Jamshedpur : बुधवार 21 दिसंबर, 2022
आज सुबह 11 बजे के करीब आमबगान मैदान, साकची में सैकड़ों की संख्या में झारखण्ड के भूमिज जनजाति एकत्रित हुई और अपने हक़ की लड़ाई का बिगुल फूंकते हुए जिला कार्यालय तक रैली किया। साथ ही पारम्परिक वेशभूषा और हथियार के साथ भूमिज समाज ने प्रदर्शन किया। महतो के खिलाफ उनकी लड़ाई क्यों है, इस सम्बन्ध में उन्होंने विस्तार से चर्चा करते हुए बताया –
हे वीर (भूमिज) वशंज के संतान है भूमि पुत्र हमारी जाति महान एवं वीर वशंज के रूप में इतिहास में दर्ज है। हमारे पूर्वजों ने समाज को व्यवस्थित रूप दिए है, हमारे पूर्वजों ने धार्मिक, अध्यात्मिक ऊँचाई की एक गरिमामय एवं लोक कल्याण को स्थापित किए हैं, हमारी विरासत विश्व धरोहर मानव कल्याण के लिए श्रेष्ठतम है। लोकतंत्र स्थापना हमारी देन है। आज इस महानतम जाति का परिचय भुमिज के नाम से जाना जाता है। इनके मूल में हमार संबंध मुण्डा जाति से कई हजार वर्षों से मधुर एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि को कायम रखा है।
पारंपरिक हथियार के साथ भूमिज आन्दोलनकर्ता |
उन्होंने आगे बताया की वर्तमान समय में महतो समुदाय बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से कुत्सित प्रयास करते हुए दोनों की जाति समुदाय को लक्ष्य करके उसके इतिहास के साथ कलंकित करने का दुस्साहस कर रहे हैं, इतिहासकारों ने एवं तत्कालिन ब्रिटिश सरकार के दस्तावेजों में, तमाम गजेटियर में भूमिज जाति को चुआड़ से संबोधित किए है। इस विषय को 50 से अधिक इतिहास की किताबें और तमाम गजेटियर में साथ ही स्कूल – कॉलेज की पाठय पुस्तक में भी यह प्रमाणित तथ्य पाए जाते हैं। यह सर्वविदित है, फिर श्री शैलेन्द्र महतो, पूर्व सांसद जो काल्पनिक रघुनाथ महतो का जन्मदाता है, उन्होंने महतो का महान नेता का स्थान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है। वर्ष 2006 के बाद से अचानक ही रघुनाथ महतो को चुआड विद्रोह का नेता बना दिया जाता है. अब मूर्ति स्थापना साधारण ज्ञान की पुस्तकों में नाम, और अपने ही कलम से निम्न दो किताबों को लिखे हैं, जिसमें भ्रामक बाते हैं, जनश्रुति का हवाला है, गलत-गलत तथा झूठा अपना कल्पना का उड़ान दिखाने की कोशिश की है. -1) झारखण्ड की समरगाथा, 2) झारखण्ड में विद्रोह का इतिहास |
पारंपरिक वेशभूषा के साथ भूमिज आन्दोलनकर्ता |
इन दो पुस्तकों को सरकार प्रकाशित नहीं करने दें. इस संबंध में, झारखण्ड के राज्यपाल महोदय एवं पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त को लिखित प्रतिवेदन दिया गया है। पश्चिम बंगाल में भूमिज समुदाय भी आन्दोलन कर रहे हैं और पश्चिम बंगाल सरकार को भी इस बारे में बार-बार आग्रह करते आ रहे हैं। बंगाल में भूमिज समुदाय आक्रोशित है, अब झारखण्ड राज्य में भी भुमिज और मुण्डा समाज के लोग धीरे-धीरे आक्रोशित होते हुए देखे जा सकते हैं। लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होने के कारण लोग शांत थे , परन्तु अब यह विषय धीरे- धीरे यहाँ के गाँवों, शहरों में फैलते जा रहे हैं। भुमिज समाज के लोगों में यह जानकारी नहीं है कि कोई अन्य समुदाय उनके इतिहास को कैसे विकृत कर सकता है ? अब एक दशक की ताजा घटनाक्रम व घटनाओं से लोग सकते में हैं। समाज विशेष के लोग अपने वीर शहीद को अपमानित होते हुए देख रहे हैं, उनके पूर्वजों के इतिहास को श्री शैलेन्द्र महतो द्वारा हड़पने की साजिश को गहराई से समझ रहे हैं।
संक्षेप में पूर्व सांसद की काल्पनिक उड़ान की झलकियाँ :-
वर्त्तमान नीमडीह प्रखण्ड के अन्तर्गत घुटियाडीह में रघुनाथ महतो का जन्म स्थान सन् 1738, उस समय बराहभूम का राजा विवेक नारायण सिंह इनके अधीन 52 मौजा में एक ग्राम घुटियाडीह जहाँ महतो समुदाय रहते भी नहीं थे। धालभूम के राजा जगन्नाथ धवलदेव और रघुनाथ महतो का फूल मितान था, दोनों एक साथ फरारी काट रहे थे। –
मुख्य बातें भूमिज को चुआड़ इतिहासकारों ने लिखा है, 50 से अधिक पुस्तकों में चुआड़ से संबंधित भूमिज के बारे में है, गैजेटियर में दर्ज है. सरकारी पाठ्यक्रम पुस्तको में लिखित है एवं आज भी पढ़ाई जाती है। इसलिए तमाम भूमिज संगठन और भुमिज समाज के प्रत्येक ग्रामीण इलाके से माताएँ, बहनें, भाई, सगे-संबंधी सहित सभी समुदाय के लोग जमशेदपुर के लौह नगरी में पहुँचने का प्रण लें। यह हमारे पुरखों का सम्मान की रक्षा है के लिए एक आहवान है।
आगे बताया की आज हम उनके सम्मान में एक दिन विशाल जनसभा कर रहे हैं और दुनिया के लोगों को बताने के लिए एक विशाल जन सभा कर रहे हैं. आपके इस कार्य से पूरे देशवासियों के साथ ही देश के शासन-प्रशासन को यह ज्ञात हो जाएगा कि हमारी जाति आदिवासी है और हम अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त करने में हिचकिचाते नहीं है, हम भुमिज है, नाईक, पाईक, मुण्डा, मानकी घटवाल, सरदार हमारे कई इतिहासिक एवं प्रशासनिक परिचय है ।
जिला ऑफिस जाते हुए भूमिज समुदाय के लोग |
उन्होंने आगे कहा हमारे पुरखों को सम्मान दिलाने के लिए, आप सभी टाटानगर पहुँचकर अपने दस्तक से दुनिया को बताएँ कि- हम भूमि पुत्र वीर वंशज की संतान, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में ब्रिटिश हुकुमत के फौज को लड़ाई में घुटनों के बल झुकने पर मजबूर कर दिए थे, आज के समय में दुनिया को दिखाना है, हम भुमिज समुदाय के लोग, जल, जंगल, जमीन के असली वारिस हैं। हमारे लिए ये सभी पुजनीय हैं एवं हम प्रकृति के पुजक है, हम आदिवासी है, हम भूमिज हैं. हम मुण्डा है, हम दुश्मनों के लिए चुआड़ बनते हैं। अगर पुनः जरूरत पड़ी तो हम फिर से चुवाड़ बन सकते हैं और “चुआड़ विद्रोह” भी कर सकते हैं, क्योंकि यह हमारा इतिहास है । उलगुलान, हुल जोहार । आज का कार्यक्रम मानिक सरदार की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
मानिक सरदार अध्यक्ष मो० 7482027436, नन्दलाल भूमिज सचिव मो0 8210226038, भीष्मदेव सिंह मुण्डा कोषाध्यक्ष मो० 7488158582
कार्यक्रम के अन्य सहयोगियों में श्री असित सिंह सरदार, प्रवक्ता, सह सलाहकार, श्री जय सिंह भुमिज, व्यवस्था एवं कर्याकर्म प्रभारी हैं ।
आज का की रूपरेखा रही –
सुबह 10:00 बजे से 11:00 बजे – समाज का झण्डोत्तोलन
11:00 बजे से 1:00 बजे दोपहर – सांस्कृतिक कार्यक्रम
1:00 बजे से 3:00 बजे – रैली प्रस्थान, बिरसा पार्क में भगवान बिरसा की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि व पुनः प्रस्थान |
3:00 बजे से 4:00 बजे – उपायुक्त को प्रतिनिधियों द्वारा ज्ञापन सौंपना एवं पुनः सभास्थल पर पहुँचना |
4:00 से 4:30 बजे – सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा।
आमंत्रित विशिष्ट अतिथिगण
डॉ सोमा सिंह मुंडा, डॉ सत्यनारायण सिंह मुंडा, श्री डोमन सिंह मुंडा
जोतिंद्र नाथ सिंह सरदार,
श्री रूद्र
विधायक संजीव सरदार,
पूर्व विधायक श्रीमती मेनका सरदार,
जिला परिषद लक्ष्मी सिंह,
श्री माधव सिंह मानकी,
श्री सुनील सिंह मानकी,
श्री आनन्द सिंह मुण्डा – राँची,
श्री बोनू सिंह सरदार, गांगोडीह,
श्री मीलू सरदार, सीनी
श्री दिनेश सरदार, माटीगोड़ा
श्री लक्ष्मी नारयण सिंह मुण्डा, राँची
श्री प्रेम शाही मुण्डा, राँची
श्री छूट भूमिज, कदमडीह
श्री विमल भूमिज, कदमडीह
श्री जगजीवन सरदार, बयागबिल
श्री निरोध सरदार, बयागबिल
श्री बंकेश्वर मुण्डा, डाटोम
श्री राजू सरदार, कुलुपा
श्री बंसीलाल सरदार, असंगी
श्री रविन्द्र सरदार, गांगोडीह
कार्यकारिणी सदस्यगण :
श्री अमर सरदार, पटमदा
श्री अशोक सरदार, सोनारी
श्री महेन्द्र भुमिज, जोजोबेड़ा
श्री गुरूपदो सिंह सरदार, नीमडीह
श्री श्याम सरदार, काण्ड्रा
श्री रामु सरदार, सीनी
श्री सागर सरदार, राजदोहा
श्री सुरेश भुमिज, तेंतला
श्री जयनाथ सरदार, नीमडीह
श्री मुकेश सिंह, दलदली
श्री रंजीत सरदार, सीनी
श्री धनंजय सरदार, बिरसानगर
श्री गुलाप सरदार, डोम जुड़ी
श्री दिवाकर सरदार, सीमी
श्री प्रदीप मुण्डा, सुन्दरनगर
श्री अर्जुन सिंह, नरसिंहपुर
श्री रघुनाव सरदार, नरसिंहपुर
श्री चन्दन सरदार, पटमदा
श्री हरिपदो सिंह, मलियंता
श्री शम्भु सिंह, बिरसानगर
श्री श्यामल सिंह, गोविन्दपुर
श्री जितेन सरदार, गोविन्दपुर
श्री रविन्द्र नाथ सरदार, आसबनी
श्री जयनाथ सरदार, लुपुमंडिह
श्रीमती मालती सरदार, सिमूलडाँगा
सलाहकार सदस्यगण :
श्री शरत सरदार, पटमदा
श्री साहेब राम मुण्डा, जमशेदपुर
श्री राखोहरि सिंह, पटमदा
श्री क्षेत्र मोहन सिंह, मानगो
श्री दिनेश सरदार, जामुनडीह
श्री चुन्नू भुमिन, सोनारी
श्री रूस्तम सरदार, पोटका
श्री शिव चरण सिंह, लुपुंगडीह
श्री गंगाधर सिंह, लुपूंगडीह
श्री अनिल प्र० सिंह, घाटशिला
श्री विभिषण सरदार, पोटका
श्री सिद्धेश्वर सरदार, पोटका
श्री हरीश भुमिज, पोटका
श्री जगन्नाथ सरदार, हातूबेड़ा
श्री युधिष्ठिर सरदार, पोटका
श्री वृहस्पति सरदार, गम्हरिया
श्री कुसुम कमल सिंह, भांगांट
श्री दुलाल सिंह, नीमडीह जांता
श्री दिलीप सरदार, तुपुडांग
श्री रंजीत सिंह, गोविन्दपुर
श्री कानचन सिंह, पावरडीह
श्री वासंती प्र0 सिंह, दारिसाई
श्री नरेन सिंह, सिमूलडांगा
श्री अबोध सिंह, सिमूलडांगा
श्री भीम सिंह मुण्डा, झाबरी उरमाल
श्री सोनू सिंह मुण्डा, चाण्डिल
श्री हरिपद सिंह, सिमूलडांगा
श्री जितेन्द्र नाथ सिंह, घाटशिला
श्री लक्ष्मी सरदार, सरायकेला
श्री मेनका सरदार, टीकर
श्री दलगोविन्द मुण्डा, नादिसाई
श्री सुनील मानकी, कुईडीह
श्री राजेन सिंह, डुमटांड
श्री भगीरथ सिंह, मुण्डा, सिल्ली
श्री कमल सिंह, बाड़ेदा
श्री बाबु लाल सरदार, बोड़ाम
श्री अनिल सिंह मुण्डा,
श्री महादेव सिंह मुण्डा, खूंटी
श्री भक्त रंजन सिंह भूमिज, पटमदा
श्री सोनू सरदार, गांजिया
श्री लाल बाबू सरदार, कुलुपटाँगा
श्री गणेश सरदार, हाता
श्री मनोज कुमार सरदार, चाकड़ी
श्री निरंजन सिंह सरदार, जमशेदपुर
श्री बैधनाथ सिंह, चाण्डिल
श्री मेयालाल सरदार, जमशेदपुर
श्री नयन गोपाल सिंह, राँची
श्री शशी भुषण सिंह, भिलाईपाहाड़ी
श्री धन्नजय सिंह, भिलाईपाहाड़ी
श्री राधाकृष्ण सिंह मुण्डा, तमाड़
श्री जगन्नाथ सिंह मानकी, तमाड़
श्री पूर्णचन्द्र सिंह, धालभूमगढ़
श्री बलराम सिंह, दुवार सीनीं
श्री योगेन्द्र सिंह मुण्डा, चक्रधरपुर
श्री माधव सिंह मानकी, रांका
श्री परेश सिंह सरदार, सोहदा
श्री दिनबन्धु सरदार, सोरमाली
श्री जयराम सिंह सरदार, नीमडीह
श्री लक्ष्मी सरदार, धातकीडीह
श्री विमल सरदार, घोड़ालॉग
श्री शत्रुघन सरदार, तेतला
श्री मंगल सिंह मुण्डा, डिमना
निवेदक समितियाँ
आदिम भूमिज मुंडा कल्याण समिति, जुड़ी
अखिल भारतीय आदिवासी भूमिज मुण्डा, कल्याण समिति, जमशेदपुर
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति, कुलामाड़ा
भुमिण विकास समिति, तोरईखोल
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति, पिछली
ओयोन आखाड़ा, तिरिलडीह
सारखण्ड ट्राइबल भूमिज काउन्सिल, जुड़ी
भारतीय आदिवासी भूमिज समाज जुड़ी
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति, बुनुडीह
ओवार आखाड़ा, पालीडीह
बिरसा चेतना मंच, बड़ा सिगदी
आदिम भुमिज मुण्डा माहाल विकास समिति, जुड़ी
झारखण्ड ट्राईबल भुमिज काउन्सिल, गम्हरिया
आदिवासी भुमिज युवा समिति, जुड़ी
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति,
सुसार आखाड़ा, टेल्को
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति, आदित्यपुर
शासन रक्षा समिति, तिरिलडीह
डुगरी रक्षा समिति, नाचोसाई
झारखण्ड ट्राईबल भुमिज काउन्सिल, नीमडीह
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति, पटमदा
चाम्पाय बाहा आखाड़ा, चांपी
भरत अस० ए०, बाइेडीह
झारखण्ड ट्राईबल भुमिज काउन्सिल, राजनगर
झारखण्ड ट्राईबल भुमिज काउन्सिल,
आदिवासी भुमिज मुण्डा महाल, झारखंड प्रदेश
आदिवासी भुमिज युवा एकता मंच, झारखंड प्रदेश
वन विकास समिति वन पोसेता, गोईलकेरा
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति,
आदिवासी भुमिज मुण्डा महाल, घाटशिला
भुमिज मुण्डा युवा संगठन, चाण्डिल
आदिम भुमिज मुण्डा कल्याण समिति,
जामजोड़ा, गोलोकुटुम्ब
समाज के पास उपलब्ध चुआह विद्रोह से सम्बंधित महतपूर्ण दस्तावेज (पुस्तक का नाम)
01. बंगाल हिस्ट्री का गजेट – I. S. S. O. Malley
02. ट्राईब एंड कास्ट ऑफ बंगाल – H. H. Resley
03. सिंहभूम, सरायकेला एंड खरसाव – T.N. Narayan singh Deo
04. बंगाल डिस्ट्रिक्ट गजेट मानभूम – H. Coupland (india civil servise-1911)
05. The Bhumij Revolt – J. C. Jha
06. Descriptive enthnology of Bengal – Edward Tuite
07. Adivasi resistance in early colonial india – Anand Bhattacharya
08. Chuar disturbances – Amrita Sengupta
09 . झारखंड इतिहास और संस्कृति – डॉ वी विरोत्तम / बिहार हिन्दी साहित्य अकादमी, पटना
10. भारत का मुक्ति संग्राम – प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली
11. Civil disturbance during The British Rule in India (1765-1857) – Sashi Bhushan choudhry
12. Census of India, 1931 volume VII Bihar and Orissa, W.G. Lacey, IC.S. – Superintendent Government Printing Bihar and Odissa, Patna
नोट- इनके अलावा भी चुआड़ विद्रोह से संबधित विभिन इतिहासकार के द्वारा लिखि गयी पुस्तको में मौजूद है।