दोस्तों क्या आपके मन में भी कभी यह सवाल उठा है कि क्या वैक्सीन आने से कोरोना दुनियाँ से खत्म हो जायेगा?
तो इसका सीधा सा जवाब यह है- नहीं।
आप को बताते चलें कि कोई भी बीमारी या वायरस जब अस्तित्व में आती है तो इतनी आसानी से खत्म नहीं होती जबतक कुदरत खुद ही उसका विनाश न चाहे। वैक्सीन बस बचाव है। कोरोना से लड़ने के लिए एक सुरक्षा शील्ड है। वैसे भी कोरोना ने भयानक रूप लिया था लेकिन लोगों की जीवनशैली में बदलाव आने से कोरोना बेअसर और कमजोर होता गया। इसलिए हमारी जीवनशैली में मास्क और हाथ धोने की आदत को बरकरार रखना है ताकि कोरोना वाकई में इतना कमजोर हो जाये और आम बीमारियों की तरह आये तो भी एक से दो दिन में अपने आप गायब हो जाये।
शारीरिक कमजोरी कोरोना ग्रसित लोगों के लिए मौत का कारण बन सकती है।
एज एंड एजिंग नामक एक पत्रिका में इसका विस्तार से जिक्र किया गया है। उनके शोध के मुताबिक कोरोनाग्रस्त व्यक्ति की शारिरिक कमजोरी या दुर्बलता उसके मौत को 3 गुना ज्यादा करीब ले आती है, मजबूत शरीर वाले कोरोनाग्रस्त व्यक्तियों की तुलना में । बर्मिंघम विश्विद्यालय के नेतृत्व में जेरिएट्रिक मेडिसिन रिसर्च कोलैबोरेटिव (GEMRC) द्वारा 12 देशों के 55 हॉस्पिटलों में भर्ती 5711 रोगियों पर शोध किया गया। शोध के अनुसार दुर्बल शरीर बीमारियों को आमंत्रित करता है। हर उम्र के लोगों की शारीरिक दुर्बलता बीमारियों का कारण बन सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम इंस्टिट्यूट ऑफ इंफ्लमेशन एन्ड एजिंग के क्लिनिकल शोध वैज्ञानिक डॉ कर्ली वेल्च ने साफ तौर पर कहा है कि बुजुर्गों को कोरोना होने का खतरा अधिक होता है और इसके होने के उपरांत मृत्यु होने के चांसेस भी बढ़ जाते है।
इस शोध से यह भी समझने में आसानी हुई कि केवल बुढापा या बड़ी उम्र ही कोरोना से मौत का कारण नहीं हो सकती बल्कि शारीरिक कमजोरी भी इसके मौत का जिम्मेदार है।