जमशेदपुर । झारखंड
चांडिल अनुमंडल के निमडीह प्रखंड के आंडा गांव में हाथी के बच्चे की मौत पर झारखंड हाई कोर्ट को स्वत संज्ञान लेना चाहिए और वन विभाग के सक्षम पदाधिकारी के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
शहर के वरीय अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने पशु प्रेमी संस्थाओं को आगे आने की अपील की है और वन विभाग के खिलाफ उन्हें मुकदमा दर्ज कराना चाहिए।
अधिवक्ता के अनुसार वे इस मामले में संस्थाओं को हर तरह से कानूनी मदद देने को तैयार है। भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 एवं संशोधन अधिनियम 2022 के अनुसार संबंधित पदाधिकारी पर मुकदमा चलना चाहिए।
उनके अनुसार देश के वन्य पशु के संवर्धन संरक्षण हेतु बड़ी राशि केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा आवंटित की जाती है और यहां हाथी का एक बच्चा सूखे कुएं में गिर जाता है और वन विभाग मुंह देखता रह जाता है।
इस अधिवक्ता के अनुसार वन विभाग के पदाधिकारी यदि समय पर उस बच्चों को निकालने की कार्रवाई करते तो वह बच्चा जीवित रहता और देश के अन्य वन्य पदाधिकारी फॉरेस्टर चेंजर के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बनता।
सुधीर कुमार पप्पू ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी आग्रह किया है कि वह इस मामले को व्यक्तिगत तौर से रुचि लें और देखें की लापरवाही कहां हुई है और लापरवाही बरतने वाले वन विभाग के कर्मियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। जिससे भविष्य में ऐसे होने वाली घटना की पुनरावृति रोकी जा सके।
अधिवक्ता पप्पू ने हाल ही में मुसाबनी क्षेत्र में बिजली करंट से पांच हाथियों का दर्दनाक मृत्यु होने का हवाला भी दिया।
उनके अनुसार उक्त मामले में भी यदि माननीय झारखंड उच्च न्यायालय ने संज्ञान ले लिया होता और सरकार ने ठोस कार्रवाई की होती तो इस बच्चे को असमय मौत के मुंह में नहीं जाना पड़ता।
पांच हाथियों के मौत मामले में वन क्षेत्र पदाधिकारी फॉरेस्ट रेंजर, वनकर्मी, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड एवं विद्युत विभाग के पदाधिकारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए थी।