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झारखंड

सामग्री प्रसंस्करण और लक्षण वर्णन में हालिया प्रगति पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (RAMPC-25) – राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), जमशेदपुर, धातुकर्म एबं पदार्थ अभियांत्रिक विभाग

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जमशेदपुर : धातुकर्म एबं पदार्थ अभियांत्रिक विभाग, NIT जमशेदपुर, 21 से 23 मार्च 2025 तक “सामग्री प्रसंस्करण और लक्षण वर्णन में हालिया प्रगति पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (RAMPC-2025)” का आयोजन कर रहा है। आज RAMPC-2025 का उद्घाटन सत्र आयोजित किया गया। इस प्रतिष्ठित तीन-दिवसीय आयोजन में उद्योग और शिक्षाविद क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हुए, जो सामग्री प्रसंस्करण और लक्षण वर्णन की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा कर रहे हैं। सम्मेलन में सामग्री, स्थायी समाधान और औद्योगिक अनुप्रयोगों के क्षेत्र में 52 तकनीकी शोध पत्र प्रस्तुत किए जायेंगे।

सम्मेलन में विशिष्ट अतिथियों डॉ. संदीप घोष चौधरी, निदेशक, CSIR-NML जमशेदपुर; श्री अजितेश मौंगा, प्लांट मैनेजर और निदेशक, टाटा कमिंस प्रा. लि.; प्रो. गौतम सूत्रधार, निदेशक, NIT जमशेदपुर; प्रो. चित्तरणजन सहाय, यूनिवर्सिटी ऑफ हार्टफोर्ड, यूएसए; प्रो. राम विनॉय शर्मा, उप निदेशक, NIT जमशेदपुर; डॉ. अशोक कुमार, विभागाध्यक्ष धातुकर्म एबं पदार्थ अभियांत्रिक विभाग, NIT जमशेदपुर का सम्मान किया गया। इस दौरान NIT जमशेदपुर के विभिन्न विभागों के डीन और विभागाध्यक्ष भी उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत प्रो. अशोक कुमार, अध्यक्ष, RAMPC-25 ने किया। डॉ. राम कृष्णा, संयोजक – RAMPC-25 ने सम्मेलन की संक्षिप्त जानकारी दी।

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सम्मेलन में प्रो. सूत्रधार ने सामग्री विज्ञान की सामूहिक भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। श्री अजितेश मौंगा ने धातु विज्ञान और आध्यात्मिकता के संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि औद्योगिक प्रगति और अग्रणी शोध सामाजिक लाभ को बढ़ाने के लिए साथ-साथ होना चाहिए। डॉ. संदीप घोष चौधरी ने स्थायी विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सामग्री प्रत्येक युग की नींव है; भविष्य की सामग्री तकनीकी प्रगति का केंद्र है, कम-ग्रेड अयस्क उपयोग, सूखा लाभन और जल संसाधन प्रबंधन हरित भविष्य के लिए आवश्यक हैं। प्रो. राम विनॉय शर्मा ने प्राचीन धातु विज्ञान को आधुनिक प्रौद्योगिकी से जोड़ने पर जोर दिया।

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भविष्य को आकार देने में सामग्री विज्ञान की सामूहिक भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना था। इसमें नवाचार और अनुवादशील शोध को बढ़ावा देना और औद्योगिक विकास की दिशा में योगदान करना शामिल है। यह उद्योग-अकादमिक सहयोग को मजबूत करने, सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग में अग्रणी शोध और औद्योगिक प्रगति की दिशा में मार्ग प्रशस्त करने का लक्ष्य रखता है।

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