जमशेदपुर। लोक संगीत जगत में अपार ख्याति प्राप्त स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के निधन से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अजय कुमार ने बुधवार को एक प्रेस बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने शारदा सिन्हा के इस दुनिया को अलविदा कहने को लोक संगीत के लिए एक बड़ी क्षति बताया। डॉ. कुमार ने कहा कि शारदा सिन्हा ने भोजपुरी लोक संगीत को एक नया आयाम दिया और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनके द्वारा गाए गए भोजपुरी लोकगीत आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं और विभिन्न समारोहों में धूमधाम से बजाए जाते हैं।
शारदा सिन्हा को लोक संगीत की उस परंपरा को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है, जिसे भोजपुरी साहित्य के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर ने शुरू किया था। उनके गीतों में भोजपुरिया मिट्टी की महक थी, जो लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करती थी। शारदा सिन्हा ने अपने गायन के माध्यम से न केवल लोकगीतों को जीवंत रखा, बल्कि उन्हें एक नया जीवन दिया। उनके गीतों में भावनाओं की गहराई थी जो सीधे श्रोताओं के दिलों तक पहुंचती थी।
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छठ पर्व के पारंपरिक गीतों को शारदा सिन्हा ने अपने सुरीले स्वर में गाकर उन्हें अमर बना दिया। उनका यह योगदान बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश समेत पूरे भोजपुरी भाषा-भाषी क्षेत्र में अतुलनीय है। विशेष रूप से छठ पर्व के गीत ‘केलवा के पात पर उगेलन सूरज मल झुक’ और ‘हे छठी माई’ जैसे गीतों ने उन्हें एक अमिट पहचान दी। शारदा सिन्हा के इन गीतों के बिना छठ पर्व अधूरा सा लगता है। उन्होंने संगीत की इस विधा को घर-घर तक पहुंचाया, जिससे हर पीढ़ी उनके गीतों से जुड़ी रही।
डॉ. अजय कुमार ने शारदा सिन्हा के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस अपार दुख को सहने की शक्ति दें। उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा का जाना न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे लोक संगीत प्रेमी समाज के लिए गहरा आघात है। उनका संगीत सदा हमें उनकी याद दिलाता रहेगा और उनकी इस विरासत को संजोने और आगे बढ़ाने का जिम्मा अब हम सभी का है।
शारदा सिन्हा का जाना लोक संगीत के लिए एक युग के अंत जैसा है। उनके संगीत और उनकी आवाज का जादू आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर के रूप में हमेशा जीवित रहेगा।