सरिया । झारखंड
सरिया प्रखंड के प्रमुख तीर्थ स्थान, राजदह धाम में इन दिनों हाथियों के झुंड ने खूब उत्पात मचा रखा है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इस झुंड में लगभग 30 हाथी हो सकते हैं। जिनके द्वारा जम कर उत्पात मचाया जा रहा है। बताते चले की पिछले दो वर्षों से लगातार इन हाथियों के झुंड ने सरिया के वन क्षेत्रों में अपना बसेरा बनाये हुए हैं।
बता दें कि सरिया वन क्षेत्र जंगली जीवों के रहने के लिए अनुकूल है, खासकर हाथियों के लिए। जंगल में इनके भोजन का बढ़िया स्रोत उपलब्ध है वहीं इस क्षेत्र में पर्याप्त पानी भी है। जंगल में बसेरा लेने वाले हाथियों का झुंड दिन भर जंगलों में विचरण करता है। अक्सर शाम के समय यह झुंड जंगल से बाहर निकलता है और आस पास के गांवों में उत्पात मचाता है। वहीं स्थानीय किसानों के घरों में तोड़ फोड़ कर रखे अनाज को भी चट कर जाता हैं। जिसकारण आस पास रहने वाले ग्रामीण काफी सहमे रहते हैं।
हालांकि ग्रामीणों द्वारा वन विभाग के आला अधिकारियों को इसकी सूचना दी जाती है वावजूद वन विभाग से कोई उचित पहल दिखाई नहीं देता। हाथियों द्वारा ग्रामीणों के खेतों में लगी फसल को भी अपने पैरो तले हाथियों के झुंड द्वारा कुचल कर बर्बाद कर दिया जाता है।जिससे किसानों को काफी नुकसान सहना पड़ता है। कभी कभार शाम होते ही हाथियों का झुंड रिहायशी इलाकों में आकर उत्पात मचाते हैं। ग्रामीणों और विभागीय अधिकारियों के द्वारा मिलकर इन्हें खदेड़ा जाता है।
आखिर क्यों हाथी रिहायशी इलाकों में आकर ग्रामीणों को तंग करते हैं?
बता दें कि हाथियों को झुंड में रहना पसंद है और ये अक्सर झुंड में रहकर आवागमन करते हैं। इनकी याददाश्त बहुत तेज होती है। जिस जगह से वे एक बार गुजरते हैं वापस उसी जगह से आते हैं। वापस जाने या आने में उन्हें भले ही दशकों क्यों न लगे। वे रास्ता नहीं भूलते। दशक बीतने पर उनके रास्ते में सड़क, गांव और खेत बन जाते है। वे समझ नहीं पाते कि उनके रास्ते के बीच यह सब कब बन गया? मदमस्त होकर अपना रास्ता फिर से बनाने लगते हैं। जिसकारण ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं फसलों का लालच भी इन्हें कई बार गांव में आने को मजबूर कर देता है। ईख (गन्ना), धान के फसल इन्हें बड़े प्रिय हैं जिसे ये बड़े चाव से खाते हैं।