जीवन में अपने लिए और अपने बच्चों के सुंदर भविष्य के लिए वृक्षारोपण अवश्य करें। ताकि हमें सुंदर जीवन मिल सके। प्रकृति हरी-भरी रहेगी तो शायद कोई वायरस हमें नुकसान न पहुंचा सकेगी और अपने बच्चों को हम भरपूर ऑक्सीजन दे सकेंगे।
प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना लिए झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी क्षेत्र के 33 वर्षीय जीतराम मुंडा जी बेहद ही सरल स्वभाव के हैं। 2018 में इकोनॉमिक्स से एमएड करने के बाद पर्यावरण की सुन्दरता को बरकरार रखने के लिए प्रयासरत भी हैं।
जीतराम मुंडा |
रांची के ओरमांझी टोल प्लाजा, पुंदाग के पास इनका ढ़ाबा चलता हैं। ग्रामीण जीवन और समाज से जुड़कर कई सामाजिक कार्यों में लगे भी रहते हैं। लेकिन प्रकृति के प्रति इनका प्रेम कम नहीं हुआ। बचपन से ही जंगल और पहाड़ ने इन्हें अपनी ओर खींच रखा है। जिस वजह से इन्होंने पेड़-पौधे लगाना जारी रखा।
वर्ष 2020 में बढ़ते कोरोना ने जहां सारी दुनियाँ को स्थिर कर दिया था, उस समय इन्होंने प्रकृति की गोद को हराभरा रखने के लिए दूसरों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना आरंभ कर दिया। स्वयं से बीजारोपण कर, निःशुल्क पोधों का वितरण आरम्भ कर दिया। इनके मनमें बस यही बात उठी की यह प्रकृति ही हमें जीवन दान देती है तो किसी भी हमारी से यह हमें बचाने में सहायता भी करेगी। फिर क्या था? बीज रोपना और पौधे बांटना आज तक जारी है। और यह काम ये पिछले 15 वर्षों से करते चले आ रहे हैं।
वर्ष 2021 में कोरोना की दूसरी लहर से ऑक्सीजन की कमी हुई और दुनियां को यह ज्ञान दे गया कि अभी तो ट्रेलर है, समय है सम्भल जाओ।
हमारे मीडिया प्रभारी ने जीतराम मुंडा जी से इस विषय में जानकारी ग्रहण की तो उन्होंने बताया कि –
“फिलहाल अभी मैंने सखुवा ( साल ) का लगभग 200 पौधा तैयार किया है, साथ ही 100 का बीजारोपण किया है। जो भी सज्जन इन पौधों की सेवा करना चाहते है वे हमारे शक्ति ढाबा नजदीक NH-33, पुनदाग टोल प्लाजा, ओरमांझी, रांची से नि: शुल्क प्राप्त कर सकते हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि – “साल का अपना धार्मिक महत्व भी है। सरना धर्म के मानने वाले लोग इसे धार्मिक वृक्ष मानते हैं। और इसके प्रति श्रद्धा रखते हैं।”
आगे की प्लानिंग पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि – “अब वे आगे नीम, पीपल और आम के वृक्ष के बीज रोपने की तैयारी में हैं। जिनके पास कम जगह है तो वो भी नीम और आम का पौधा लगा सकते हैं। वैसे महोगनी, साल (सखुआ), लाल चंदन के वृक्ष भी मैंने अपने बागीचे में लगाया है। ये प्रकृति को स्वच्छ बनाये रखने में सहयोगी तो हैं ही साथ ही इनका कॉमर्शियल वैल्यू भी है। जो लोग इनसे पैसा कमाना चाहते हैं वो इनको रोप दें और 20 साल बाद अच्छा रिटर्न उन्हें मिल जाएगा। लेकिन नए पेड़ लगाते रहें जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहे।”
और अंत में उन्होंने बताया कि -“ये पेड़ कहीं से उखाड़ कर लगाने से नही होंगे क्योंकि इनकी जड़ें पौध अवस्था में ही जमीन के बहुत अंदर तक चली जाती है। उखाड़ने पर इनका जड़ टूट जाता है। इसलिए जब भी बड़े पेड़ो को रोपे तो प्लास्टिक बैग में बीजारोपण करें। जब पौधे कुछ बड़े हो जाये तो आवश्यकता अनुसार आप उसे कहीं भी ले जाकर रोप दें – खासकर साल के पौधे। मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ कि जीवन में अपने लिए और अपने बच्चों के सुंदर भविष्य के लिए वृक्षारोपण अवश्य करें। ताकि हमें सुंदर जीवन मिल सके। प्रकृति हरी-भरी रहेगी तो शायद कोई वायरस हमें नुकसान न पहुंचा सकेगी और अपने बच्चों को हम भरपूर ऑक्सीजन दे सकेंगे।”
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