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भारत देश में अल्पसंख्यक और उनके सुनहरे भविष्य के विकास की कहानी – पार्ट 2

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THE NEWS FRAME

दोस्तों इस विषय के – पार्ट 1 में हमने जाना कि भारत देश में अल्पसंख्यक कौन है? इसके दूसरे पार्ट में हम अल्पसंख्यक के विकास को लेकर भारत सरकार की नीतियों पर एक नजर डालेंगे।

भारत देश में अल्पसंख्यक और उनके सुनहरे भविष्य के विकास की कहानी – पार्ट 1


लेकिन इससे पहले हम यह जानेंगे कि भारत में अल्पसंख्यक की पहचान के लिए किस पद्धति का प्रयोग किया गया?

बता दें कि भारतीय संविधान के अनुसार अल्पसंख्यक बहुल जिले (एमसीडी), अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉक और दोनों के आधार पर अल्पसंख्यक बहुल नगरों की पहचान की गई है। इन क्षेत्रों की पहचान जनगणना 2001 के जनसंख्या आंकड़े और पिछड़ेपन के मानदंड के आधार पर चिन्हित किया गया है।


अब हमें यह भी जानना आवश्यक हो गया है कि अल्पसंख्यक बहुलता की पहचान के लिए प्रयुक्त जनसंख्या मानदंड क्या है?


बता दें कि प्रधानमंत्री के नए दिशा निर्देश के आधार पर ‘पर्याप्त अल्पसंख्यक आबादी’ 15 सूत्री कार्यक्रम का इस्तेमाल कर उन जिलों की पहचान की गई जो अपेक्षाकृत पिछड़ा है और जिसमें कुल जनसंख्या का कम से कम 25% से आता है। एमसीडी, एमसीबी और एमसीटी की पहचान के लिए अल्पसंख्यक समुदायों का इस्तेमाल किया गया है।

अल्पसंख्यक की पहचान करने के लिए पिछड़ेपन का मानदंड क्या हैं?

अल्पसंख्यक की पहचान करने के लिए भारतीय सरकार ने पिछड़ापन मानदंड तय किया गया है। जिसमें पहले आता है जिला स्तर पर धर्म-विशिष्ट सामाजिक एवं आर्थिक संकेतक जिसमें प्रमुख रूप से साक्षरता दर, महिला साक्षरता दर, कार्य भागीदारी, महिला कार्य भागीदारी दर को रखा गया है वहीं दूसरा जिला स्तर पर ही बुनियादी सुविधाएं संकेतक के रूप में माना गया है जैसे – घरों की पक्की दीवारों वाले परिवारों का प्रतिशत, सुरक्षित पेयजल वाले परिवारों का प्रतिशत तथा बिजली प्राप्त वाले घरों का प्रतिशत।

क्या आप जानते हैं अब तक कितने अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों की पहचान की गई है?

इसके जवाब में कहना होगा कि वर्ष 2001 में हुए जनगणना के आंकड़े और पिछड़ेपन के मानदंड के अनुसार अब तक कुल 90 अल्पसंख्यक बहुल जिले और 710 अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉक की पहचान की गई है। जिसमें से 66 नगरों को जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक बहुल नगरों की पहचान की गई है।


Multi-sectoral Development Programme (MsDP)
बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी)

एमएसडीपी (MSDP) क्या है और इसका प्रमुख उद्देश्य क्या है?

MSDP एक विशेष क्षेत्र के लिए विकास योजना है जिसे अल्पसंख्यक बहुल जिलों में ‘विकास की कमी’ को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


MSDP पर अल्पसंख्यकों के विकास के लिए सरकारी योजनाओं की विशेष जानकारी सरकारी पोर्टल पर भी देखी जा सकती है। पोर्टल का लिंक नीचे दिया गया है –


https://nagaon.gov.in/schemes/msdp#:~:text=MsDP%20is%20a%20special%20area,seen%20in%20Minority%20Concentration%20Districts
.


अल्पसंख्यक मामलों की विशेष जानकारी नीचे दिए गए इस पोर्टल पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं- 

अब हम बात करते हैं इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य की। इसका प्रमुख उद्देश्य अल्पसंख्यकों की बुनियादी जरूरत खासकर सामाजिक और आर्थिक मानकों में सुधार करना है। वहीं इन लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हुए असंतुलन को कम करने के लिए सुविधाएं प्राप्त कराना है।

अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में उनके विकास के बुनियादी ढांचे की पहचान करते हुए उन्हें प्राइमरी और माध्यमिक शिक्षा, स्वच्छता, पेयजल, पक्का आवास, स्वास्थ्य, कौशल, बिजली आपूर्ति, आय सृजन के लिए योजनाओं से जोड़ना शामिल है।

हम यह भी देखते हैं विश्व के अन्य देशों से भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहतर है। केवल भारत के पड़ोसी देशों की ही बात करें तो उनके यहां अल्पसंख्यकों के आर्थिक और सामाजिक विकास की बात तो दूर की है उनकी जनसंख्या भी लगातार शून्य हो चुकी है। इसके ठीक विपरीत भारत में अल्पसंख्यकों का सर्वांगीण विकास हो रहा है।

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