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झारखंड

दोमुहानी काली मंदिर मे जो भी श्रद्धालु आते हैं उनकी मुराद माता आवश्य पुरी करती हैं : पुजारी सीताराम

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जमशेदपुर  |  झारखण्ड

दोमुहानी मे स्वर्ण रेखा नदी के तट पर स्थित सिद्धेश्वरी शमशान काली माता मंदिर की यह बेदी सदियों पुरानी है जब जंगल द संत महात्मा ऋषि मुनि तपस्वी तांत्रिक अघोरी के द्वारा यह बेदी बनाया गया जो यह बहुत महत्वपूर्ण माता का आसन है और इस आसन पर शमशान काली माता विराजमान है। मंदिर के पुजारी सीताराम चौधरी ने बताया कि धार्मिक आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टि कोन से इशाटन का नाम कुछ है जो हम बोल नहीं सकते हैं वह आसन बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है। यह दोमुहानी संगम नदी से इनकी उत्पत्ति है। खरकाई और स्वणीखा नदी के मध्य काले पत्थर के बीच इनका निवास स्थान है। स्वर्णरेखा संगम तट पर धूम नानी की महारानी सिद्धेश्वरी शमशान काली माता है जो सातवाहनी यहां पर बोली जाती है और 10 महाविद्या की शक्ति इनमें है जो भक्त सीमा रेखा में ऊपर पहुंचे हैं वह उनके बारे में जान सकते हैं जो परमकाली के 10 महाविद्या के भक्त होंगे वह इन्हें पहचान सकते हैं और जान सकते हैं, जिन पर माता का कृपा होगा।  

जय सिद्धेश्वरी शमशान काली माता यहां भैरव भैरवी हैं और बाबा बैद्यनाथ, बासुकीनाथ, महाकाल त्रिंबकेश्वर के रूप में है और आनंद भैरव, बटुक भैरव हैं। मनसा मां गुप्त रूप में नागमता और नागों का झुंड यहां निवास करते हैं तथा धरती के अंदर में एवं सांपों का झुंड जय सिद्धेश्वरी शमशान काली माता मंदिर में निवास करते हैं। पुजारी ने कहा कि इस मंदिर मे जो भी श्रद्धालु माता का दर्शन करने आते हैं, उनकी मुराद माता आवश्य पुरी करती हैं।

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