जमशेदपुर | झारखण्ड
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीमती निर्मला कुमारी बरेलिया की अध्यक्षता में हर्ष जोहार पाठ्यक्रम को लेकर बैठक हुई। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि हर्ष जोहार पाठ्यक्रम के तहत जिले के 3 उत्कृष्ट विद्यालयों और 6 कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय के छात्राओं को सामाजिक भावनात्मक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके माध्यम से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव होगा।
इस पाठ्यक्रम से बच्चों के आत्मसम्मान, समानुभूति, स्वजागरूकता, भावनात्मक दृढ़ता आदि कौशल पर ध्यान दिया जाएगा। हर्ष जोहार पाठ्यक्रम के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करते हुए एडीपीओ ने तीनों उत्कृष्ट विद्यालयों के शिक्षकों के समक्ष संबंधित पुस्तकों का वितरण किया। मौके पर संपूर्णा कंसोर्सियम के सदस्य आशीष, अंकित, प्रीति और शाहगुफ्ता मौजूद थे।
जानें क्या हैं हर्ष जोहार पाठ्यक्रम और यह क्यों है प्रभावशाली ?
संपूर्णा कंसोर्सियम के सदस्य ने बताया की हर्ष जोहार नामक पुस्तिका सामाजिक भावनात्मक अधिगम के महत्व पर बल देती है। इस पुस्तक में सामाजिक भावनात्मक अधिगम की अनिवार्यता और इसका महत्त्व समझाया गया है।
इस पुस्तक में विभिन्न संदर्भों, उदाहरणों और समाज में सामाजिक भावनात्मक अधिगम के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। पुस्तक के माध्यम से सामाजिक भावनात्मक अधिगम को जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बताया है जो स्कूलों और समाज में सुधार के लिए आवश्यक है। इस पुस्तक में सामाजिक भावनात्मक अधिगम के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ इसके लाभ भी विस्तार से बताए गए हैं। शिक्षकों के लिए जीवन कौशल पर आधारित पाठ्यक्रम को बताया गया है। यह पाठ्यक्रम शिक्षकों को उन जीवन कौशलों का परिचय देता है जो उन्हें सफल और संतुष्ट बनाने में मदद करते हैं।
इस पुस्तक में विभिन्न जीवन कौशलों पर चर्चा की गई है जैसे संवाद कौशल, समय कौशल, समस्या हल कौशल और व्यक्तिगत विकास कौशल आदि। पाठ्यक्रम के साथ-साथ उदाहरण भी दिए गए हैं जो शिक्षकों को इन कौशलों को विकसित करने में मदद करते हैं। सामाजिक भावनात्मक अधिगम एक व्यक्ति और बच्चो के व्यक्तिगत विकास और समाज के विकास में बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए इस पुस्तक को पढ़कर आप सामाजिक भावनात्मक अधिगम के महत्व को समझ सकते हैं और इसे अपने जीवन में लागू करके समाज में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।