प्रतीकात्मक चित्र |
एक समय पैगम्बर मुहम्मद ने एक बिल्ली पाली। वे उसे बहुत प्यार करते थे। जिसका नाम उन्होंने बड़ें प्यार से ‘मुएजा’ रखा था। बिल्ली भी उनके साथ घुल मिल गई थी। एक दिन की बात है, नमाज का वक्त हो रहा था और वे अपनी चटाई खोजने लगे। थोड़ी देर में उन्होंने देखा कि उनकी बिल्ली चटाई पर ही सोई हुई हैं।
अब तो उनके सामने एक समस्या उत्पन्न हो गई। एक ओर नमाज पढ़ने के लिए चटाई भी चाहिए थी तो दूरी ओर चटाई पर ‘मुएजा’ सोइ हुई थी । यदि चटाई खींच ले जाएँ तो मुएजा उठ जाएगी और उसकी निंद्रा भंग हो जाएगी। अचानक से उन्हें एक तरकीब सूझी । उन्होंने एक चाकू लिया और जितने हिस्से पर वह बिल्ली मुएजा सोयी हुई थी, चटाई का उतना हिस्सा काट कर अलग कर दिया और शेष चटाई को लेकर वे नमाज के लिए मस्जिद चले गये।
मुएजा के प्रति उनका प्रेम अतुलनीय था। एक सच्चा प्रेम था।
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