New Delhi : शुक्रवार 13 अगस्त, 2021
देश के रक्षा मंत्री माननीय श्री राजनाथ सिंह ने आज लगातार 11 बार ट्विटर पर ट्वीट करते हुए ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने देश के प्रति सच्ची भक्ति रखने वाले महान व्यक्तियों का जिक्र करते हुए 75 वीं आजादी के महत्व को समझाया है।
उनके ट्वीट्स को हम आपके साथ साझा करते हैं। ताकि आपसे यह छूट न जाये और आप समझ सके कि रक्षा मंत्री का देश के प्रति कैसी भक्ति और संवेदना विद्यमान है। यह एक सन्देश भी है की ऐसी देशभक्ति हर भारतीय के मन में होनी चाहिए। प्रस्तुत है उनके शब्द जो उन्होंने लगातार ट्विटर पर लिखें है:
देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू हो रहे इन कार्यक्रमों को देखकर लगता है कि केवल देशवासी ही नहीं, बल्कि जल, थल, नभ, पहाड़, पठार और पासेज भी हमारे साथ ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं।
इतने सारे कार्यक्रमों की ‘विविधता’ में भी लक्ष्यों की ‘एकता’ वाले इस महोत्सव में, ‘अनेकता में एकता’ की झलक साफ दिखाई देती है, जो भारतीय संस्कृति का प्राण है।
आज जो ‘अमृत महोत्सव’ हम मना रहे हैं, उसकी भावना, या मैं कहूं स्वतंत्रता, संप्रभुता और अमरत्व की भावना, भारत के लिए कोई नई या आधुनिक भावना नहीं है। मैं कैप्टन विक्रम बतरा का ज़िक्र करना चाहूँगा, जो मृत्यु को सामने देख कर भी कहता है, ‘यह दिल माँगे मोर’। यह कौन सी भावना है, अपने राष्ट्र के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले इन अमर सपूतों को अपनी ओर से शीश झुकाकर नमन करता हूँ।
अपने सामने इतिहास बनते देखना सौभाग्य की बात होती है। इतिहास का हिस्सा बनना उससे भी बड़े सौभाग्य की बात होती है। पर हमारा यह परम सौभाग्य है, कि हम आजादी के ‘अमृत-महोत्सव’ रूपी इतिहास को न केवल बनते देख रहे हैं, बल्कि इसका हिस्सा भी बन रहे हैं।
पहले हमारे वीरों, क्रांतिकारियों को पहाड़ों में जाकर शरण लेनी पड़ती थी, आज हम उन्हीं पहाड़ों पर ‘Mountain expedition’ कर रहे हैं। 75 साल पहले स्वतंत्रता सेनानियों को islands पर भेज दिया जाता था। आज उन्हीं Islands पर सैकड़ों से अधिक तिरंगे फ़हराकर हम आज़ादी का जश्न मना रहे हैं।
चाणक्य ने अपनी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र‘ में विस्तार से सैन्य रणनीति और राज्य की सुरक्षा में सेना के महत्व की चर्चा की है। देश के लिए मर मिटने का भाव हमारे देश की सैन्य और सांस्कृतिक परम्परा है।
दूसरी बात Ideas at 75 की है तो हमें यह समझना चाहिए कि हमारे देश में आत्मनिर्भरता का विचार पिछले 75 सालों में सबसे अधिक मजबूत हुआ है। हम कभी दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक थे। मगर आज हालात बदल गए हैं।
जब पिछले दिनों मैंने Indian Aircraft Carrier ‘विक्रांत‘ को समुन्दर के सीने पर सिकन्दर की तरह चलते देखा तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। ‘विक्रांत‘ आज ‘आत्मनिर्भर भारत‘ का सबसे विशालकाय प्रतीक बन चुका है। इसका 76% content indigenous है।
यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि इन 75 सालों में भारत की सेनाओं ने एक प्रोफेशनल और पराक्रमी सेना की जो पहचान बनाई है उस पर मुझे रक्षा मंत्री के रूप में गर्व होता है।
हम भारत को शक्तिशाली भारत बनाना चाहते हैं। ऐसा भारत जो दूसरे पर हमला नहीं करना चाहता लेकिन हर चुनौती का मुँहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।आने वाले समय में हम एक और भी मज़बूत भारत का निर्माण करेंगे।
देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू हो रहे इन कार्यक्रमों को देखकर लगता है कि केवल देशवासी ही नहीं, बल्कि जल, थल, नभ, पहाड़, पठार और पासेज भी हमारे साथ ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं: रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
इतने सारे कार्यक्रमों की ‘विविधता’ में भी लक्ष्यों की ‘एकता’ वाले इस महोत्सव में, ‘अनेकता में एकता’ की झलक साफ दिखाई देती है, जो भारतीय संस्कृति का प्राण है: श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
आज जो ‘अमृत महोत्सव’ हम मना रहे हैं, उसकी भावना, या मैं कहूं स्वतंत्रता, संप्रभुता और अमरत्व की भावना, भारत के लिए कोई नई या आधुनिक भावना नहीं है। मैं कैप्टन विक्रम बतरा का ज़िक्र करना चाहूँगा, जो मृत्यु को सामने देख कर भी कहता है, ‘यह दिल माँगे मोर’।यह कौन सी भावना है: RM
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
अपने राष्ट्र के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले इन अमर सपूतों को अपनी ओर से शीश झुकाकर नमन करता हूँ: रक्षा मंत्री
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
अपने सामने इतिहास बनते देखना सौभाग्य की बात होती है। इतिहास का हिस्सा बनना उससे भी बड़े सौभाग्य की बात होती है। पर हमारा यह परम सौभाग्य है, कि हम आजादी के ‘अमृत-महोत्सव’ रूपी इतिहास को न केवल बनते देख रहे हैं, बल्कि इसका हिस्सा भी बन रहे हैं: रक्षा मंत्री
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
पहले हमारे वीरों, क्रांतिकारियों को पहाड़ों में जाकर शरण लेनी पड़ती थी, आज हम उन्हीं पहाड़ों पर ‘Mountain expedition’ कर रहे हैं। 75 साल पहले स्वतंत्रता सेनानियों को islands पर भेज दिया जाता था। आज उन्हीं Islands पर सैकड़ों से अधिक तिरंगे फ़हराकर हम आज़ादी का जश्न मना रहे हैं: RM
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
चाणक्य ने अपनी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र‘ में विस्तार से सैन्य रणनीति और राज्य की सुरक्षा में सेना के महत्व की चर्चा की है। देश के लिए मर मिटने का भाव हमारे देश की सैन्य और सांस्कृतिक परम्परा है: रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
दूसरी बात Ideas at 75 की है तो हमें यह समझना चाहिए कि हमारे देश में आत्मनिर्भरता का विचार पिछले 75 सालों में सबसे अधिक मजबूत हुआ है। हम कभी दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक थे। मगर आज हालात बदल गए हैं: श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
जब पिछले दिनों मैंने Indian Aircraft Carrier ‘विक्रांत‘ को समुन्दर के सीने पर सिकन्दर की तरह चलते देखा तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। ‘विक्रांत‘ आज ‘आत्मनिर्भर भारत‘ का सबसे विशालकाय प्रतीक बन चुका है। इसका 76% content indigenous है: श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि इन 75 सालों में भारत की सेनाओं ने एक प्रोफेशनल और पराक्रमी सेना की जो पहचान बनाई है उस पर मुझे रक्षा मंत्री के रूप में गर्व होता है: श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
हम भारत को शक्तिशाली भारत बनाना चाहते हैं। ऐसा भारत जो दूसरे पर हमला नहीं करना चाहता लेकिन हर चुनौती का मुँहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।आने वाले समय में हम एक और भी मज़बूत भारत का निर्माण करेंगे: रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 13, 2021
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