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विधानसभा चुनाव 2024: कई नए चेहरों ने किया नामांकन। आइये जानते हैं जिला पूर्वी सिंहभूम का हाल, कौन है नया चेहरा?
विधानसभा चुनाव 2024: झारखण्ड राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव 2024 में प्रत्याशियों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में जनसम्पर्क अभियान चला रहे हैं। इस बार के चुनाव में खास बात यह है कि कई युवा प्रत्याशी भी समाज को एक नई दिशा देने के उद्देश्य से निर्दलीय होकर चुनावी मैदान में उतरे हैं।
पूर्वी सिंहभूम जिले की स्थिति पर नज़र डालें तो इस बार यहां कई नए चेहरों ने नामांकन किया है। युवाओं की उपस्थिति ने इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। स्थानीय लोग भी युवा प्रत्याशियों को लेकर काफी उत्साहित हैं और उनसे नई उम्मीदें लगाए हुए हैं। इन युवाओं का कहना है कि वे भ्रष्टाचार मुक्त शासन और विकास की नई राह को प्रशस्त करने के लिए संकल्पित हैं।
नामांकन प्रक्रिया के दौरान विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी जोर-शोर से जनता के बीच अपनी बात रख रहे हैं और क्षेत्र के विकास के मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं। आने वाले दिनों में चुनावी माहौल और भी गर्म होने की संभावना है। जनता की उम्मीदें इन प्रत्याशियों पर टिकी हुई हैं, जो समाज को प्रगति के मार्ग पर ले जाने का वादा कर रहे हैं।

1. अन्नी अमृता, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49-जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

2. स्वपन कुमार महतो, CPI-M प्रत्याशी ने 44- बहरागोड़ा के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

3. सुरजीत सिंह, राईट टू रिकॉल पार्टी प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

4. काशिफ रजा सिद्दकी, आजाद समाज पार्टी प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

5. मृत्युंजय कुमार, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49-जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

6. कृष्णा हांसदा, भारत आदिवासी पार्टी प्रत्याशी ने 48-जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

7. महीन सरदार, भारत आदिवासी पार्टी प्रत्याशी ने 46-पोटका के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

8. शिव शंकर सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48-जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

9. राम मुर्मू, निर्दलीय प्रत्याशी ने 44-बहरागोड़ा के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

10. पंचानन सोरेन, निर्दलीय प्रत्याशी ने 45- घाटशिला के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

11. मोहन लाल रजक, आमरा बंगाली पार्टी प्रत्याशी ने 47- जुगसलाई के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

12. विकास सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

13. राम चन्द्र टुडू, राईट टू रिकॉल पार्टी प्रत्यशी ने 46- पोटका के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

14. कार्तिक मुखी, भारत आदिवासी पार्टी प्रत्यशी ने 47- जुगसलाई के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

15. रामदास सोरेन, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा प्रत्यशी ने 45- घाटशिला के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

16. रामदास मुर्मू, JLKM प्रत्याशी ने 45- घाटशिला के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

17. सौरभ विष्णु, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

18. पूर्णिमा साहू, भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

19. कंचन सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

20. तरुण कुमार डे, JLKM प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

21. रविन्द्र सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

22. धर्मेंद्र कुमार सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

23. पवन कुमार पांडेय, NCP प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

24. सुग्रीव मुखी, JBKSS प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

25. कृष्णा लोहार, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

26. सुनीता मुर्मू, निर्दलीय प्रत्याशी ने 46- पोटका के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

27. बाबूलाल सोरेन, भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी ने 45- घाटशिला के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

28. इंद्रजीत मुर्मू, भारत आदिवासी पार्टी प्रत्याशी ने 45- घाटशिला के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

29. पार्वती हांसदा, निर्दलीय प्रत्याशी ने 45- घाटशिला के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

30. सनत कुमार महतो, बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी ने 44- बहरागोड़ा के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।
दिनांक 24 अक्टूबर 2024
# Nomination Update
विधानसभा निर्वाचन 2024 के मद्देनजर 49 प्रत्याशियों ने दिनांक 24 अक्टूबर 2024 संबंधित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया । विवरणी निम्नवत है-
44- बहरागोड़ा
अमर कुमार भकत, भागीदारी पार्टी (पी)
समीर कुमार मोहंती, जेएमएम
दिनेशानंद गोस्वामी, बीजेपी
दिनेश महतो, JLKM
सनत कुमार महतो, बहुजन समाज पार्टी
45- घाटशिला
सूर्य सिंह बेसरा, जे पी पी
बाबूलाल सोरेन, भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी
इंद्रजीत मुर्मू, भारत आदिवासी पार्टी
पार्वती हांसदा, निर्दलीय
46- पोटका
सुनीता मुर्मू, निर्दलीय
मीरा मुंडा, भारतीय जनता पार्टी
सिरमा देवगम, निर्दलीय
लव कुमार सरदार, निर्दलीय
सलमा हांसदा, झारखण्ड पीपुल्स पार्टी
बिजन सरदार, SUCI Communist प्रत्याशी
भागीरथ हांसदा, JLKM
47- जुगसलाई
रामचन्द्र सहिस, आजसू
मनोज करुआ, निर्दलीय
सृष्टि भुइयां, एनसीपी
बिप्लव भुइयां, निर्दलीय
जुगल किशोर मुखी, निर्दलीय
48- जमशेदपुर पूर्व
कंचन सिंह, निर्दलीय
तरुण कुमार डे, JLKM
रविन्द्र सिंह, निर्दलीय
धर्मेंद्र कुमार सिंह, निर्दलीय
पवन कुमार पांडेय, NCP
सुग्रीव मुखी, JBKSS
कृष्णा लोहार, निर्दलीय
राजकुमार सिंह, निर्दलीय
इंदल कुमार सिंह, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक
अभिषेक कुमार, निर्दलीय
डॉ अजय कुमार, कांग्रेस
सोमनाथ बनर्जी, निर्दलीय
शुभम सिन्हा, निर्दलीय
सागर कुमार तिवारी, निर्दलीय
सौरभ विष्णु, निर्दलीय
पूर्णिमा साहू, भारतीय जनता पार्टी
49- जमशेदपुर पश्चिम
डॉ उमेश कुमार, निर्दलीय
राम बचन, भारतीय आजाद सेना
बन्ना गुप्ता, कांग्रेस
सरयू राय, जदयू
जितेंद्र सिंह, निर्दलीय
सौरभ कुमार ओझा, एनसीपी
संतोषी बाई, निर्दलीय
बिपिन कुमार सिंह, SUCI Communist
प्रभात कुमार सिंह, निर्दलीय
शम्भू नाथ चौधरी, निर्दलीय
वृंदावन दास, बहुजन समाज पार्टी
डॉ ओम प्रकाश आनन्द, निर्दलीय
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वहीं, सभी छह विधानसभा क्षेत्र हेतु कुल 10 अभ्यर्थियों ने नामांकन पत्र का क्रय किया जिसमें 44- बहरागोड़ा में एक, 45-घाटशिला में शून्य, 46-पोटका में शून्य, 47-जुगसलाई में एक, 48-जमशेदपुर (पूर्व) में तीन तथा 49-जमशेदपुर (पश्चिम) के पांच अभ्यर्थी शामिल हैं।

31. जी जयराम दास, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

32. दुखु मछुआ, निर्दलीय प्रत्याशी ने 47- जुगसलाई के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

33. विमल किशोर बैठा, निर्दलीय प्रत्याशी ने 47- जुगसलाई के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

34. रौशन सुंडी, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

35. बच्चे लाल भगत, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

36. बब्लू टोप्पो, निर्दलीय प्रत्याशी ने 46- पोटका के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

37. सागर बेसरा, निर्दलीय प्रत्याशी ने 46- पोटका के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

38. सरयू दुसाध, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

39. सुरधु माझी, अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया प्रत्याशी ने 46- पोटका के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

40. बाबर खान, AIMIM प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

41. रंजीत दास, आदर्श संग्राम पार्टी प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

42. महेंद्र मुर्मू, निर्दलीय प्रत्याशी ने 46- पोटका के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

43. विजय तिवारी, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

44. विजय तिवारी, निर्दलीय प्रत्याशी ने 49- जमशेदपुर पश्चिम के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

45. मिनेमा गोंडल, निर्दलीय प्रत्याशी ने 48- जमशेदपुर पूर्व के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।

46. सूरज गोप, निर्दलीय प्रत्याशी ने 44- बहरागोड़ा के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।
दिनांक 25 अक्टूबर 2024
# Nomination Update
विधानसभा निर्वाचन 2024 के मद्देनजर 51 प्रत्याशियों ने दिनांक 25 अक्टूबर 2024 को संबंधित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया ।
44- बहरागोड़ा
रंजीत चाटियाल, निर्दलीय
धीरेंद्र नाथ बेरा, निर्दलीय
अशोक महतो, निर्दलीय
अर्जुन कुमार टुडू, निर्दलीय
फनी भूषण महतो, निर्दलीय
हर प्रसाद सिंह सोलंकी, SUCI Communist
सूरज गोप, निर्दलीय प्रत्याशी
कविता साव, निर्दलीय
45- घाटशिला
भवतारण महाली, निर्दलीय
सुनील कुमार मुर्मू, निर्दलीय
रामदेव हेम्ब्रम, निर्दलीय
दिकू बेसरा, SUCI Communist
विक्रम किस्कु, निर्दलीय
46- पोटका
सुबोध सिंह सरदार, निर्दलीय
महेंद्र मुर्मू, निर्दलीय
बब्लू टोप्पो, निर्दलीय
सागर बेसरा, निर्दलीय
सुरधु माझी, अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया
चन्द्राय माहली, निर्दलीय
47- जुगसलाई
चन्दन भुइयां, निर्दलीय
बिजय कुमार मछुआ, निर्दलीय
विनोद स्वांसी, JLKM
दुखु मछुआ, निर्दलीय
विमल किशोर बैठा, निर्दलीय
48- जमशेदपुर पूर्व
मिनेमा गोंडल, निर्दलीय
रौशन सुंडी, निर्दलीय
रवि कुमार ठाकुर, निर्दलीय
बब्लू खूंटिया, निर्दलीय
अमित कुमार, निर्दलीय
चन्दन यादव, निर्दलीय
राजेश कुमार, समाजवादी पार्टी
माधवेन्द्र मेहता, JPP
गोपाल लोहार, निर्दलीय
प्रीतम सिंह भाटिया, निर्दलीय
दिनकर कच्छप, निर्दलीय
आनंद कुमार पत्रलेख, निर्दलीय
सिंटू कुमार, निर्दलीय
49- जमशेदपुर पश्चिम
बच्चे लाल भगत, निर्दलीय
जी जयराम दास, निर्दलीय
सरयू दुसाध, निर्दलीय
बाबर खान, AIMIM
रंजीत दास, आदर्श संग्राम पार्टी
विजय तिवारी, निर्दलीय
चन्दन प्रसाद, निर्दलीय
अजित कुमार यादव, समाजवादी पार्टी
डॉ ओम प्रकाश आनंद, समाजवादी पार्टी
सरोजनी साह, निर्दलीय
संतोष कुमार राय, निर्दलीय
नीतू कुमारी, निर्दलीय
तपन महतो, JLKM प्रत्याशी
प्यारेलाल साहू, लोकहित अधिकार पार्टी
धार्मिक
रामनवमी पर चांडिल में भव्य शोभा यात्रा, उमड़ा रामभक्तों का जनसैलाब

चांडिल: रामनवमी के पावन अवसर पर श्री राम समिति, चांडिल के अध्यक्ष आकाश महतो के नेतृत्व में एक भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। इस शोभा यात्रा में सैकड़ों की संख्या में रामभक्तों ने उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लिया। रामभक्ति से सराबोर यह शोभा यात्रा पूरे चांडिल क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनी रही।
यात्रा की शुरुआत मंगलाचरण के साथ हुई और पूरे मार्ग में श्रीराम के जयकारे गूंजते रहे। युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था, जिन्होंने पारंपरिक परिधानों में ढोल-नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए शोभा यात्रा को जीवंत बना दिया। वहीं, महिलाओं की भागीदारी भी इस आयोजन में विशेष रूप से देखने को मिली। उन्होंने भक्ति गीतों और धार्मिक झांकियों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
डीजे की धुन पर रामभक्त झूमते नजर आए, जिससे शोभा यात्रा और भी रंगीन और आकर्षक बन गई। सभी ने भगवा अंग वस्त्र धारण किया हुआ था, जिससे पूरे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा और एकता की भावना झलक रही थी। रामनवमी के इस पर्व को जन्मोत्सव की तरह पूरे उल्लास और धूमधाम से मनाया गया।
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स्थानीय लोगों ने शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह शरबत और जलपान की व्यवस्था कर अतिथि सत्कार की मिसाल पेश की। इस आयोजन के सफल संचालन के लिए श्री राम समिति और स्थानीय प्रशासन ने विशेष सहयोग किया। अध्यक्ष आकाश महतो ने सभी श्रद्धालुओं और सहयोगियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि “रामनवमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारे संस्कारों और एकता का प्रतीक है।”
यह शोभा यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सामूहिक सहभागिता का संदेश भी लेकर आई।
वीडियो देखें :
क्राइम
रेलवे ट्रैक पर मिला महिला का शव, 24 घंटे में पुलिस ने सुलझाई हत्या की गुत्थी

सरायकेला : यशपुर रेलवे फाटक से महज 100 मीटर की दूरी पर पड़ा महिला का शव अब एक सनसनीखेज हत्या की गवाही दे रहा है। यह मामला सरायकेला जिले के गम्हरिया थाना क्षेत्र का है, जहाँ एक अज्ञात महिला की लाश रेलवे ट्रैक पर मिलने से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।
स्थानीय लोगों की सूचना पर मौके पर पहुँची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की। शुरुआत में मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा था, लेकिन पुलिस की सतर्कता और एसडीपीओ के नेतृत्व में गठित एसआईटी (विशेष जांच टीम) ने महज 24 घंटे में इस रहस्य से पर्दा हटा दिया।
पुलिस ने मृतका की पहचान भवानी कैवर्त के रूप में की, जो कि नारायणपुर गांव, सरायकेला की रहने वाली थीं। लेकिन इससे भी चौंकाने वाला तथ्य तब सामने आया जब जांच में पता चला कि इस हत्या को अंजाम किसी और ने नहीं, बल्कि महिला के अपने पोते लक्ष्मण कैवर्त और उसके साथी चंदन कैवर्त ने ही दिया।
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एसडीपीओ के अनुसार, प्रारंभिक पूछताछ में यह स्पष्ट हुआ है कि हत्या आपसी पारिवारिक विवाद के चलते की गई। हत्या को रेलवे दुर्घटना की शक्ल देने के लिए महिला के शव को ट्रैक पर फेंक दिया गया था। लेकिन पुलिस की टीम ने तकनीकी साक्ष्य, कॉल रिकॉर्ड और मौके की बारीकी से जांच कर साजिश की परतें खोल दीं।
फिलहाल दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, और मामले की आगे की जांच जारी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस घटना में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अपराध चाहे जितना भी शातिर तरीके से क्यों न किया गया हो, कानून की नजर से छुप नहीं सकता।
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ट्रेन लेट होना अब सिर्फ असुविधा नहीं, एक सामाजिक अन्याय बन चुका है।

ट्रेन लेट होना अब सिर्फ असुविधा नहीं, एक सामाजिक अन्याय बन चुका है। सरकार और रेलवे को इस पर ध्यान देना होगा। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग यह कहने लगेंगे : “रेल यात्रा का मतलब है—अनिश्चितता, असुरक्षा और असंवेदनशीलता।”
- क्या समय पर पहुँचना अब सपना बन गया है? – ट्रेन लेट होने की त्रासदी
SOCIAL DIARY : 31 मार्च 2025 का दिन, नई दिल्ली से पूरी जाने वाली ट्रेन संख्या 18102 चांडिल स्टेशन पर सुबह 11:00 बजे पहुँची, और टाटानगर जंक्शन तक पहुँचते-पहुँचते तीन घंटे 40 मिनट की देरी हो चुकी थी।
अब यह केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी हैं कई अनकही कहानियाँ — कोई परीक्षार्थी जो साल भर की मेहनत के बाद परीक्षा केंद्र पहुंचने की दौड़ में था, कोई बेटा जो अपनी बीमार माँ से आखिरी बार मिलना चाहता था, कोई महिला जो अपने बीमार बच्चे को अस्पताल ले जा रही थी।
लेकिन क्या रेलवे को इन कहानियों से कोई फर्क पड़ता है?
- ट्रेन लेट होना: आम जनजीवन पर एक गंभीर प्रभाव
भारतीय रेल देश की जीवनरेखा मानी जाती है। करोड़ों लोग प्रतिदिन रेल सेवाओं का उपयोग करते हैं—कोई काम पर जाता है, कोई इलाज के लिए सफर करता है, कोई परीक्षा देने निकलता है, तो कोई अपनों से मिलने। लेकिन जब यही ट्रेनें समय से नहीं चलतीं, तो आम जनता के जीवन पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। ट्रेन लेट होना भारत में वर्षों से एक सामान्य समस्या रही है, लेकिन इसके पीछे छिपे दर्द और संकटों की आवाज़ अब बुलंद होनी चाहिए।
Read more : ट्रेन लेट से परीक्षार्थियों और मरीजों को भारी परेशानी, आम आदमी पार्टी ने जताया विरोध
जब ट्रेन लेट होती है, तो सिर्फ समय नहीं जाता — उम्मीदें, मौके और कभी-कभी जान भी चली जाती है।
रेलवे देरी के पीछे “तकनीकी खराबी”, “भीड़”, या “मौसम” जैसे कारण गिनाता है। मगर उन लोगों का क्या जो इस देरी के कारण परीक्षा नहीं दे पाते, अस्पताल नहीं पहुँच पाते, या जिन्हें अपनों की आखिरी सांसें पकड़ने का मौका तक नहीं मिलता?
- क्या कोई जवाबदेही है?
- क्या कोई अधिकारी यह मानता है कि उसकी व्यवस्था के कारण किसी की ज़िंदगी तबाह हुई?
आज की घटना एक उदाहरण है, समस्या नहीं
यह तो हर रोज़ की कहानी बन चुकी है। देशभर में हर दिन दर्जनों ट्रेनें घंटों लेट होती हैं। लेकिन हमारी समस्या सिर्फ ट्रेन लेट होना नहीं है, समस्या है — इस देरी को सामान्य मान लेना।
हमने समय पर चलने की उम्मीद छोड़ दी है। यह खतरनाक है।
ट्रेन लेट होना केवल असुविधा नहीं, यह एक अधिकार हनन है
क्या एक नागरिक को यह अधिकार नहीं है कि वह समय पर पहुंचे? क्या सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह ऐसी व्यवस्था दे जो भरोसेमंद हो?
जैसा कि श्री अमरिख सिंह, जिला उपाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी (पूर्वी सिंहभूम) ने कहा:
“अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, किसी का एग्जाम छूट जाता है, तो इसका जिम्मेदार कौन है? यह अमानवीय कार्य बंद होना चाहिए।”
यह प्रश्न केवल एक व्यक्ति का नहीं है, यह हर उस नागरिक का है जो रेल व्यवस्था पर निर्भर है।
अब वक्त है बदलाव का
रेलवे को चाहिए कि वह—
- हर स्टेशन पर रीयल टाइम सूचना प्रणाली को मजबूत करे
- देरी की स्थिति में यात्रियों को मुआवजा दे
- गंभीर मामलों में जवाबदेही तय करे
- आपातकालीन यात्राओं के लिए प्राथमिकता को सिस्टम में शामिल करे
Read more : बिजली उपभोक्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर दिया ज्ञापन, दोपहर 12 बजे बिजली ऑफिस में हुआ आयोजन
घटना का संदर्भ:
31 मार्च 2025 को नई दिल्ली से पूरी जाने वाली ट्रेन संख्या 18102, जो टाटानगर होते हुए गुजरती है, चांडिल स्टेशन पर 11:00 बजे पहुँची। यह ट्रेन टाटा जंक्शन में तीन घंटे 40 मिनट की देरी से पहुँची। इस ट्रेन में कई परीक्षार्थी अपने एग्जाम देने जा रहे थे, कुछ लोग अपने बीमार माता-पिता से मिलने, तो कुछ मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए सफर कर रहे थे।
इस देरी के कारण कई संभावनाएं संकट में पड़ीं—अगर कोई मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुँचता और उसकी जान चली जाती है, या किसी छात्र की परीक्षा छूट जाती है, तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्या रेलवे प्रशासन अपनी जवाबदेही स्वीकार करता है?
ट्रेन लेट होने के कारण:
- तकनीकी खराबियाँ: लोकोमोटिव में तकनीकी खराबियाँ अक्सर ट्रेनों की लेटलतीफी का कारण बनती हैं।
- पुरानी इंफ्रास्ट्रक्चर: रेलवे ट्रैक और सिग्नलिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण न हो पाना।
- मौसम की मार: कोहरा, बारिश, और बाढ़ जैसे प्राकृतिक कारण भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- ऑपरेशनल मिसमैनेजमेंट: ट्रेनों का समय पर प्लेटफॉर्म न मिल पाना या गलत टाइम टेबल मैनेजमेंट।
- राजनीतिक और वीआईपी मूवमेंट: कई बार विशेष ट्रेनों को प्राथमिकता देने से आम यात्री गाड़ियों की अनदेखी की जाती है।
आम जनजीवन पर प्रभाव:
- छात्रों पर असर: परीक्षा से चूकना न केवल एक मौके का नुकसान है, बल्कि मानसिक और भविष्यगत तनाव भी है।
- बीमार यात्रियों के लिए संकट: मेडिकल एमरजेंसी में देरी जानलेवा साबित हो सकती है।
- कामकाजी लोगों का नुकसान: समय पर नौकरी पर न पहुँचने से वेतन कटौती या नौकरी पर खतरा हो सकता है।
- मानसिक तनाव और असुविधा: घंटों प्रतीक्षा करना, खानपान की समस्याएँ, और थकावट यात्रियों के अनुभव को नकारात्मक बना देती है।
- परिवारिक समस्याएं: शादी, अंतिम संस्कार या किसी जरूरी पारिवारिक कार्यक्रम में देर होने से सामाजिक पीड़ा उत्पन्न होती है।
जवाबदेही का सवाल:
जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो रेलवे प्रशासन अक्सर “अनुकूल परिस्थितियों” का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है। लेकिन एक लोकतांत्रिक देश में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। समय पर सेवा देना, खासकर जीवन-मृत्यु या भविष्य से जुड़ी यात्राओं में, कोई सुविधा नहीं, बल्कि एक अधिकार है।
जैसा कि श्री अमरिख सिंह (जिला उपाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी, पूर्वी सिंहभूम) ने भी कहा है, अगर ऐसी घटनाओं में किसी की मृत्यु होती है या किसी का भविष्य संकट में पड़ता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह इस अमानवीय व्यवस्था पर रोक लगाए और आम लोगों के अधिकारों का हनन बंद करे।
समाधान के सुझाव:
- रेलवे सिस्टम का आधुनिकीकरण और तकनीकी सुधार।
- टाइम टेबल में पारदर्शिता और वास्तविक समय पर अपडेट।
- यात्रियों को देरी की स्थिति में मुआवजा और वैकल्पिक सुविधा देना।
- ट्रेन संचालन में ज़िम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना।
- रेल यात्रियों की आपातकालीन आवश्यकताओं के लिए विशेष व्यवस्था करना।
निष्कर्ष:
ट्रेन लेट होना एक सामान्य समस्या नहीं रह गई है। यह आम जनता के जीवन, भविष्य और स्वास्थ्य से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है। सरकार और रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वे इसे गंभीरता से लें, ताकि आम आदमी को राहत मिल सके और रेल यात्रा फिर से समयबद्ध, भरोसेमंद और मानवीय बन सके। ट्रेन लेट होना अब सिर्फ असुविधा नहीं, एक सामाजिक अन्याय बन चुका है। सरकार और रेलवे को इस पर ध्यान देना होगा। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग यह कहने लगेंगे—
“रेल यात्रा का मतलब है—अनिश्चितता, असुरक्षा और असंवेदनशीलता।”
समय पर ट्रेन चलाना सिर्फ तकनीक का सवाल नहीं, यह नैतिक ज़िम्मेदारी है। और यह जिम्मेदारी अब टाली नहीं जा सकती।
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