पश्चिम बंगाल

ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के 37वें स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन

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झाड़ग्राम, प. बंगाल, 19 अक्टूबर 2024 – आज ट्राइबल लाइब्रेरी, घोड़ाधारा, झाड़ग्राम में ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन (AISWA) द्वारा 37वां स्थापना दिवस समारोह बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई महत्वपूर्ण हस्तियां उपस्थित रहीं। मुख्य अतिथि के रूप में झाड़ग्राम के सांसद पद्मश्री कालीपद सोरेन, विशिष्ट अतिथि झाड़ग्राम जिला परिषद की चेयरमैन श्रीमती चिन्मयी हांसदा, उड़ीसा के प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री डॉ. दामयंती बेसरा, पूर्व चेयरमैन झाड़ग्राम प्रखंड सुश्री रेखा सोरेन, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता श्री निरंजन हांसदा, साहित्य अकादमी नई दिल्ली के संताली भाषा के पूर्व समन्वयक डॉ. गंगाधर हांसदा, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त AISWA के संस्थापक सदस्य श्री गोराचंद मुर्मू, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता श्री भुजंग टुडू, साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार विजेता श्री मानसिंह मांझी, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता श्री तुरिया चांद बास्के, और पूर्व महासचिव श्री सचिन मांडी समारोह में मौजूद थे।

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कार्यक्रम की शुरुआत AISWA के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण किस्कु द्वारा संगठन के ध्वज फहराने के साथ हुई। इसके बाद सभी उपस्थित अतिथियों ने दिवंगत संताली लेखकों – रामदास टुडू ‘रेस्का’, साधू रामचंद मुर्मू, गुरु गोमके पं. रघुनाथ मुर्मू, रूपचंद हांसदा, और जादुमनी बेसरा के चित्रों पर माल्यार्पण किया। सभा का संचालन महासचिव श्री रविंद्र नाथ मुर्मू ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन पश्चिम बंगाल शाखा के सचिव श्री दीजापोदो हांसदा द्वारा किया गया।

महासचिव श्री रविंद्र नाथ मुर्मू ने बताया कि AISWA ने अपने 36 वर्षों की यात्रा के बाद एक वर्ष पूर्व ट्राइबल लाइब्रेरी की स्थापना की थी, और आज इसका प्रथम वर्षगांठ भी मनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि संस्था ने लगभग 1 एकड़ जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया है, जिस पर 600 लोगों के लिए एक सम्मेलन हॉल, आदिवासी पुस्तकालय, आदिवासी संग्रहालय और सभा कक्ष का निर्माण प्रस्तावित है। ये सभी विभिन्न दिवंगत महान लेखकों के नाम पर स्थापित किए जाएंगे।

मुख्य अतिथि पद्मश्री कालीपद सोरेन ने अपने वक्तव्य में कहा कि उनकी राष्ट्रीय पहचान में AISWA का बड़ा योगदान है। उन्होंने बताया कि उन्होंने संताली नाटक और कहानियां लिखी थीं और उनके पहले कहानी संग्रह पर प्राप्त पुरस्कार भी AISWA द्वारा ही प्रदान किया गया था। उन्होंने घोषणा की कि वे अपने सांसद निधि से इस परियोजना के लिए 50 लाख रुपये का प्रथम किश्त प्रदान करेंगे और हर वित्तीय वर्ष में इसे जारी रखेंगे।

विशिष्ट अतिथि श्रीमती चिन्मयी हांसदा ने कहा कि AISWA एक महत्वपूर्ण संगठन है जो आदिवासी साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जिला परिषद के मुख्य अभियंता द्वारा प्रोजेक्ट प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसकी कुल लागत लगभग 10 करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना में सांसद निधि, जिला परिषद और ट्राइबल विकास विभाग का भी सहयोग शामिल होगा।

पद्मश्री डॉ. दामयंती बेसरा ने युवाओं को साहित्य लेखन में प्रोत्साहित करने और सहयोग देने पर बल दिया। सुश्री रेखा सोरेन ने कहा कि उनके चेयरमैन कार्यकाल के दौरान पुस्तकालय और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई थी, और वे हमेशा AISWA का समर्थन करती रहेंगी।

AISWA के संस्थापक सदस्य श्री गोराचंद मुर्मू ने संगठन की ऐतिहासिक यात्रा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और इसके कार्यों की सराहना की।

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