“कोरोना काल में सरकार ने न ही टैक्स घटाया, ना ही छूट दी। राज्य सरकार की नीतियां भी फेल साबित हुई। नगरनिगम ने फाइन लगाकर टैक्स वसूला।” – देश के आम लोगों की राय।
लॉकडाउन और अनलॉक क्या देश यहीं पर आकर अटक गया है या इससे भी आगे कुछ है जो सरकार से छूट गया है। न ही केंद्र सरकार ने समझा और ना ही राज्य सरकार ने। आइये देश के उन आम लोगों से उनकी राय जानते हैं जो सरकारें नहीं समझ सकीं।
जब सरकार ने कमाई के सारे रास्ते ही बंद कर दिए तो किस विचार से टैक्स लिया जा रहा है। यह दर्द आम जनता किससे कहे? उनका दर्द भला कौन सुने?
लॉक डाउन से आम लोगों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा? और अनलॉक होने के बाद सरकार से लोगों को क्या उम्मीदें हैं।
इस विषय पर हमने सोशल मीडिया के माध्यम से देश के सभी लोगों से राय मांगी थी। संवेदनशील भाइयो ने अपने विचार हमें भेजे हैं। ये वो लोग हैं जो साधारण जिन्दगी जीते हुए अपना और अपने परिवार का पालन करते हैं। इनके विचारों को हम ‘The News Frame’ के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। नीतियों की वास्तविक आवश्यकता आम लोगों के हितों को देखकर ही बनाया जाता है। इन नीतियों का जब कोई लाभ जनता न ले पाए तो क्या इसे असफलता की श्रेणी में नहीं रखना चाहिए।
हम किसी की खामियां नहीं गिना रहे बल्कि आमलोगों को देखते हुए नीतियों पर पुनर्विचार करने का आग्रह कर रहे हैं।
लॉक डाउन और अनलॉक से आम लोगों के जीवन में क्या असर पड़ा, आइये जानते हैं।
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रामायण मौर्य |
लॉक डाउन से देश के हर नागरिक की तरह मैं भी परेशान हुआ हूं सबसे बड़ी समस्या थी कि काम बंद था आमदनी 0 थी लेकिन शहर में गाड़ी की EMI रूम का भाडे चालू था tv चैनल और न्यूज पेपर में भ्रामक खबरें और सोसल मीडिया ने कोरोना से ज्यादा भय का मौहाल खड़ा किया था पिछले मई में महानगर में प्रवासी मजदूरों की सड़कों, बसों, ट्रको पैदल,सायकिल का संषर्ष वास्तव में बिचलित करने वाला मौहाल था मैंने भी पूरे परिवार के साथ 1700km का सफर करके भदोही पहुचा था लेकिन इस बार के लॉक डाउन में महाराष्ट्र सरकार और केंद्र मुस्तैद है ज्यादा परेशानी नही हुई लेकिन मन मे डर जरूर है राज्य सरकार और केंद्र सरकार से विनंती है कि जो मेरे जैसे मध्यम वर्गीय परिवार है उनके लोन की किस्तों में सहूलियत दे अगर क़िस्त नही माफ कर सकते तो कम सें कम उसपे लगने वाला ब्याज ही माफ किया जाना चाहिए और बच्चों के कॉलेज, स्कूल में एडमिशन फ्री की वयवस्था करे।👏
– रामायण मौर्य, भदोही जिला, उत्तर प्रदेश।
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अली जान हुसैन |
विगत वर्षों से ही कॉलेज में पठन-पाठन प्रभावित है , खास करके राष्ट्रीय स्तर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में लगातार 2 वर्षों तक रिसर्च का कार्य रुका रहना सिर्फ शोधकर्ता का ही नहीं महाविद्यालय एवं समाज का भी क्षति है। हम ना तो प्रयोगशाला में कोई कार्य कर पा रहे हैं ना ही अपने किए हुए कार्यों की कैरक्टराइजेशन हो पा रहा है, जिससे शोधकर्ताओं के द्वारा पेपर भी प्रकाशित नहीं हो पा रहा है। कई शोध छात्रों के नियमानुसार समय पूरे हो जाने के कारण छात्रवृत्ति भी मिलना बंद हो जाएगा, छात्र अपने शोध कार्यों को लेकर काफी चिंतित हैं। अनलॉक की परिस्थिति में हम सरकार से यही उम्मीद कर ते हैं की हमें कोविड-19 नियमों को पालन करते हुए शोध से संबंधित कार्यों को संचालित करने की अनुमति दें, ताकि समय पर हम अपना शोध कार्यों को पूरा कर सकें।
– अली जान हुसैन, रिसर्च स्कॉलर, एनआईटी, जमशेदपुर, झारखंड।
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प्रभात कुमार महतो |
छात्र होने के नाते हमलोग
आज के समय में अंतिम परीक्षा का इंतजार कर रहे थे, और कई छात्रों का नामांकन जुड़ा हुआ था। जो नामांकन भी ठीक से नहीं हो पाया। बहुत सारे छात्र नामांकन भी नहीं ले पाए मैंने बड़ी मुश्किल से मेरा नामांकन करा पाया। इसके अलावा भी जो छात्रों का परीक्षा होना चाहिए था, जिस मेहनत लगन से पढ़ाई करके परीक्षाओं का तैयारी सब लोग घर में किए थे। वह सारा खत्म हो गई है ,कॉलेज की स्थिति आप सभी लोग वाकिफ है।
इसीलिए अधिकतर छात्र जो लोग लोग निजी ट्यूशन कोचिंग में ही अपनी पढ़ाई को कर पा रहे हैं, और इस लॉकडाउन में वह कोचिंग सेंटर सब कुछ बंद हो गया, जहां से पढ़ाई लिखाई का माहौल खत्म हो गया। इसके अलावा भी कोरोणा की द्वितीय फैज के कारण जिस तरह आम लोगो की मोते हो रही थी। उतने मात्रा में हमारे यहां चांडिल अनुमंडल अस्पताल
में ना डॉक्टर है और ना ठीक से इलाज होता है । अधिकतर लोगों का ऑक्सीजन की समस्याएं हो रही थी लेकिन यहां पर उनकी व्यवस्था नहीं है। जब लोग चिकित्सा के अभाव में इधर से उधर भाग रहे थे। इस बीच में मैने अपने भी परिचित संबंधियों को खो दिया। इसका मुझे बहुत दुख है।
अगर हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं ठीक से रहते। एवम् आवाजाही को बंद कर दिया गया। इससे भी भारी नुकसान हुआ लोगों का निजी गाड़ी नहीं है सबसे बड़ी समस्या तो तब हुई जब एक दूसरे लोग मदद के लिए नहीं आए, इस महामारी के दौर में लोग एक दूसरे लोग की मदद के लिए नहीं आए।
– प्रभात कुमार महतो, बीo एडo छात्र चांडिल, झारखंड।
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अंजन सेन |
मै एक जीव विज्ञान का टीचर पिछले lockdown मे किसी तरह खुद को बचा पाया अपनी आर्थिक तंगी से, लेकिन इस बार इस lockdown ने हमारी कमर तोड़ दी है, हालात बहुत बुरे है इतने की पिछले ६ वर्ष मे जब से मैंने पढना शुरू की है कभी नही रहे, अतः हम सरकार से निवेदन करते है की कृपा कर के हमारे ट्यूशन क्लास को covid प्रोटोकॉल को मानते हुए, क्लासेस को चलाने की अनुमति दे , अन्यथा ये हम टीचर्सऔर विद्यर्थिओ के लिए बहुत ही बड़ी समस्या आएगी जिससे की हमारी जीवन पर बहुत विकृत असर पड़ेगा।
और ये असर इतना बुरा होगी की हमे अपनी क्लासेस हमेशा के लिए बंद करनी पढ़ सकती है अतः सरकार से निवेदन है हम टीचर्स की मदद करे।
– अंजन सेन, शिक्षक जीव विज्ञान,
जमशेदपुर, झारखंड।
(8877341199)
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प्रोफेसर प्रशांत कुमार |
मैं, कोल्हान विश्वविद्यालय अंतर्गत अंगी भूत महाविद्यालय महिला कॉलेज चाईबासा के इंटरमीडिएट संकाय में भौतिकी विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हूं। 2020 की पहली लॉकडाउन अप्रैल माह से लेकर दूसरी लॉकडाउन 2021 की मई माह तक कुल 14 माह से इंटरमीडिएट शिक्षकों को किसी तरह मानदेय की भुगतान नहीं की गई है, जिससे सभी शिक्षक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, कई शिक्षकों ने अपने परिजनों को खो दिए, कई के परिवार कोविड-19 से संक्रमित हुए, मन काफी उदास है, शिक्षक हताश और निराश है, मैं उनमें से एक हूं। मैं इस स्थिति के लिए असंवेदनशील महाविद्यालय प्रशासन एवं जैक की लचर व्यवस्था को मानता हूं। अनलॉक होने की परिस्थिति में हम सरकार से आग्रह करेंगे, हमारे मानदेय की भुगतान अविलंब करने की व्यवस्था करें , अन्यथा किसी भी तरह की अप्रिय घटना के जिम्मेवार सरकार ही होंगे।
– प्रशांत कुमार, प्रोफेसर महिला कॉलेज, चाईबासा, भौतिकी विज्ञान (8789094647), झारखंड।
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अंकित मोदी |
लोकडाउन में कारोबार नहीं होने के कारण लोन भरने में समस्या आयी और सैलून बन्द होने के कारण इस गर्मी में बड़े बड़े बालों के बढ़ जाने पर थोड़ी समस्या आयी।
अनलॉक होने पर सरकार से निवेदन है कि हफ्ते में 2 – 2 दिन के अंतराल पर सभी तरह के दुकानदारों को दुकाने खोलने की अनुमति मिलनी चाहिए जिससे सभी का समस्या का हल हो पाए।
– अंकित मोदी, जमशेदपुर, झारखंड।
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राहुल कुमार |
Lockdown के कारण काम सब बंद पड़ा है। 2 बजे तक ही खुला है सब अगर 2 बजे बाद गाड़ी पंचर हो जाए तो क्या करे गरीब लोग को समझ नही आ रहा काम करे तो कैसे करे?
Unlock में सरकार 6 बजे तक कम से कम मार्किट खोले या पूरा लॉक करे ये कुछ लोग बिना काम के घूम रहे हैं जिन्हें काम है वो निकल नही सकते।
बहुत दिक्क्त है ट्रांसपोर्टिंग लाइन में हमलोग है कभी जाना पड़ता है लेकिन 2 बजे बाद बन्द रहो कोई दिक्कत हुई तो कल तक का इंतज़ार करो।
– राहुल कुमार, स्थानीय निवासी, समता नगर, मानगो, झारखंड।
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के पी रवि |
लॉक डाउन की वजह से लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन में कई समस्याओं ने जन्म ले लिया हैं। ऐसे समय में खास लोगों का तो चल जा रहा है। लेकिन आम लोगों को ही अधिक दिक्कतें उठानी पड़ी है। अब जब अनलॉक का समय आ रहा है तो मैं सरकार से उम्मीद करूँगा की कम से कम बाजार को शाम 8 बजे तक खोलने का आदेश दे। कोरोना के नियम का सख्ती से पालन भी होना चाहिए।
– के पी रवि, डिमना रोड, मानगो, झारखण्ड।
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अनिल कुमार |
लॉक डाउन की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति में अदभुत परिवर्तन आया है। लोगों की कमाई घटकर आधे से भी कम हो गई। वहीं स्कूल का फीस, होल्डिंग टैक्स, पानी – बिजली का बिल, कुछ भी कम नहीं हुआ। ऊपर से दवाइयों की कालाबाजारी। एक ओर जहां कम आमदनी की वजह से लोग अधमरे हो गए वहीं इन कारणों की वजह से बस किसी तरह जिंदा है।
अनलॉक में आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की नीतियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जब तक कमाएगा नहीं भारत तो आर्थिक मजबूत बनेगा कैसे।
कोरोना को लेकर सख्त नियम बनाने होंगे। कुछलोग सुनते ही नहीं है। पूरे देश में 2 से अधिक लोगों के साथ दिखने पर सुताई चालू कर देनी चाहिए। सोशल डिस्टनसिंग का पालन जीरो हो गया है। इस पर भी कड़े नियम लाने चाहिए।
– अनिल कुमार, जमशेदपुर, झारखंड।
तो ये थे कुछ जागरूक नागरिकों की लॉक डाउन और अनलॉक को लेकर प्रतिक्रियाएं। और भी बहुत से लोगों की प्रतिक्रिया हमें मिली है। जिनके विचारों को आने वाले दिनों में प्रकाशित करेंगे।
हमें सरकार से आने वाले दिनों के लिए यही आशा और उम्मीद है की हमारे देश के सभी लोगों की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो जाएगी।
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