डुमरिया | झारखण्ड
स्वाभिमान एक सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान के तहत स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के द्वारा जिनका उद्देश्य किसी प्रकार के लाभ का नहीं बल्कि उनके माध्यम से मुख्यतया डुमरिया, गुड़ाबन्दा, पटमदा एवं बोदाम प्रखण्ड के गांवों की 1500 ग्रामीण महिलाओं के कौशल और क्षमता को एकीकृत कर निकट भविष्य में सफल इच्छुक प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं के द्वारा सूक्ष्म उद्यमों को अधिष्ठापित करने एवं चुनिंदा सूचीबद्ध एन०टी०एफ०पी० गैरकाष्ठ वनोत्पाद के प्रसंस्करण कर तैयार सामग्री को बाजार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी।
जिसकी घोषणा और लॉन्चिंग मुख्य रूप से संयोजक श्रीमती पार्वती मुण्डा, जिला परिषद सदस्य, डुमरिया सह अध्यक्ष, कृषि एवं उद्योग समिति, पूर्वी सिंहभूम के द्वारा आज दोपहर हाट मैदान, बड़ास्रोतला, पलाशवनी, डुमरिया में एक सार्वजनिक सभा में मुख्य अतिथि श्री विद्युत वरण महतो, माननीय सांसद, जमशेदपुर लोकसभा की गरीमामयी उपस्थिति में की गयी। मौके पर सुश्री आरती थींना एक्का, वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान, कृषि विज्ञान केन्द्र, पूर्वी सिंहभूम, श्री साधु चरण देवगम, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, डुमरिया, श्रीमती परमिता बनर्जी, कंसल्टिंग पार्टनर, सीएसआर और संबद्ध परियोजनाएं आर० एन० एम० सी० कोलकाता सहित अन्य उपस्थित थे।
डुमरिया प्रखण्ड में बुनियादी सुविधाओं से युक्त 5 (पाच) सी०एफ०सी० या सामान्य सुविधा केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। वर्तमान में मौसमी चयनित एन०टी०एफ०पी० गैरकाष्ठ वनोत्पाद की मैपिंग प्रक्रिया में है। पूंजीगत लागत जैसे मशीन, उपकरण और प्रशिक्षण आदि सीएसआर द्वारा प्राप्त अनुदानों एवं परामर्शी एजेंसीयों के माध्यम से समर्पित किये जायेंगे। परियोजना हेतु परिसंपत्ति जुटाने की दिशा में लगभग कुल 5 करोड़ के सकल बजट परिव्यय सीएसआर अनुदान का निवेश निर्धारित किया गया है।
इन केन्द्रों पर विशिष्ट प्रसंस्करण में समावेशी प्रशिक्षण नवंबर महीने में अस्थायी रूप से प्रारंभ होगा। उम्मीदवारों (प्रशिक्षणार्थीयों) को उत्पादन के अलावा आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पैकेजिंग, लेबलिंग, लेखांकन, प्रबंधन, विपणन, ब्राडिंग और विक्रय आदि की कार्यशाला से भी गुजरना होगा।
अब तक महिलाएं इन गैरकाष्ठ वनोत्पादों (साल के पत्ते चिरौंजी, महुआ, इमली आदि) को इकट्ठा तो करती हैं पर दूसरे जिलों और राज्यों के बिचौलियों को अपने विषम परिस्थितियों के समय सस्ते मुल्य पर बेचने को मजबूर हैं। प्रशिक्षण परिमाण को सफलतापूर्वक पूरा करके हर कोई पर पर अपनी माईक्रो प्रोसेसिंग यूनिट शुरू कर सकता है या गौरव के साथ अपनी आय बढ़ा सकता है। पिछले 12 और 13 सितंबर 2023 को विरसा कृषि विश्वविद्यालय, पूर्वी सिंहभूम में डुमरिया प्रखण्ड की 60 इच्छुक प्रतिभागी महिलाओं के साथ आचार बनाने की पायलट प्रशिक्षण कार्यशाला के परिणाम स्वरूप जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया और उत्साह देखने को मिला।
यह सामाजिक आर्थिक आजीविका हस्तक्षेप निश्चित रूप से आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।