बहुत समय पहले की बात है। महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक दिन सत्संग कर रहे थे। उसी समय उनके पास एक युवक हिलेरी आया। बुद्ध ने उससे बातचीत की और उसके जीवन के बारे में पूछा तो उसने निर्भीक होकर अपने सुखमय जीवन की कहानी सन्त से कही। उसने कहा की – उसका जीवन अत्यंत सुखमय है। दुनियाँ का सबसे सुखी व्यक्ति वही है। परिवार के सभी सदस्यों पर उसे बड़ा गर्व है। परिवार के सभी लोग उसके बगैर नहीं रह सकते।
यह सुन महात्मा बुद्ध बोले तुम्हें अपने परिवार के प्रति ऐसी धारणा नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि यह दुनियाँ और दुनियाँ के लोग बहुत ही रहस्यमयी है। यहाँ अपना कोई नहीं होता। सब स्वार्थी हैं। माता-पिता की सेवा, पत्नी-बच्चों का पालन-पोषण, अपना कर्तव्य समझकर करते रहना ही श्रेष्ठतम धर्म हैं। इसका अर्थ यह नहीं की हमें उनके प्रति किसी बात की आशा रखनी चाहिए।
संत की बात हिलेरी को अच्छी नहीं लगी। उसने संत से कहा – मैं सत्य कहता हूँ, आपको विश्वास नहीं होगा कि मेरे परिवार के लोग मुझे कितना प्रेम करते हैं। यदि एक दिन के लिए भी मैं घर ना आऊं तो मेरे परिवार वालों की नींद उड़ जाती हैं, वे घबड़ाने लगते हैं, उनकी भूख-प्यास सब गायब हो जाती है। मेरी पत्नी और मेरे बच्चे तो मेरे बगैर जीवित ही नहीं रह सकते।
यह सब सुन महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और बोले वत्स चलो, तुम्हें सत्यता का मार्ग दिखलाते हैं। लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरा साथ देना होगा।
हिलेरी हाँ कहते हुए पूछता है- मुझे करना क्या होगा।
महात्मा बुद्ध ने सरलता से कहा – कल सुबह तुम्हें प्राण वायु को खींचकर मृतासन की मुद्रा में रहना होगा जबतक मैं न कहूँ उठना नहीं। इसपर युवक हिलेरी ने हामी भरते हुए अपने घर चला गया।
दूसरे दिन हिलेरी ने वैसा ही किया जैसे संत फ्रांसिस ने कहा था। अब घरवाले उसे मृत समझकर विलाप करने लगे। आसपास के सभी लोग भी एकत्रित हो गए। थोड़ी ही देर में महात्मा बुद्ध वहां आ गए। उपस्थित सभी लोग उनकी चरण वंदना करने लगे। और हिलेरी को बचाने की प्रार्थना करने लगे।
महात्मा बुद्ध ने उनसे कहा आप लोग निश्चिंत हो जाये मेरे एक मंत्र से यह युवक जीवित हो जाएगा। परन्तु इसके लिए मंत्रोच्चारित एक प्याला-भर पानी किसी को पीना पड़ेगा। और जैसे ही उस प्याले के पानी को कोई पियेगा उसकी सांसे रुक जाएगी और थोड़े ही देर में वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा लेकिन यह हिलेरी जीवित हो जाएगा।
अब यह सुनते ही वहां उपस्थित लोग एक-दूसरे का मुंह देखने लगे और इशारे करने लगे कि अब यह प्याला भर पानी पियेगा कौन? थोड़ी देर बीतने के बाद किसी को आगे ना आता देख महात्मा बुद्ध ने कहा – कोई बात नहीं इस प्याला को मैं ही पीता हूं।
यह सुन सब कह उठे – आप धन्य है। वास्तव में संत – महात्मा परोपकार के लिए ही जन्म लेते हैं। आपका यह परोपकार हम जीवन भर नहीं भूलेंगे।
युवक हिलेरी मृतासन की मुद्रा में सब सुन रहा था। महात्मा बुद्ध ने पानी भरा प्याला लिया और एक ही बार में पी लिया। पानी पीने के बाद कहा – हिलेरी उठो।
यह सुन युवक हिलेरी उठ बैठा और बोला – आप धन्य हैं महात्मन जिन्होंने सभी सांसारिक बंधनों की वास्तविकता का ज्ञान दिखलाया। आज मैं जान गया हूं की यह संसार मिथ्या है, सारे रिश्ते झूठे हैं। आपने मुझे नया जीवन दिया देकर मुझे धन्य कर दिया है। उसी समय से युवक हिलेरी अपना सबकुछ त्याग कर संत के मार्ग पर चला गया।