फाइल फोटो : विधायक सरयू राय |
जमशेदपुर | झारखण्ड
आज विधायक सरयू राय ने झारखण्ड सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष को पत्र लिखकर माँग किया है कि वे रामगढ़ के भुरकुण्डा रेलवे स्टेषन पर स्थापित किये गये कोयला की रेलवे साईडिंग को बंद कराये तथा झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा उसे दी गई सहमति (सीटीओ) को रद्द करे। श्री राय ने पत्र के माध्यम से उन्हें बताया कि वे कल भदानीनगर, भुरकुण्डा के युवकों के अनुरोध पर स्थल निरीक्षण के लिए भुरकुण्डा गये थे। वहाँ आसपास के एक दर्जन से अधिक गाँवों से करीब पाँच सौ की संख्या में पुरूष और महिला भुक्तभोगी उपस्थित थे। भुक्तभोगियों ने बताया कि रेलवे साईडिंग से हो रहे प्रदूषण के कारण वहाँ के जनजीवन के स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है। उनकी खेतीबारी नष्ट हो रहे हैं और पूरा इलाके में भीषण प्रदूषण व्याप्त है। वे जब भी इसकी षिकायत जिला प्रषासन और स्थानीय पुलिस से करते हैं तो उन्हें ही प्रताड़ित किया जाता है और रेलवे साईडिंग चलाने वालों के द्वारा उन्हें धमकियाँ भी दी जाती हैं।
विधायक सरयू राय ने पत्र में लिखा –
स्थल निरीक्षण के क्रम में मैंने पाया कि रेलवे साईडिंग पूरी तरह से भुरकुण्डा रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म के साथ लगी हुई है। झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा रेलवे साईडिंग को स्थापित करने के लिए जो निर्देष 2011 से 2015 के बीच अधिसूचित किये गये हैं, उन निर्देषों की भी रेलवे साईडिंग स्थापित करने में घोर अवहेलना हुई है। इसके साथ ही रेलवे प्लेटफॉर्म पर रेल गाड़ी पर चढ़ने-उतरने वाले व्यक्ति सीधे प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के मानदंडों के अनुसार रेलवे साईडिंग से न्यूनतम दूरी नेषनल हाईवे/स्टेट हाईवे से 100 मीटर, स्कूल/कॉलेज/अस्पताल/पुरातत्व स्थल से 500 मीटर, नदी/झील/तालाब से 100 मीटर, वन से 200 मीटर, रेलवे लाईन से 50 मीटर और आबादी से 100 मीटर (कोई आबादी नहीं) के भीतर कोई रेलवे साईडिंग की स्थापना नहीं की जा सकती हैं। परन्तु भुरकुण्डा रेलवे स्टेषन पर रेलवे साईडिंग स्थापित करने में इन सभी मानदंडों की घोर अवहेलना की गई है, इसलिए झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा इस बारे में दी गई सहमति (सीटीओ) खारिज किया जाना आवष्यक प्रतीत हो रहा है।
भुरकुंडा रेलवे स्टेशन के किनारे करीब एक किलोमीटर तक कोयला और कोयला डस्ट का 50 से 60 फीट ऊँचा पहाड़ खड़ा है। जिससे प्रदूषण हो रहा है। साईडिंग से निकलने वाले हाईवा से ढंक कर परिवहन नहीं होता है। रेलवे रैक पर कोयले की लोडिंग-अनलोडिंग से प्लेटफॉर्म पर धूल जमा हो गई तथा कोयला के टुकड़े भुरकुण्डा रेलवे स्टेषन के प्लेटफॉर्म संख्या-2 पर पूरी लम्बाई पर बिखरी पड़ी है। इसके अतिरिक्त साईडिंग के एक बड़े भाग पर काफी दिनों से आग लगी हुई है, जिसकी गर्मी और धुएँ से आसपास के रहने वाले निवासी कष्ट का जीवन जी रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस स्थान पर रेलवे साईडिंग का रहना घोर आपत्तिजनक है।
मैंने प्रयास किया कि रेलवे साईडिंग के पास लगाये गये प्रदूषण मापक पीएम-10 मॉनिटर के आँकड़ों का अवलोकन झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के वेबसाईट पर करूँ। वेबसाईट पर प्रदूषण के आँकड़े तो दिखाई पड़ रहे हैं, परन्तु एक्सेल फॉर्म में उन्हें डाउनलोड करने पर वे आँकड़े शून्य हो जा रहे हैं। इसका अर्थ है कि प्रदूषण मापक यंत्र से झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के वेबसाईट को जोड़ने वाले प्रोग्रामिंग में फर्जीवाड़ा किया गया है। यह एक गंभीर मामला है। इसकी जाँच नितांत आवष्यक है। इसके बावजूद दिन में कई बार पीएम-10 के आँकड़ें 100 और 172 के बीच में प्रदर्शित हो रही है। जिस स्थान पर पीएम-10 मॉनिटर की स्थापना हुई है वह स्थान रेलवे प्लेटफॉर्म के एकतरफ है, जहाँ से पीएम-10 का सही विश्लेषण संभव नहीं है। अतः मैं माँग करता हूँ कि उक्त रेलवे साईडिंग को अविलंब बंद किया जाय। इसके निम्न गंभीर कारण है:-
1. रेलवे साईडिंग रेलवे प्लेटफॉर्म के किनारे होने के कारण।
2. रेलवे साईडिंग की आबादी से सटे होने के कारण।
3. जन स्वास्थ्य के मद्देनजर।
4. खेतीबारी और फल-सब्जी के उत्पादन में प्रतिकुल प्रभाव पड़ने के कारण।
5. झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा अपने ही मापदंडों का उल्लंघन कर रेलवे साईडिंग के स्थापना के लिए सहमति देने के कारण।
6. झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सहमति (सीटीओ) के शर्तों का घोर उल्लंघन होने के कारण।
7. पीएम-10 मॉनिटरिंग में फर्जीवाड़ा होने के कारण।
इसलिए मेरा अनुरोध है कि इस रेलवे साईडिंग की स्थापना के लिए झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा दिये गये सहमति (सीटीओ) को अविलंब खारिज किया जाय और ऐसे स्थान पर रेलवे साईडिंग की स्थापना की अनुमति देने वाले पर्षद के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाय।