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झारखंड

मानव जाति की रक्षा के लिए बाबा जीवन सिंह और चार साहिबजादों की हुई कुर्बानी। एग्रिको मैदान में मनाया गया शहीदी दिहाड़ा। Protection of mankind.

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जमशेदपुर ।  झारखण्ड 

रंगरेटा महासभा की ओर से प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी लौहनगरी में शहीदी दिहाड़ा मनाया गया जिसमें झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से भी संगत का आगमन हुआ. दो दिनों तक चलने वाले इस विशाल गुरमत समागम की शुरुआत आज सुबह टुईलाडुंगरी के श्री कलगिधर गुरूद्वारा साहिब से हुई जहां सुबह 9.00 बजे विशाल शोभायात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

इस संदर्भ में जानकारी देते हुए रंगरेटा महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह गिल ने कहा कि आज से दो दिवसीय समागम की शुरुआत शिरोमणि शहीद बाबा जीवन सिंह और चार साहिबजादों के शहादत पर आधारित है. उन्होने बताया कि 15 दिसंबर से शुरू हुए अखंड पाठ का आज कलगिधर गुरूद्वारा साहिब में भोग पड़ा और फिर शोभायात्रा के साथ गुरुग्रंथ साहिब को लेकर कार्यक्रम स्थल तक बड़ी संख्या में संगत पहुंची. 

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शोभायात्रा में गतका टीम,स्त्री सभा और नौजवान सभा ने भी भाग लिया. उन्होने बताया कि सबसे आगे नौजवान सभा के युवक शोभायात्रा को ट्रैफिक कंट्रोल कर रहे थे उसके बाद गतका टीम फिर निहंग सिंह जाता और पंच प्यारे के बाद गुरु महाराज की पालकी के पीछे रंगरेटा महासभा के पदाधिकारी, बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे पानी टंकी गोलमुरी से होते हुए शोभायात्रा एग्रिको मैदान में पहुंची. 

शोभायात्रा के ऊपर जहां फूलों की वर्षा की गई तो वहीं गुरुग्रंथ साहब का संगत द्वारा भव्य स्वागत किया गया.समागम के दौरान पंजाब के चंडीगढ़ से पहुंचे कथावाचक जसवंत सिंह कार सेवा वाले ने बाबा जीवन सिंह जी के इतिहास पर प्रकाश डाला.उन्होने बताया कि बाबा जीवन सिंह जी और चार साहिबजादों की कुर्बानी मानव जाति की रक्षा के लिए हुई.वे बोले ये पूरा संसार जानता है कि सिखों की कुर्बानी ने भारत देश में हिन्दू धर्म को बचाया है. पंजाब से आए संगत के साथ कार्यक्रम में शामिल कलाकारों ने धार्मिक नाटक गुरु का बेटा द्वारा शहादत को दर्शाया.

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कौन‌ थे शहीद बाबा जीवन सिंह?

जब दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर जी की शहादत हुई तब गुरु गोविंद सिंह जी के सेवक बाबा जीवन सिंह जी ने अपने पिता की कुर्बानी दे डाली.औरंगजेब ने गुरू तेग बहादुर जी के शीश को चांदनी चौक पर रख सख्त पहरा लगा दिया और आदेश दिया कि जो भी इस शीश‌ को उठाएगा उसका भी यही हाल होगा. तब बाबा जीवन सिंह जी ने अपने पिता को कुर्बानी के लिए शीश का दान मांगा और उस शीश को लेकर चांदनी चौक पहुंचे. अब इस सख्त पहरे के बीच शीश उठाने के लिए दशम पिता से अरदास कर‌ वाहेगुरु को याद किया तब एक ऐसी आंधी चली कि अंधेरा छा गया और बाबा जीवन सिंह ने अपने पिता का‌ शीश रख गुरु तेग बहादुर जी का शीश उठा लिया.जब सैकड़ों किलोमीटर दूर आनंदपुर साहिब तक अपने हाथों में शीश‌ लेकर बाबा जीवन सिंह जी गुरू गोविन्द सिंह जी के पास पहुंचे तो उन्हें इस कुर्बानी पर उपाधी मिली “रंगरेटा गुरु का बेटा”. आज के गुरमत समागम में बड़ी संख्या में गुरुद्वारों के प्रधान एवं स्त्री सत्संग सभा की महिलाओं ने सिख गुरूओं के गौरवशाली इतिहास को सुना. 

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मौके पर सोनारी गुरूद्वारा के प्रधान तारा सिंह, तरसेम सिंह, गुलशन सिंह, कुंदन सिंह, जसबीर सिंह पदरी, अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ज्योति माथारू, पूर्व विधायक सह भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल सारंगी, करतार सिंह, कुलविंदर सिंह, जसपाल सिंह, सुरजीत सिंह खुशीपुरा, गुरदयाल सिंह मत्तेवाल,कुलदीप सिंह सहित अन्य उपस्थित थे.

उड़ीसा के राज्यपाल पहुंचे शहर कल होंगे शामिल

दो दिवसीय शहीदी दिहाड़े में शामिल होने के लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और उड़ीसा के राज्यपाल रघुबर दास आज सुबह ट्रेन से शहर पहुंच गए. सुबह एग्रिको स्थित आवास पहुंचने पर रंगरेटा महासभा के पदाधिकारियों ने राज्यपाल का स्वागत किया. कल 18 दिसंबर को 12.30 बजे से 2.00 बजे तक राज्यपाल शहीदी दिहाड़ा के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहेंगे.

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