जमशेदपुर | झारखण्ड
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के ऊपर एवं राष्ट्रीय ओरल हेल्थ मां के उपलक्ष में रैपिड एक्शन फोर्स 106 बटालियन सुंदर नगर में पुलिस फोर्स को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशीक्षण में तंबाकू नियंत्रण को लेकर लोगों में जागरूक होकर अपने समाज परिवेश में जन-जन तक पहुंचाना।
प्रशिक्षक डॉ कामिनी लत्ता ने तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम की आवश्यकता के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होने बताया कि तंबाकू से लगभग 4000 बीमारियां उत्पन्न होती है एवं मुंह का कैंसर गले का सरना आदि आमवात सी हो गई है जो कि चिंता का विषय है इससे लोगों को बचना है तंबाकू हमारे शरीर में बाल से लेकर नाखून तक सभी अंग को प्रभावित करता है। उन्होने बताया कि तम्बाकू का उपयोग पूरी दुनियाँ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन इसका कारोबार और उपयोग विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में ज्यादा तेजी से बढ रहा है। तम्बाकू उत्पाद से बच्चे, अवस्क एवं युवा वर्ग के लोगों को बचाये जाने की आवश्यकता है।
ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (2019) द्वारा सम्पूर्ण विश्व में युवाओं द्वारा तम्बाकू सेवन से संबंधित जो आकडें संकलित किये गये हैं वह यह दर्शाता है कि भारत में 13-15 वर्ष के 8.5 प्रतिशत छात्रगण किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू का उपयोग कर रहे, तम्बाकू सेवन को नियंत्रित करने के लिए काफी प्रभावी कदम उठाये हैं। उन प्रयासों का प्रतिफल गेट्स 2 के रिपोर्ट में देखने को मिला था, जिसके मुताबिक हमारे राज्य में तम्बाकू सेवन करने वालों का प्रतिशत 50.1 % से घट कर 38.9 % पर आ गया था। लेकिन हम अभी भी राष्ट्रीय औसत (28.6%) से काफी ऊपर हैं।
सुश्री मौसूमी चटर्जी ने कहा कि तम्बाकू सेवन से हर साल देश में लगभग 13 लाख लोगों की मौत हो रही है। तम्बाकू सेवन से खास तौर पर बच्चों, अवयस्कों एवं युवा वर्ग के लोगों को बचाये जाने की आवश्यकता है। उन्होने कहा प्रायः ऐसा देखा जाता है कि राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के आस-पास तम्बाकू उत्पाद जैसे कि सिगरेट, बीडी़ पान मसाला, जर्दा एवं खैनी इत्यादि की बिक्री की जाती है। इससे कम आयु के युवाओं एवं छात्रों में धूम्रपान एवं तम्बाकू सेवन की व्यसन को बढ़ावा मिलता है। अवयस्क और युवा वर्ग तम्बाकू पर आधारित व्यापार एवं उद्योगों के निशाने पर होते हैं, यह हमारे लिए एक गंभीर समस्या है।
श्री कुन्दन कुमार ने कहा कि हम सब की जिम्मेदारी है कि अपने आनेवाले भविष्य की चिंता करते हुए युवाओं और अवयस्कों को तम्बाकू की लत से दूर रखा जाये। उन्होंने बताया कि समाज में धीरे-धीरे यह एक अभिशाप के रूप में उत्पन्न हो रहा है यह सामाजिक वातावरण भी खराब कर रहा है मानसिक ग्रस्त भी बना रहा है स्कूल जाने वाले बच्चे को उसके माता-पिता यह नोटिस करें किस तरह की संगत में शामिल है।