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झारखंड

लिट्टी चौक, जमशेदपुर से एन.एच.-33 तक पुल एवं पथ निर्माण के बारे में विधायक सरयू राय ने विधान सभा में पूछा सवाल। भ्रामक उत्तर देने एवं तथ्य छिपाने के संबंध में लिखा मंत्री को पत्र।

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जमशेदपुर। झारखण्ड 

झारखण्ड विधान सभा में पूछे गये मेरे अल्पसूचित प्रश्न संख्या-अ.सू.-39, दिनांक 23.03.2022, जो लिट्टी चौक, जमशेदपुर से एन.एच.-33 तक पुल एवं पथ निर्माण के बारे में है, का पथ निर्माण विभाग द्वारा विधानसभा में भ्रामक उत्तर देने एवं तथ्य छिपाने के संबंध में माननीय मुख्य (पथ निर्माण) मंत्री, झारखण्ड सरकार, राँची को लिखा पत्र। 

उपर्युक्त विषयक मेरे प्रश्न के उत्तर में दिनांक 23.03.2022 को सदन में सरकार द्वारा बताया गया कि ‘‘जहाँ तक लिट्टी चौक एन.एच.-33 के लिए पथ निर्माण एवं पुल का प्रश्न है, यह मार्ग रेखांकन पथ निर्माण विभाग के स्वामित्व का नहीं है। जिसकी संभाव्यता एवं निधि की उपलब्धता के अनुसार अग्रेतर कार्रवाई की जा सकेगी।’’ इस संबंध में मैंने एक से अधिक बार सचिव, पथ निर्माण से अद्यतन स्थिति के बारे में जानना चाहा। परन्तु संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।

इस बीच पथ निर्माण विभाग में लंबित योजनाओं की स्थिति के बारे में मैंने जानकारी एकत्र किया तो पता चला कि लिट्टी चौक से एन.एच.-33 तक स्वर्णरेखा नदी पर पुल एवं पथ निर्माण की योजना की तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता (केन्द्रीय निरूपण संगठन) के स्तर से सितंबर 2019 में ही मिल गई है और विभागीय पत्रांक 1086 (अनु.), दिनांक 06.09.2019 द्वारा इसे प्रशासनिक स्वीकृति के लिए विभागीय सचिव के पास भेजा गया। इस योजना के लिए कुल प्राक्कलित लागत रू. 233,71,18,000/- (दो सौ तैंतीस करोड़ इकहत्तर लाख अठारह हजार रूपये) की तकनीकी स्वीकृति दी गई है। पता नहीं कि उस समय की सरकार ने ऐसा क्या किया कि योजना की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं हो पायी। मुख्य अभियंता (केन्द्रीय निरूपण संगठन), पथ निर्माण विभाग के स्तर से विभागीय सचिव को प्रशासनिक स्वीकृति हेतु भेजे गये प्रासंगिक दस्तावेज का एक अंश की छायाप्रति संलग्न है (अनु.-1)।

कोविड काल की विभीषिका में शिथिलता आने के बाद विधान सभा के पंचम (बजट) सत्र-2022 में मैंने इस योजना के बारे में प्रश्न पूछा तो पथ निर्माण विभाग ने वस्तुस्थिति के बारे में सही उत्तर नहीं दिया और वस्तुस्थिति को छिपाकर सदन को गुमराह किया। सुलभ संदर्भ हेतु प्रासंगिक प्रश्नोत्तर की छायाप्रति संलग्न है (अनु.-2)।

महोदय, आप अवगत है कि सदन में प्रश्नों का गलत/भ्रामक उत्तर देकर सदन को गुमराह करना विधान सभा की अवमानना करना है और विधान सभा में प्रश्न पूछने वाले सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन है। यहाँ यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि विधानसभा का सत्र शुरू होने के पहले माननीय संसदीय कार्यमंत्री के स्तर से सभी विभागीय सचिवों को निर्देश दिया जाता है कि विधान सभा के समक्ष माननीय सदस्यों के प्रश्नों का वे सही उत्तर दे। विभाग की ओर से सदन में प्रश्नों का उत्तर देने का दायित्व माननीय विभागीय मंत्री अथवा मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देनेवाले प्रभारी मंत्री का है।

आप सहमत होंगे कि पथ निर्माण विभाग की अन्यमस्कता एवं पूर्ववर्ती तथा वर्तमान सरकार के स्तर पर गंभीरता के आभाव के कारण जमशेदपुर और मानगो का यातायात नियंत्रित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण यह योजना अधर में लटक गई है।

आपसे अनुरोध है कि विधानसभा का द्वादश (मानसून) सत्र-2023 आरंभ होने के पूर्व उपर्युक्त विषयक योजना की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने एवं योजना निर्माण की प्रक्रिया आरंभ करने संबंधी निर्देश देने की कृपा करेंगे।

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