवर्तन की लौ: सामूहिक जागरूकता से सुरक्षा और तैयारी की ओर : अरविंद कुमार सिन्हा, चीफ – सिक्योरिटी एवं ब्रांड प्रोटेक्शन, टाटा स्टील

मुंबई : 14 अप्रैल 1944 को मुंबई के विक्टोरिया डॉक पर एक भयावह त्रासदी हुई, जब एसएस फोर्ट स्टिकीन के कार्गो होल्ड में अचानक आग भड़क उठी। इसने ऐसे विनाशकारी विस्फोटों को जन्म दिया, जिन्होंने न सिर्फ शहर का भौगोलिक नक्शा बदल दिया, बल्कि सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को लेकर सोच की दिशा भी हमेशा के लिए बदल दी।

स्थानीय अग्निशमन दलों की त्वरित प्रतिक्रिया के बावजूद, धमाका इतना भयानक था कि न केवल जहाज़ पूरी तरह नष्ट हो गया, बल्कि भारी जनहानि भी हुई। अनुमान है कि इस दुर्घटना में 800 से 1,300 लोगों की जान गई और 2,500 से अधिक लोग घायल हुए। इसके अलावा लगभग 80,000 टन समुद्री माल या तो नष्ट हो गया या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। कई दिनों तक मुंबई (तब की बॉम्बे) आग की लपटों में जलती रही और शहर के बड़े हिस्से मलबे में तब्दील हो गए।

यह भयावह घटना हमें आग से जुड़ी आपदाओं की तबाही को लेकर लगातार सतर्क रहने की चेतावनी देती है। 1944 में मुंबई के विक्टोरिया डॉक पर हुए भीषण अग्निकांड और विस्फोटों में जान गंवाने वालों की स्मृति में हर वर्ष 14 से 20 अप्रैल तक पूरे देश में फायर सर्विस वीक मनाया जाता है।

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गृह मंत्रालय, भारत सरकार के फायर एडवाइज़र के मार्गदर्शन में यह सप्ताह न केवल उन असंख्य जानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, बल्कि यह हमें आग की रोकथाम की महत्ता, विशेषकर औद्योगिक क्षेत्रों में, बार-बार याद दिलाता है। वर्ष 1999 से नेशनल सेफ्टी काउंसिल इस दिशा में प्रतिबद्ध होकर कर्मचारियों, उनके परिवारों और पूरे समाज को आग की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

अग्निकांडों का प्रभाव बेहद गहरा और दीर्घकालिक होता है—यह न केवल पीड़ितों को, बल्कि उनके परिवारों और पूरे समुदाय को प्रभावित करता है। दुर्भाग्यवश, फायर सेफ्टी तब तक प्राथमिकता नहीं बनती जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए। हर साल घरों और कार्यस्थलों पर कई आगजनी की घटनाएं होती हैं, जिनमें लोग घायल होते हैं या अपनी जान गंवाते हैं। इनमें सबसे अधिक प्रभावित वे कमजोर वर्ग होते हैं, जैसे कि छोटे बच्चे। चिंताजनक बात यह है कि अधिकांश घरों में अब भी कार्यशील स्मोक डिटेक्टर या फायर अलार्म मौजूद नहीं हैं। नतीजतन, परिवार ऐसी दुर्घटनाओं के खतरे में रहते हैं जिन्हें आसानी से रोका जा सकता है—जैसे रसोई में लापरवाही, सिगरेट का असावधानी से फेंका जाना, या गैस उपकरणों की अनदेखी। ये सभी ऐसी चूकें हैं, जो जागरूकता और सतर्कता से टाली जा सकती हैं।

आग जैसी आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सबसे बड़ी ताकत होती है—सही जानकारी और जागरूकता। जब लोग फायर सेफ्टी के मूल सिद्धांतों को समझते हैं, तो वे न केवल खुद को, बल्कि अपने परिवार और आसपास के लोगों को भी संभावित खतरों से बचाने में सक्षम हो जाते हैं। फायर एक्सटिंग्विशर का सही इस्तेमाल करना, धुएं से भरे कमरे में कैसे सुरक्षित निकला जाए, या घर में एक निर्धारित इमरजेंसी एग्जिट रूट रखना—ऐसे छोटे-छोटे कदम बड़ी आपदाओं के समय जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं, जो ज़िंदगी और मौत के बीच का फर्क बन सकता है।

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व्यवसायों के लिए, फायर सेफ्टी केवल कानूनी पालन तक सीमित नहीं है; यह जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का एक अहम हिस्सा है। प्रभावी अग्नि सुरक्षा उपाय न केवल बड़े नुक़सान को रोकने में मदद करते हैं, बल्कि कर्मचारियों में सुरक्षा की भावना भी उत्पन्न करते हैं, जिससे कार्यस्थल पर उत्पादकता और मनोबल में इज़ाफ़ा होता है। भविष्य की ओर देखने वाली कंपनियां अब फायर सेफ्टी को एक जिम्मेदारी के रूप में नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक निवेश के रूप में देख रही हैं। वे व्यापक प्रशिक्षण, नियमित निरीक्षण और सुरक्षा उपकरणों के उचित रख-रखाव पर विशेष ध्यान दे रही हैं। यह सक्रिय दृष्टिकोण न केवल जोखिमों को कम करता है, बल्कि एक ऐसी कार्य संस्कृति का निर्माण करता है जहाँ कर्मचारी संभावित खतरों को पहचानने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए प्रेरित होते हैं।

समुदाय के हित के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, टाटा स्टील इस सप्ताह विभिन्न अग्नि सुरक्षा अभियानों का आयोजन करती है, जिसमें यह संदेश दिया जाता है कि अग्नि सुरक्षा केवल एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास है। उनकी फायर एंड रेस्क्यू सेवाएं न केवल टाटा स्टील के परिसर में, बल्कि आसपास के समुदायों में भी असाधारण सहायता प्रदान करती हैं, जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होती है।

हाल ही में, “फ्लेम्स ऑफ चेंज” जैसी अभिनव पहलें शुरू की गई हैं, जिनका उद्देश्य अग्नि सुरक्षा की संस्कृति को फिर से परिभाषित करना है। इस पहल में महिलाओं को अग्निशमन दल में शामिल किया गया है, ताकि सुरक्षा कार्यों में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। यह पहल समाज में न केवल अग्नि सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाती है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक समुदाय सदस्य को आपातकालीन सहायता में समान रूप से भागीदारी मिले।

आग अपने आप में एक विनाशकारी शक्ति है, लेकिन इसके प्रभाव को कम करना हमारी सतत जागरूकता, सतर्कता और सामूहिक प्रयासों से संभव है। राष्ट्रीय अग्नि सेवा सप्ताह हमें यह सिखाता है कि सावधानी और तैयारी कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। जब हम सतर्क रहते हैं, तो हम केवल आग से नहीं लड़ते—हम जीवन, संपत्ति और भविष्य की रक्षा करते हैं। आइए हम संकल्प लें कि फायर सेफ्टी को केवल एक औपचारिकता न मानें, बल्कि इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। एकजुट होकर हम एक ऐसे भारत की नींव रख सकते हैं जहाँ आग की घटनाएं दुर्लभ हों और हर नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस करे।

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