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संथाल परगना जल रहा है, लेकिन राज्य सरकार मूकदर्शक बनी हुई है : चम्पाई सोरेन

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महागठबंधन सरकार ने युवाओं एवं आदिवासियों को ठगने का काम किया : चम्पाई सोरेन

चाईबासा। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सरायकेला से भाजपा के प्रत्याशी चम्पाई सोरेन ने आज प्रदेश की महागठबंधन सरकार पर युवाओं, आदिवासियों एवं मूलवासियों समेत झारखंड के आम लोगों को ठगने का आरोप लगाया। वे चाईबासा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में विजय संकल्प सभा को संबोधित कर रहे थे।

अपने संबोधन की शुरुआत में कोल विद्रोह के महानायक वीर पोटो हो को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में इस सरकार ने आदिवासियों के विकास के लिए कुछ नहीं किया। अपने पांच महीनों के कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अपने छोटे से कार्यकाल में उन्होंने प्राथमिक स्तर पर जनजातीय एवं स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई का मार्ग प्रशस्त कर दिया था, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन होते ही वह प्रक्रिया रुक गई।

हो भाषा (वरांग क्षिति लिपि) आंदोलन के संबंध में उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से हर साल आंदोलनकारी दिल्ली में धरना देने जाते थे। इस वर्ष उन्होंने इस मामले में गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया। वे स्वयं भी इस मुद्दे पर गृहमंत्री से मिलना चाहते थे, लेकिन पाकुड़ में एक सामाजिक कार्यक्रम में देर होने की वजह से नहीं पहुंच पाये।

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उसके बाद, उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा को आंदोलनकारियों की गृहमंत्री से मीटिंग सुनिश्चित करवाने का अनुरोध किया। इस बैठक के बाद गृहमंत्री ने इस मामले पर सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया।

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बाद अब हो भाषा का संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होना महज एक औपचारिकता रह गया है।

कांग्रेस के आदिवासी विरोधी रवैये को रेखांकित करते हुए पूर्व सीएम ने कांग्रेस के कार्यकाल में हुए कई गोलीकांड का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी आदिवासियों का भला नहीं कर सकती। उसके साथ गठबंधन में शामिल झामुमो और राजद भी वोट के लिए आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर खामोश हैं।

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उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा हमेशा से आदिवासियों की शुभचिंतक रही है। झारखंड राज्य के लिए लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बाद जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बनी, तब उन्होंने हमारे आंदोलन को सम्मान देते हुए यह राज्य बनाया। भाजपा सरकार ने ही संथाली भाषा को मान्यता भी दिया।

संथाल परगना में बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वहां आदिवासियों की माटी, रोटी और बेटी संकट में है। राज्य सरकार वोट बैंक के लिए भले इस मुद्दे को नकार रही है, लेकिन वहां दर्जनों गांवों से आदिवासियों का अस्तित्व मिट चुका है।

पाकुड़ समेत कई जिलों में अब आदिवासी समाज अल्पसंख्यक हो चुका है। अगर हमें आदिवासी समाज का अस्तित्व एवं बहु-बेटियों की अस्मिता को बचाना है, तो भाजपा की सरकार जरूरी है। भाजपा की सरकार बनने पर वहां लूटी गई जमीनें उनके मूल मालिकों को वापस दिलवाई जाएंगी।

उन्होंने प्रदेश में बढ़ रहे भ्रष्ट्राचार को रोकने तथा राज्य के युवाओं, महिलाओं, आदिवासियों, मूलवासियों, किसानों, मजदूरों समेत हर प्रदेशवासी के हक एवं अधिकार के लिए भाजपा को वोट देने का आह्वान किया।

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