एक बार भगवान बुद्ध कहीं बैठ कर भक्तों के बीच मनुष्य के प्रकार के बारे में प्रवचन दे रहें थे।
प्रवचन पूर्ण होने के उपरान्त एक भक्त ने बुद्ध से प्रश्न किया – प्रभु, आपने अभी कहा कि मनुष्य चार प्रकार के होते है- पहला, तिमिर मे जानेवाला; दूसरा, तिमिर से ज्योति की ओर जानेवाला; तीसरा, ज्योति से तिमिर की ओर जानेवाला और चौथा, ज्योति से ज्योति में जानेवाला ।
प्रभु! इसके बारे में विस्तार से बताइये।
बुद्ध बोले- “सुनो मित्र, यदि कोई मनुष्य चाण्डाल, निषाद आदि हीन कुल में जन्म ले और जीवन भर दुष्कर्म करने में बिताये, तो उसे मैं ‘तिमिर से तिमिर में जानेवाला’ मानता हूँ।”
“यदि कोई मनुष्य हीन कुल में जन्म ले तथा खाने-पीने की तकलीफ होने पर भी मन-वचन-कर्म से सत्कर्म का आचरण करे, तो मैं ऐसे मनुष्य को ‘तिमिर से ज्योति में जानेवाला’ मानता हूँ।”
“यदि कोई मनुष्य महाकुल मे जन्म ले, खाने-पीने की कमी न हो, शरीर भी रूपवान और बलवान हो, किन्तु मन, वचन तथा काया से वह दुराचारी हो, तो मैं उसे ‘ज्योति से तिमिर मे जानेवाला’ मानता हूँ।”
“किन्त जो मनुष्य अच्छे कुल में जन्म लेकर सदैव सदाचार की साधना करता हो, तो मैं उसे ‘ज्योतिसे ज्योति में जानेवाला’ – मनुष्य मानता हूँ।”
यही तो मनुष्य के प्रकार हैं।
– हेमा कुमारी, कक्षा -7, विकास विद्यालय।
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