Jamshedpur : रविवार 12 फरवरी, 2023
कृषि विज्ञान केन्द्र, दारीसाई में मोटे अनाज की उत्पादन एवं उपयोगिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
भारत सरकार के द्वारा 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के रूप में घोषित किया गया है जिसके उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम जिला कृषि विभाग एवं आत्मा के संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में श्री सुभाष सिंह जिला परिषद सदस्य घाटशिला एवं डुमरिया से जिला परिषद सदस्य पार्वती मुंडा उपस्थित थी।
कार्यशाला के बारे में बताते हुए जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार कालिन्दी ने कहा United National General Assembly द्वारा वित्तीय वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है, जिसके आलोक में भारत सरकार ने प्रत्येक राज्य में अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। झारखण्ड राज्य में भी अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के आलोक में वर्ष भर राज्य एवं जिला स्तर पर मिलेट्स को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कार्यक्रम एवं गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
पूर्वी सिंहभूम जिले में 2 दिवसीय किसान मेला सह उत्पाद एवं पशु प्रदर्शनी का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र में किया गया है। कल के मेला में किसानों के द्वारा लाये गये विभिन्न कृषि उत्पाद में से उत्कृष्ट प्रादर्श का पुरस्कार आज दुसरे दिन मिलेट्स पर कार्यशाला के बाद दिया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के कार्यशाला में उपस्थित किसानों को क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के सह-निदेशक एवं वैज्ञानिक नूर अलाम, डलेश्वर रजक एवं गोंदरा मार्डी ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा इस वर्ष से मोटे अनाज का उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ावा देने के लिहाज से भारत सरकार के द्वारा इस तरह का कार्यक्रम किया जा रहा है।
मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, मडुआ आदि का उत्पादन हमारे झारखण्ड राज्य में भी होता है। किसान इससे जागरूक हो कि धान फसल की तरह ही मोटे अनाज हमारे खाद्य पादर्थ का हिस्सा है। इसका उत्पादन एवं उपयोग को यदि हम अन्य फसल की तरह करें तो अपने देश में चावल के बाद मोटे अनाज पुरक खाद्य पादर्थ के रूप में भारत जैसे विकासशील देशों के लिए उपयोगी साबित होगा।
पौष्टिकता से भरपूर है ये मोटे अनाज
पौष्टिक अनाजों में मोटे अनाज की खूबियाँ बताते हुए वैज्ञानिक गोंदरा मार्डी ने कहा मडुआ, ज्वार, बाजरा, कंगनी कुटकी, कोदो, चेना तथा सांवा आदि ये सभी अनाज अत्यंत प्राचीन एवं मनुष्य जाति के लिए परिचित है। कम पानी पर उपजने वाले ये अत्याधिक पौष्टिक, ग्लूटेन–रहित तथा अम्लरोधी खाद्य है इसलिए आसानी से पचने व संतुष्टि प्रदान करने वाले होते है। इन अनाजों में रेशे, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, आवश्यक अमिनो तथा वसीय अम्ल एवं विटामिन ई प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इनमें विशेषकर खनिज, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम ज्यादा मात्रा में पाये जाते हैं तथा लंबे समय तक मुक्त ग्लूकोज का प्रतिशत कम होता है परिणामस्वरूप मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इन खाद्यानों में प्रोटीन की मात्रा 6 से 11 तथा वसा की मात्रा 1.5 से 5 प्रतिशत तक अलग-अलग होती है। झारखण्ड राज्य में मोटे अनाजों के फसलों की अपार संभावनाएं है। किसान भाई धान के अलावे मोटे अनाज की खेती कर अतिरिक्त आय का स्रोत बना सकते हैं ।
उत्कृष्ट प्रादर्श के लिए 115 किसानों को मिला पुरस्कार
कार्यशाला समाप्ति के बाद किसान मेला में उत्कृष्ट प्रादर्श का पुरस्कार पार्वती मुंडा जिला परिषद डुमरिया के द्वारा किसानों के बीच किया गया। किसानों के द्वारा उत्कृष्ट प्रादर्श सरसों, गेहूँ, अरहर, चना, गेंदा फुल, जरबेरा फुल, हल्दी, ओल, मिर्च, कोहड़ा, मटर, मुली, बकरी, बत्तख, अमरूद, पपीता, केला, कागजी नीबू, फ्रेंचबीन, लौकी, आलु, गाजर, बैगन, सेम, टमाटर, फुलगोभी, पत्तागोभी, कच्चू, कटहल आदि उत्कृष्ट उत्पाद के लिए तीन श्रेणी में पुरस्कृत किया गया। कुल 115 किसानों को पुरस्कार में स्प्रेयर मशीन, खुरपी एवं बाल्टी देकर सम्मानित किया गया।
मिट्टी नमूना लेने में उत्कृष्ट कार्य के लिए कृषक मित्र हुए सम्मानित।
कृषि विभाग के स्वायल हेल्थ कार्ड योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा मिट्टी नमूना संग्रह कार्य में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषक मित्र खगेन्द्रनाथ महतो पटमदा, भक्तरंजन महतो पटमदा एवं श्यामसुन्दर साव डुमरिया को पुरस्कृत किया गया। वहीं सबसे अधिक मिट्टी नमूना संग्रह करने वाले तीन प्रखण्ड पोटका, बहरागोंड़ा एवं पटमदा के प्रसार कर्मी को ट्राफी देकर सम्मानित किया गया। वहीं कृषि विभाग के योजनान्तर्गत 9 प्रगतिशील किसानों कुल 22,500/- का डमी चेक देकर सम्मानित किया गया।
कार्यशाला में पटमदा, पोटका, बोड़ाम, मुसाबनी, डुमरिया घाटशिला, धालभूमगढ़ एवं चाकुलिया के किसानों ने भाग लिया।