जमशेदपुर | झारखण्ड
महोदय,
उपर्युक्त विषयक अधिसूचना की प्रति संलग्न है, जो स्वतः स्पष्ट है। गत 31 जनवरी, 2024 की शाम को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अपने पद से त्यागपत्र दिये जाने तथा उसी रात माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिये जाने के बाद तत्कालीन सरकार स्वतः भंग हो गई। तदुपरांत दिनांक 02 फरवरी, 2024 को झारखण्ड के मुख्यमंत्री के रूप में भवदीय का शपथ ग्रहण हुआ और संसदीय कार्य विभाग छोड़कर सभी विभागों के मंत्री आप स्वयं हो गये। गत 31 जनवरी की शाम और आपके शपथ लेने के बीच की अवधि में झारखण्ड में कोई सरकार नहीं थी। परंतु इस बीच में स्वास्थ्य विभाग में उपर्युक्त विषयक अधिसूचना तैयार हो गई और जिस दिन आपके सरकार ने विधान सभा में विश्वास मत प्राप्त किया उसी दिन, यानी 05 फरवरी, 2024 को, यह अधिसूचना निर्गत हो गई। इस बारे में संबंधित संचिका पर अवश्य ही किसी सक्षम प्राधिकार का इस आशय का आदेश हुआ होगा।
जब भी कोई सरकार बदलती है तो सरकार के अपदस्थ होने के समय जो भी निर्णय संचिका में लिये जाते हैं, उनकी अधिसूचना तत्काल प्रभाव से रोक दी जाती है। परंतु इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सरकार के अपदस्थ होने के बाद उपर्युक्त विषयक अधिसूचना को निर्गत कर दिया है, जो पूर्णतः अवैधानिक है। आश्चर्य है कि उपर्युक्त विषयक अधिसूचना में स्वास्थ्य विभाग ने 24 चिकित्सकों की एकमुश्त प्रतिनियुक्ति की है। कार्यपालिका नियमावली के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुरूप ऐसी प्रतिनियुक्तियाँ माननीय मुख्यमंत्री से आदेश लिये बिना नहीं की जा सकती हैं। इस संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने अथवा सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में आपने ऐसी किसी संचिका पर आदेश दिया है अथवा नहीं इस विषय में स्वास्थ्य विभाग से आपके स्तर पर जानकारी प्राप्त की जानी चाहिए।
आपको स्मरण होगा कि आज 06 फरवरी को विधानसभा में माननीय राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हो रहे चर्चा के दौरान मैंने यह विषय सदन में उठाया था और आसन के माध्यम से आपसे अनुरोध किया था कि सरकार का उत्तर देते समय इस बारे में वस्तुस्थिति की जानकारी सदन को दे दी जाय। परन्तु धन्यवाद प्रस्ताव पर परिचर्चा का उत्तर देते समय माननीय संसदीय कार्य मंत्री इस विषय पर मौन रहे, इसलिए इस विषय की ओर मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान आकृष्ट कर रहा हूँ।
महोदय, मुझे लगता है कि आपको प्रासंगिक संचिका स्वास्थ्य विभाग से मंगाकर उसका अवलोकन करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि इस मामले में प्रासंगिक नियमों का पालन हुआ है अथवा नहीं। हो सकता है कि स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारियों ने अधिसूचना निर्गत करने के पूर्व तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री से पीछे की तिथि में इस पर हस्ताक्षर करा लिया हो। यदि ऐसा है तो यह मंत्री एवं संबंधित अधिकारियों का भ्रष्ट आचरण माना जायेगा। यदि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा संचिका में पिछली तिथियों से आदेश करने के बाद यह आदेश बाद में निर्गत हुआ है तो भी यह अनुचित है, क्योंकि ऐसी अधिसूचना माननीय मुख्यमंत्री के आदेश के बगैर निर्गत नहीं की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि दिनांक 05.02.2024 को निर्गत अधिसूचना की प्रतिलिपि भेजते समय भी इसमें मुख्यमंत्री (मंत्री) के आप्त सचिव का उल्लेख नहीं है, केवल विभागीय मंत्री के आप्त सचिव का उल्लेख है। इसका अर्थ है कि आनन-फानन में यह अधिसूचना जारी की गई है और अधिसूचना जारी करते समय प्रासंगिक नियम एवं वैधानिक परम्परा की अवहेलना की गई है।
अनुरोध है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में विधिसम्मत कार्रवाई करने, उपर्युक्त विषयक अधिसूचना को रद्द करने तथा इस तरह का षडयंत्र करनेवाले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य संबंधित अधिकारियों पर विधिसम्मत कार्रवाई करने की कृपा करेंगे।
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