लोगों का सरकार से सीधा सवाल है- जब कमाई नहीं तो टैक्स भी नहीं।
लॉकडाउन और अनलॉक क्या देश यहीं पर आकर ठहर गया है या इससे भी आगे कुछ है जो सरकार से छूट गया है। न ही केंद्र सरकार ने समझा और ना ही राज्य सरकार ने। आइये देश के उन आम लोगों से उनकी राय जानते हैं जो सरकारें नहीं समझ सकीं।
लॉक डाउन से आम लोगों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा? और अनलॉक होने के बाद सरकार से लोगों को क्या उम्मीदें हैं।
इस विषय पर हमने सोशल मीडिया के माध्यम से देश के सभी लोगों से राय मांगी थी। जिसमें कई संवेदनशील भाइयों ने अपने विचार हमें भेजे थे जिसे हमने कुछ दिनों पहले प्रकाशित किया था। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज भी हम उन भाइयों और मित्रों का धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इस पहल को अपना सामाजिक उत्तरदायित्व समझते हुए हमें अपने विचारों से अवगत कराया है। हम आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं।
आपके विचारों को हम ‘The News Frame’ के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। नीतियों की वास्तविक आवश्यकता आम लोगों के हितों को देखकर ही बनाया जाता है। इन नीतियों का जब कोई लाभ जनता न ले पाए तो क्या इसे असफलता की श्रेणी में नहीं रखना चाहिए। हम किसी की खामियां नहीं गिना रहे बल्कि आमलोगों को देखते हुए नीतियों पर पुनर्विचार करने का आग्रह कर रहे हैं।
लॉक डाउन और अनलॉक से आम लोगों के जीवन में क्या असर पड़ा, आइये जानते हैं।
|
अजित कुमार |
मैं एक प्ले और प्राइमरी स्कूल का संचालक हूँ। महामारी और लॉक डाउन की वजह से पिछले 15 महीने से स्कूल बंद है। ऑनलाइन क्लास चलाए जा रहे हैं, परन्तु बच्चों को पूर्ण और पर्याप्त
शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इधर लोगों का रोजगार ठप्प है, कोरोना से जूझ रहे हैं। अपनी जान बचा लेना ही बहुत है अभी। स्कूल फीस बहुत ही कम लोग दे पा रहे हैं, जिससे स्कूल की हालत खराब हो चुकी है। टीचर्स को किसी तरह सैलरी दिया जा रहा है ताकि स्कूल से बच्चों की पढ़ाई होती रहे। इस समय तो कई छोटे स्कूल बंद हो चुके हैं। ऐसी ही स्थिति रही तो जल्द ही बाकी स्कूलों में भी ताला लटक जाएगा। छोटे छोटे बच्चे अपने घरों में कैद हो चुके हैं। स्कूल से जुड़े हजारों लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। सरकार इस ओर भी ध्यान दे तो अच्छा है। फ़िलहाल हमें सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। आशा करता हूँ जल्द ही स्तिथि में सुधार होगा। पहले की तरह स्कूल खुलेगा और बच्चों की ख़ुशियाँ लौटेगीं।
– अजीत कुमार
संचालक
किड्स प्ले एवम प्राइमरी स्कूल
मानगो, जमशेदपुर।
|
देवाशीष प्रधान |
लोकडाउन में कारोबार नहीं होने के कारण सबसे अधिक नुकसान छोटे और रोजमर्रे पर निर्भर दुकानदारों को हुआ।
अनलॉक होने पर सरकार से निवेदन है कि सबसे पहले दैनिक मजदूरों और छोटे दुकानदारों को देखते हुए नीति बनाई। ताकि उनको जीवनयापन के लिए कुछ राहत मिल सके। वहीं भीड़ भाड़ वाले जगहों पर सख्ती से लॉक ही रहने दिया जाना चाहिए जबतक की कोरोना पूरी तरह से शांत न हो जाये। पार्क, मॉल, सिनेमा हॉल अभी बंद ही रहने देना सही रहेगा।
– देवाशीष प्रधान
नगर प्रबंधक (AMC)
सिदगोड़ा, जमशेदपुर।
|
डॉ मोहम्मद ताहिर हुसैन |
कोरोना महामारी ने जहां एक ओर लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दी वहीं सरकारी नीतियों की वजह से भी लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं की कैसे वैक्सिनेशन के नाम पर भी लोग ठगे जा रहे हैं।
अनलॉक के दौरान सरकार से यही अपील करूँगा की एक गरीब को देखते हुए पूरा दिन का छूट दिया जाए। ताकि लोग अपना भरण पोषण फिर से कर सकें। भीड़ को रोकने के लिए सख्ती के साथ कड़े नियम बनाने चाहिए। साथ ही वैक्सिनेशन को लेकर भ्रामक प्रचार को रोकने का भी प्रयास करते हुए, वैक्सीन लेने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए।
– डॉ मोहम्मद ताहिर हुसैन
हिन्द आई टी आई
आजादनगर, मानगो, झारखंड।
|
उत्तम चक्रवर्ती |
लॉक डाउन की वजह से आमलोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिसमें मैं भी शामिल हूँ। खासकर दैनिक जीवन बहुत प्रभावित हुआ है।
अनलॉक की नीतियों में दैनिक मजदूर वर्ग को देखते हुए कुछ अच्छा प्लान बनाये। ताकि वे भी अपना और अपने परिवार का कम से कम पेट भर सके। आम लोगों को सहूलियत देते हुए नगर निगम से होल्डिंग टैक्स कलेक्शन की राशि कोरोना काल में खत्म कर दें या आधी कर देने से बहुत राहत मिलेगी। यह एक शोचनीय विषय है जब कमाई ही खत्म हो गई तो भला सरकार को टैक्स कहाँ से भरे। ऐसे में यदि सरकार जनता की तकलीफों को दरकिनार कर देती है तो फिर आम नागरिक कहाँ जाएं।
– उत्तम चक्रवर्ती
समाजसेवी
भुइयाँडीह, जमशेदपुर, झारखंड।
|
तपन कुमार शंकर |
मैं तपन कुमार शंकर सीनियर रिसर्च फैलोशिप रसायन विज्ञान विभाग एनआईटी जमशेदपुर। लॉकडाउन के कारण शोध कार्य में काफी रुकावट ओ का सामना करना पड़ रहा है। संस्थान बंद होने के कारण एयर पोलूशन शैंबलिंग में काफी दिक्कत आ रही है। पिछले वर्ष लॉकडाउन में मैं और मेरी टीम के सदस्यों ने काफी कड़ी मेहनत के बाद जमशेदपुर शहर की ब्लैक कार्बन की मात्रा कारसंशोधन एवं इस संशोधन के माध्यम से कई रिसर्च पेपर पब्लिश्ड किए। लॉकडाउन के फल स्वरुप भी हमारी रिसर्च टीम ब्लैक कार्बन एरोसोल पर कार्य कर रही है। अतः हमें या विश्वास है कि आने वाले दिन में सबसे पहले के जैसे सामान्य हो जाएगा। मेरी पूरी टीम गवर्नमेंट से अनुरोध करती है कि जल्द से जल्द संस्थान को फिर से खोला जाए। जिससे हमारा संशोधन संशोधन का कार्य सही रूप से हो पाए।
धन्यवाद
– तपन कुमार शंकर
सीनियर रिसर्च फैलोशिप
रसायन विज्ञान विभाग
एनआईटी, जमशेदपुर।
|
रवि मार्डी |
एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में मैंने लॉक डाउन के समय बहुत से लोगों की सहायता करी है। भोजन से लेकर आर्थिक मदद तक सबमें लोगों का साथ दिया। लेकिन फिर भी मेरा सवाल बस सरकार से यही है कि जब लोग, उनका परिवार और उनके छोटे-छोटे बच्चे भूखे हैं तो आपने क्या नीति बनाई? कोरोना की चेन तोड़ने का प्लान बनाया या फिर गरीबों की सांसे तोड़ने का।
अनलॉक में इन समस्याओं से आजादी मिलने की उम्मीदें हैं। सभी लोग निर्भय होकर काम कर सके।
वैक्सिनेशन को लेकर सभी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाए।
– रवि मार्डी
समाज सेवी
जवाहर नगर, मानगो, झारखंड।
|
जसबीर सिंह |
सबसे बड़ी समस्या सामान्य खाद्य सामग्री चावल तेल की बढ़ती कीमत आई है, इस लॉकडॉन मे ।
वहीं छोटे प्राइवेट कर्मचारियों को किसी प्रकार की सहायता नही मिली। ऊपर से लोग बेरोजगार भी हुए हैं। कई कंपनियों में छंटनी तक हुई है। मेरा सरकार से अनुरोध है की महंगाई पर अंकुश लगाए और छोटे प्राइवेट कर्मचारीयों के लिए कोई नीति बनाये। जिससे उनको मदद मिल सके।
– जसबीर सिंह
एक्टर
प्राइवेट कंपनी में कार्यरत
मानगो, जमशेदपुर, झारखंड।
|
देवव्रत दुबे |
लाकडाऊन में सभी लोगों को कुछ न कुछ समस्याओं से दो चार हाथ होना ही पडा, लाकडाऊन से देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर गंभीर प्रभाव पड़ा परंतु इससे भी अधिक प्रभाव लाकडाऊन का किसी पर पड़ा है तो वह है शिक्षा व्यवस्था, इस लाकडाऊन में देश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी, यह बात सही है कि आनलाइन क्लासेस चल रही है परंतु आनलाइन क्लासेस से शिक्षा की गुणवत्ता बुरी तरह से प्रभावित हुइ है बच्चे क्लास ज्वाइन करके सो रहे हैं मोबाइल में गेम खेल रहे हैं एवम् अन्य कार्य कर रहे हैं जिससे वे समुचित और उचित शिक्षा से वंचित रह गये है, बच्चे राष्ट्र के भविष्य हैं आगे चलकर यही राष्ट्र के निति निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करेगे। क्या इस तरह से शिक्षा प्राप्त करने से इनका भविष्य उज्जवल होगा? यह एक यक्ष प्रश्न है।
– देवव्रत दुबे
जमशेदपुर, झारखंड।
|
मनोज कुमार |
लॉक डाउन मे हमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। मेरा जो भी नौकरी धंधा था, वो सब बंद हो गया, जिसके कारण परिवार को चलाना भी भारी पडने लगा।
उनके लिए जरूरी खाने-पीने का समान भी नही आ पाता था। जो भी मिलता वह महंगा मिलता था।
सरकार से यह उम्मीद है कि कालाबाजारी करने वाले लोगों पर लगाम लगाए। एक ओर तो पहले ही धंधे बैंड हो जाने से इनकम खत्म हो गई। जो बचा खुचा था उसी से परिवार पालना पड़ रहा है।
– मनोज कुमार
भदोही, उत्तरप्रदेश।
ये हैं कुछ जागरूक नागरिक। जिन्होंने लॉक डाउन और अनलॉक को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। और भी बहुत से लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं जिसे हम आने वाले दिनों में प्रकाशित करेंगे।
और हमें भी सरकार से आने वाले दिनों के लिए यही आशा और उम्मीद है की हमारे देश के सभी लोगों की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो जाएगी।
World's best IQ level developed system