सरिया | झारखण्ड
आखिर जाम और लगातार हो रहे, घटना को देखते हुए अब सरिया के बीच बाजार में रेलवे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज (रेलवे पुल) को अंतिम स्वीकृति दे दिया गया। अब, यहां के आवाम को रेलवे ओवरब्रिज बनने को लेकर एक आशा की किरण दिखाई देना शुरू हो चुका है।
इस सम्बन्ध में जिला उपायुक्त के निर्देशानुसार लगातार पिछले दिनों से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। साथ ही जिला अमीन तथा कुछ अधिकारियों के साथ अतिक्रमण मुक्त स्थलों को चिन्हित करते हुए उनकी मापी की जा रही है।
जमीन अधिग्रहण, मुआवजा और जनता द्वारा लूट
रेलवे ओवरब्रिज के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसमें लोगों को मुआवजा दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में लगभग लोगों का रैयती प्लॉट है। खाली जमीन और मकान का मुआवजा भी दिया जा रहा है। जबकि जो खास गैरमजरुआ भूमि पर बना मकान है, उन्हें सिर्फ मकान का मुआवजा दिया जा रहा है। वैसे गैरमजरुआ भूमि जिसपर कोई मकान नहीं है, उन्हें मुआवजा से वंचित रखा गया है।
सरिया में बनने वाले रेलवे ओवरब्रिज का नक्शा |
अब मजे की बात यह है की कुछ चतुर लोग धोखे से दुसरे की जमीन अपना बता रहे और कुछ जबरजस्ती कर रहे। मामला बस मुआवजा का जो है।
जोर जबरजस्ति कर किसी दूसरे रैयत का भी जमीन लूटने में लगे है। हालाँकि ऐसे मामलों पर उन लोगो को अभी कोई राशि आवंटित नही की गई है जिसपर विवाद हो। सरिया बाजार में लगातार हो रहे अनाउंसमेंट में, सिर्फ इतना ही कहा जा रहा है की जिन लोगों का मुआवजा राशि मिल चुका है, वे स्वेच्छा से चिन्हित जमीन को अतिक्रमण मुक्त करें। और जिनकी राशि, किसी भी कारण से नहीं मिल पाई है, वो जिला मुख्यालय के भू- अर्जन पदाधिकारी से संपर्क कर अपनी बात रखें।
साथ हीं अनाउंसमेंट के जरिए यह चेतावनी भी दी जा रही है की समय रहते यदि सरिया बाजार को अतिक्रमण मुक्त नही किया गया तो, अगले महीने की एक तारीख को जबरन सरकारी मशीन द्वारा अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा। जिसकी जवाबदेही उसके स्वयं की होगी।
सरकारी दफ्तर में बिना चढ़ावा काम कैसे होगा ?
किसी ने कहा की उनके जमीन की राशि लेने जब वे जिला मुख्यालय के भू- अर्जन ऑफिस में गए तो वहां के किसी कर्मचारी ने रुपयों की जल्दी निकासी के लिए चढ़ावा की मांग की। और कहा की बिना दिए पैसों की जल्दी निकासी कैसे करोगे ? यह सरकारी दफ्तर है और सरकारी दफ्तर में बिना चढ़ावा काम कैसे होगा ?
(हालाँकि इसकी पुष्टि हम नहीं करते)
लेकिन कई बार ऐसी बातें सरकारी कार्यालयों में गए लोगों से मिली हैं जहां बिना पैसे दिए कोई काम सरलता से नहीं होता। वहीँ इसकी शिकायत भी करें तो कोई प्रभाव नहीं होता। स्थिती जस की तस रहती है।
भय, भूख और भ्रष्टाचार क्या यही है – सरकारी कार्यालयों की पहचान ?