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पड़ोसी देश का हाल हुआ बेहाल, राष्ट्रपति ने की आपातकाल की घोषणा। महंगाई ने छुआ आसमान, जरूरी समानों की कीमत हुई चार गुनी।

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THE NEWS FRAME

Economic Crisis : शनिवार 02 अप्रैल, 2022

भारत का पड़ोसी देश आज भुखमरी के कगार पर खड़ा हो चुका है। खुद की नीतियों की वजह से आज उसका यह हाल है। महंगाई की चौतरफा मार की वजह से वहां की जनता अब गरीबी की मार झेलने को तैयार है। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत देश के सबसे करीबी मित्र देश श्री लंका की। श्रीलंका इस समय सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। दैनिक आवश्यताओं की चीजों के साथ ही खाने-पीने की चीजें आम आदमी के हाथों से छूटता जा रहा है, दाम आसमान पर हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि आज यानी 2 अप्रैल, 2022 को भारत के एक रुपए की कीमत 3.92 श्रीलंका रुपए हो गया है जबकि ठीक एक साल पहले यानी 2 अप्रैल, 2021 को यह 2.67 था। महंगाई की बात करें तो श्रीलंका में सब्जियों और फलों के साथ राशन के दाम आसमान छू रहे हैं। कम होंने का नाम ही नहीं ले रहे हैं और बढ़ते ही जा रहे हैं। इस समय आधा किलो मिल्क पाउडर 800 स्थानीय रुपए में मिल रहा है। वहीं दूध 2000 रुपये लीटर के बराबर आ चुका है। चीनी 300 और चावल 500 की कीमत पर मिल रहे हैं। सब्जियां 100 – 150 रुपये के पार हो चुकी हैं। इससे यह अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है की देश की स्थिति किस हाल में है।

पेट्रोल लेने के लिए वाहनों/लोगो की लंबी लाइनें लग रही है। पेट्रोल आर्मी की निगरानी में दिए जा रहे हैं। गैस सिलेंडर मिल नहीं रहे जो मिल रहा है वह बहुत महंगा हो चुका है। गैस सिलेंडर की भारी कीमत की वजह से लोग केरोसिन लेने के लिए लंबी लाइन में लगे हुए हैं। हालात बहुत बुरे हैं, लाइन इतनी लंबी होती है कि पूरा दिन निकल जा रहा है। लोग लाइनों में थक कर बेहोश हो रहे हैं कई तो बेसुध होकर मर रहे हैं। महंगाई दर 17.5% तक पहुंच गई है।

एक स्थानीय अखबार के अनुसार एक व्यक्ति ने सूप बनाने के लिए एक महीने के अंतराल पर सामान खरीदा जो कि 3 गुने से भी अधिक में मिला। बता दें कि एक महीने के भीतर सामानों की कीमतें चार गुना अधिक बढ़ गई हैं।

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श्रीलंका डूबा कर्ज में

आपको बता दें कि श्रीलंका के ऊपर विदेशी बैंकों से लगभग 51 अरब डॉलर का कर्ज है। अर्थशास्त्रियों के अनुमानित यह देश कर्ज में डूब जाएगा और किसी अन्य देश का गुलाम बन जाने की संभावना अधिक है। चर्चा यहां तक है कि चीन श्री लंका पर हावी हो सकता है। वहीं सोशल मीडिया पर स्थानीय लोगों द्वारा श्रीलंका की व्यथा बताई जा रही है। जिसमें कोई कहता है कि उनके लिए एक कप चाय तक पीना मुश्किल हो चुका है। हालात बदतर हो चुके है। रोगी के लिए दवा की कमी हो चुकी है। जो भी दवाएं मिल रही हैं, उनकी कीमत दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है।
हालांकि कुछ का मानना है कि ये हालात अचानक पैदा नहीं हुए हैं। यह लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार का नतीजा है। चंद राजनीतिक घरानों के हाथों में देश की पूरी अर्थव्यवस्था आ चुकी है और आम लोगों के पास पैसा नहीं है। जो पैसा है, उसकी अब कोई वैल्यू नहीं रह गई है। सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा और प्रदर्शन बढ़ रहे हैं। कई लोग भारत और अन्य देशों में शरण ले रहे हैं।
आपको बता दें कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है और जिससे पर्यटन प्रभावित हो रहा है। होटलों में बिजली नहीं है जिस वजह से पर्यटक रुक नहीं रहे। बता दें कि थर्मल पावर प्लांट्स के पास ईंधन नहीं है जिस वजह से प्रतिदिन पांच से छः घंटे बिजली काटी जा रही है। ऊपर से सामानों की बढ़ती कीमत, पर्यटन उद्योग पर गहरा असर डाल रही है। वहीं कोविड महामारी ने इसे बुरी तरह प्रभावित किया और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
वहीं सरकार ने मौजूदा संकट के बीच ऊर्जा मंत्री और तेल मंत्री को पद से हटा दिया है। जबकि लोगों द्वारा आरोप लग रहे हैं कि सत्ताधारी दल भ्रष्ट है।
इस आर्थिक संकट को आये पिछले एक साल से अधिक हो गया है। और श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है जिस वजह से वह न तो खाद्य पदार्थ, दवाएं और ईंधन खरीद पा रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए श्रीलंका ने मार्च 2020 से ही आयात पर रोक लगा दी थी।
इन हालातों के मद्देनजर श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे ने आज देश में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी है।
उन्होंने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति के रखरखाव के लिए यह फैसला लिया गया।
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सरकार के खिलाफ देश में प्रदर्शन तेज

श्रीलंका दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है तो वहीं लोगों का गुस्सा राष्ट्रपति के खिलाफ बढ़ गया है। उनके घर के बाहर लगातार उनके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन किये जा रहे हैं। यह प्रदर्शन देश के अन्य इलाकों में भी जारी है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस बल सख्ती के साथ पेश आ रही है। लाठी और आंसू गैस के गोले का प्रयोग किया जा रहा है।
आर्थिक संकट का असर शिक्षा के क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा है। पहली बार देश में कागज की भारी कमी आई है। जिस कारण सरकारी स्कूल कॉलेज परीक्षा तक नहीं ले पा रहे है। बिगड़े हालात में राजधानी सहित देश के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

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