राँची | झारखण्ड
आरक्षी महानिदेशक,
झारखण्ड, राँची।
विषय: पूर्वी सिंहभूम जिला के बिष्टुपुर साईबर थाना में दर्ज कांड संख्या 25/2023, दिनांक 23.04.2023 का अनुसंधान के संबंध में।
महाशय,
उपर्युक्त विषय में दैनिक भास्कर समाचार पत्र के जमशेदपुर संस्करण में दिनांक 17.09.2023 को एक समाचार प्रकाशित हुआ है, जिसमें साईबर थाना के प्रभारी, श्री उपेन्द्र मंडल का वक्तव्य उद्धृत किया गया है। वक्तव्य में उन्होंने कहा है कि ‘‘मंत्री बन्ना गुप्ता के वीडियो चैट मामले में सरयू राय के खिलाफ जाँच में आरोप सही पाए गए हैं। इसलिए केस में सरयू राय अब आरोपी के रूप में नामजद किए गए हैं।’’
मुझे उम्मीद थी कि दैनिक भास्कर में छपे साईबर थाना प्रभारी का यह वक्तव्य सही नहीं होगा तो वे इसका खंडन अवश्य करेंगे, परंतु इस बारे में बिष्टुपुर साईबर थाना प्रभारी का खंडन आज तक नहीं आया है। इसलिए मैं यह मानने के लिए विवश हूँ कि उनका यह वक्तव्य सही है और समाचार पत्र में उनके वक्तव्य को सही रूप में उद्धृत किया गया है।
इस कांड के संबंध में अनुसंधानकर्ता द्वारा अब तक जो जानकारियाँ विशेष न्यायाधीश (साइबर अपराध), पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर को दिया गया है, उसमें कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि अनुसंधान के दौरान मेरे विरूद्ध आरोप सही पाये गये हैं और मैं आरोपी के रूप में नामजद किया गया हूँ। फिर भी संबंधित साइबर थाना के प्रभारी ने एक समाचार पत्र को यह वक्तव्य दिया है और इस वक्तव्य का खंडन भी नहीं किया है, तो मुझे उचित प्रतीत हो रहा है कि अनुसंधान की दिशा की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करूँ। इस बारे में मैं निम्नांकित बिन्दु आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ:-
1. 23.04.2023 को एक वीडियो क्लिप सोशल मिडिया में वायरल हुआ, जिसमें झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री, श्री बन्ना गुप्ता एक महिला के साथ अश्लील वार्तालाप करते हुए दिखाई दे रहे है। श्री बन्ना गुप्ता ने उसी दिन थाना प्रभारी, साइबर थाना, बिष्टुपुर, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर के नाम से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक पत्र भेजा। पत्र में उन्होंने कहा कि ‘‘मेरी तस्वीर लगाकर किसी अज्ञात व्यक्ति ने एक अश्लील वीडियो वायरल किया है, जो ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वीडियो चैट चल रहा है। आपसे आग्रह है कि साइबर सेल द्वारा जाँच करवाने की कृपा करें।’’ उसी दिन माननीय मंत्री के पत्र के आधार पर साइबर थाना ने कांड संख्या 25/2023, दिनांक 23.04.2023 दर्ज कर लिया। दिनांक 25.04.2023 को यह प्राथमिकी उन्होंने विशेष न्यायाधीश (साइबर अपराध) के यहाँ प्रस्तुत कर दिया।
2. दिनांक 03.07.2023 को इस कांड के अनुसंधानकर्ता ने प्रसंगाधीन कांड में ‘जब्त पेन ड्राईव ’ को, जिसमें इस कांड में प्रयुक्त हुए अश्लील वीडियो क्लिप एवं अन्य ट्विटर पोस्ट का स्क्रीन शाॅट संधारित है, माननीय विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसे देखकर और इसे रिकार्ड में रखने का आदेश देकर माननीय न्यायाधीश ने इसे अनुसंधानकर्ता को सौंप दिया।
3. दिनांक 03.07.2023 को विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) के समक्ष अनुसंधानकर्ता द्वारा जो सामान प्रस्तुत किये गये, उसमें प्रस्तुतकर्ता का नाम बेलाल गुफरानी (प्रेस सलाहकार) अंकित है। इससे स्पष्ट होता है कि जिस दिन स्वास्थ्य मंत्री ने साईबर थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करने का पत्र भेजा था, उस दिन उन्होंने उस प्राथमिकी पत्र के साथ इस प्रस्तुत सामान (अश्लील वार्ता का पेन ड्राईव) को नहीं सौंपा था।
4. दिनांक 25.04.2023 को प्राथमिकी की प्रति माननीय विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) के समक्ष प्रस्तुत करते समय भी अनुसंधानकर्ता ने इस प्रस्तुत सामान को संलग्न नहीं किया था। दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद इसे न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया और प्रस्तुतकर्ता के नाम के रूप में शिकायतकर्ता मंत्री जी का नाम नहीं बल्कि बेलाल गुफरानी (प्रेस सलाहकार) का नाम अंकित किया गया है। इससे यह पता नहीं चल रहा है कि ये बेलाल गुफरानी किसके प्रेस सलाहकार हंै। इस संदर्भ में यह आशंका उत्पन्न होना उचित प्रतीत हो रहा है कि बेलाल गुफरानी ने पेन ड्राईव में जो सामग्री प्रस्तुत किया है, क्या वह सामग्री वही है जिसका उल्लेख मंत्री जी ने प्राथमिकी में किया है ?
5. इसके बाद दिनांक 03.08.2023 को अनुसंधानकर्ता ने जब्त किये गये इस पेन ड्राइव को एपीपी के माध्यम से माननीय विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) के न्यायालय में दिया और इसकी जाँच करने के लिए स्टेट फोरेंसिक साईंस लेबोरेटरी (एसएफएसएल), राँची में भेजने का अनुरोध किया, जिसे माननीय विशेष न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया।
उसी दिन माननीय विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध), जमशेदपुर के अग्रसारण पदाधिकारी ने प्रसंगाधीन कांड में जब्त पेन ड्राईव का वीडियो क्लिप जाँच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला, राँची को भेज दिया। विधि विज्ञान प्रयोगशाला को इस संबंध में भेजे गये पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि:
कृपया परीक्षण कर निम्नांकित बिन्दुओं पर मंतव्य दे:-
I. क्या पेन ड्राईव में भेजे गया अश्लील वीडियो क्लिप उवतचीमक है कि वतपहपदंस है ?
II. पेन ड्राईप में भेजे गये वीडियो का ओरिजनल सोर्स क्या है ?
III. इसके अतिरिक्त वीडियो क्लिप में अन्य कोई साक्ष्य जाँच के दौरान पता चलता है तो उसे उपलब्ध कराने की कृपा करें।
6. दिनांक 03.08.2023 को विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) द्वारा राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला को भेजे गये वीडियो क्लिप वाले पेन ड्राईव की जाँच का फलाफल की प्रतीक्षा किए बिना दिनांक 01.09.2023 को थाना प्रभारी, साईबर अपराध की ओर से एपीपी ने विशेष न्यायाधीश के समक्ष अनुरोध किया कि प्राथमिकी में आईटी एक्ट-2008 की धारा 67 (A) जोड़ दी जाय। माननीय विशेष न्यायाधीश ने इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और प्राथमिकी में धारा 67 (A) जोड़ दिया, जो गैर जमानती है। इससे पूर्व जिन धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वे धारायें हैं, भारतीय दंड संहिता-1860 की धारा 469/500 और आईटी एक्ट 2008 की धारा 66सी/68 ई/67.
7. यहाँ यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि प्राथमिकी में आई टी एक्ट-2008 की धारा 67 (A) जोड़ने का अनुरोध करते समय अनुसंधानकर्ता ने विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) के समक्ष मेमो आफ एविडेंस प्रस्तुत किया है या नहीं? ऐसा लगता है कि इसे प्रस्तुत किए बिना ही प्राथमिकी में आई टी एक्ट 2008 की धारा 67 (A) जोड़ने का अनुरोध किया गया है।
8. दिनांक 23.04.2023 को जिस सामान की प्रस्तुति के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उस दिन और दिनांक 23.04.2023 से 01.09.2023 के बीच में अनुसंधानकर्ता को ऐसी क्या अतिरिक्त सामग्री मिली, जिसके आधार पर उन्होंने माननीय विशेष न्यायाधीश के समक्ष धारा 67 (A) जोड़ने के लिए प्रार्थना करनी पड़ी। अपनी डायरी में अनुसंधानकर्ता ने इस हेतु जो विवरण माननीय विशेष न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया, उसकी जानकारी तो मुझे नहीं है, परन्तु प्राथमिकी में धारा 67 (A) जोड़ने के बाद थाना प्रभारी (साईबर अपराध), बिष्टुपुर द्वारा समाचार पत्र में मेरे विरूद्ध आरोप सही पाये जाने और केस में मुझे आरोपी नामजद करने का वक्तव्य दिया गया, इससे मुझे आशंका होती है कि राजनीतिक दुर्भावना से इस कांड में मेरा नाम जोड़ने की साजिश अनुसंधान के दौरान की जा रही है।
9. आपको सूचित करना चाहता हूँ कि इस विषय में मैंने पूर्वी सिंहभूम जिला के वरीय पुलिस अधीक्षक को दो पत्र भेजा है। एक पत्र दिनांक 24.04.2023 को और दूसरा पत्र दिनांक 27.04.2023 को भेजा है। इन पत्रों में मैंने प्रासंगिक मामले में कतिपय उल्लेख किया है, जिससे पुलिस को इस कांड के अनुसंधान में सहायता मिल सकती है। इसका संज्ञान अनुसंधानकर्ता ने किस भांति लिया अथवा नहीं लिया, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। इस बारे में अति संक्षेप में आपको सूचित करना चाहता हूँ कि:-
(क) प्रासंगिक वीडियो क्लिप स्वास्थ्य मंत्री और किसी महिला के बीच हो रहे वार्तालाप का स्क्रीन रिकार्डिंग प्रतीत होता है। सर्वविदित है कि स्क्रीन रिकार्डिंग में छेड़छाड़ करना संभव नहीं हो सकता। कारण कि वीडियो क्लिप में न केवल मंत्री और महिला के वार्तालाप की तस्वीरों में निरंतरता प्रतीत हो रही है, बल्कि उनके आवाज में भी निरंतरता है।
(ख) इस वीडियो क्लिप में मंत्री जी और महिला के बीच हो रहे अश्लील वार्तालाप के अंत में एक तस्वीर दिखाई पड़ रही है। आमतौर पर स्क्रीन रिकार्डिंग करने वाले की तस्वीर रिकार्डिंग के अंत में आ जाती हैे। इस आधार पर अनुसंधानकर्ता को उस महिला की पहचान करनी चाहिए थी, जिसने यह स्क्रीन रिकार्डिंग किया है। मुझे पता नहीं कि अनुसंधान अधिकारी ने इस दिशा में कोई प्रयास किया है या नहीं ?
(ग) वीडियो क्लिप वायरल होने के दो दिन बाद एक महिला की वीडियो रिकाॅर्डिंग स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय से सोशल मीडिया में प्रसारित की गई, जिसमें वह महिला स्वीकार कर रही है कि स्वास्थ्य मंत्री के साथ हो रहे अश्लील वार्ता में दिख रही महिला वह स्वयं है, परन्तु उक्त वार्ता वह मंत्री जी के साथ नहीं बल्कि अपने पति के साथ कर रही थी। महिला का यह वक्तव्य मंत्री जी के कार्यालय के सोशल मीडिया हैंडल से सार्वजनिक किया गया है। इसलिए अनुसंधान के दौरान इसका पता लगाना आवश्यक प्रतीत होता है कि वह महिला कौन है, जिसकी वीडियो रिकार्डिंग मंत्री जी के आॅफिसियल सोशल हैंडल से प्रसारित हुई है।
(घ) इस संदर्भ में यह प्रश्न उठता है कि यदि वह महिला अश्लील वार्तालाप अपने पति के साथ कर रही है तो उसका पति कौन है ? महिला के किस मोबाईल डिवाईस से उसके पति के किस मोबाईल डिवाईस पर यह बात हो रही है ? यह बात कब हुई है ? क्या ऐसी बातचीत उस महिला ने अपने पति के साथ पहली बार किया है या अक्सर करती रही है, आदि-आदि की जाँच अनुसंधानकर्ता द्वारा अवश्य किया जाना चाहिए।
(ङ) एक सवाल यह भी उठता है कि यदि वह महिला अश्लील वार्ता अपने पति से कर रही थी, जिससे काँट-छाँट कर मंत्री जी के वार्तालाप से जोड़ दिया गया है तो माननीय मंत्री जी से यह जानकारी प्राप्त करनी चाहिए कि वे यह वार्तालाप किसके साथ कर रहे थे और अपने किस मोबाईल डिवाईस कर रहे थे? यदि जाँच के दौरान इसका पता लगाया जाता है तो माना जाएगा कि अनुसंधान सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और अनुसंधान का उद्देश्य मामले की तह तक पहुँचना है।
(च) विगत 03.08.2023 को अनुसंधानकर्ता द्वारा प्रस्तुत वीडियो क्लिप की जाँच एफएसएल, रांची को भेजने के समय माननीय विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पेन ड्राईव में भेजे गए वीडियो के ओरिजिनल सोर्स क्या है? आप सहमत होंगे कि माननीय विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) का यह आदेश अनुसंधानकर्ता पर भी उतना ही लागू होगा। मुझे विश्वास है कि इसके आलोक में अनुसंधानकर्ता ने भी ओरिजिनल सोर्स का पता करने का प्रयास किया होगा और वे समस्त जानकारियाँ एकत्र किया होगा जो इस वीडियो क्लिप के सोशल मीडिया पर वायरल होने यथा इसका एक से अधिक बार ट्वीट/रिट्वीट आदि होने से संबंधित है। इस संदर्भ में मैं सूचित करना चाहता हूँ कि प्रासंगिक वीडियो क्लिप माननीय सांसद निशिकांत दूबे ने अपराह्न 9 बजकर 46 मिनट पर ट्वीट किया। मेरी जानकारी के मुताबिक अपराह्न 11 बजकर 47 मिनट तक यह ट्वीट 15 बार रिट्वीट हुआ है, जिसमें मेरा नंबर 14वां है। गत 09.08.2023 को शाम 5 बजे तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक द्वारा मुझे दी गयी सूचना के अनुसार साईबर अपराध के डीएसपी, थाना प्रभारी और अनुसंधानकर्ता इस कांड के संबंध में मुझसे जानकारी लेने के लिए मेरे आवासीय कार्यालय पर आए थे। मैंने उन्हें यह जानकारी दी और इसके अतिरिक्त कतिपय अन्य जानकारियाँ भी दी जो मुझे इस संबंध में मुनासिब लगा। मैंने उन्हें बताया कि इस कांड के अनुसंधान मे सबसे पहले स्वास्थ्य मंत्री का बयान लेना उचित होगा। साथ ही उनसे यह जानकारी ली जानी चाहि कि वे वीडियो क्लिप में दिख रही महिला के साथ जो वार्तालाप कर रहे हैं वह अपने किस मोबाइल डिवाइस से कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय के फेसबुक हैंडल से जिस महिला का वीडियो क्लिप यह कहते हुए अपलोड किया गया था कि मंत्री को उसके साथ अश्लील वार्ता करते हुए जो वीडियो क्लिप दिखाया गया है उसमें तस्वीर तो उसी की है पर यह वार्ता वे अपने पति से कर रही हैं जिसे काटकर मंत्री जी की वार्ता के साथ जोड़ दिया गया है। इस महिला की पहचान स्वास्थ्य मंत्री के फेसबुक हैंडल से ही उजागर की गयी है। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य मंत्री अथवा/और उनके कार्यालय के फेसबुक हैंडल संचालनकर्ता से यह जानकारी ली जानी चाहिए कि यह महिला कौन है?
(छ) सर्वविदित है कि यदि कोई व्यक्ति किसी के साथ हो रहे वीडियो चैट की स्क्रीन रिकाॅर्डिंग कर रहा है तो रिकाॅर्डिंग के अंत में रिकाॅर्डिंग करने वाले की तस्वीर आती है। मंत्री और महिला के बीच की अश्लील वार्ता का जो वीडियो क्लिप वायरल हुआ है उसके अंत में भी एक महिला की तस्वीर आती है। अनुसंधान के दौरान यह पता करना आवश्यक है कि मंत्री के फेसबुक से जिस महिला का वीडियो क्लिप अपलोड हुआ है वह महिला और वायरल अश्लील वार्ता के अंत में जिसकी तस्वीर दिख रही है वह महिला एक ही हैं या अलग अलग हैं।
(ज) बिष्टुपुर साईबर थाना प्रभारी ने दैनिक भास्कर समाचार पत्र के संवाददाता से जिस बातचीत में यह स्वीकार किया है कि वीडियो चैट मामले में मेरे खिलाफ जाँच के आरोप सही पाये गये हंै, इसलिए केस में मुझे नामजद किया गया है, परंतु इस तरह की कोई भी सूचना उचित माध्यम से अनुसंधानकर्ता द्वारा विशेष न्यायाधीश (साईबर अपराध) के समक्ष प्रस्तुत करने का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए साईबर थाना प्रभारी द्वारा मुझे आरोपी नामजद किये जाने की बात को विधिसम्मत रूप में उठाने का मेरा अधिकार नहीं बन रहा है। इस अधिकार के बगैर मैं अपनी बात न्यायालय के समक्ष भी नहीं रख पा रहा हूँ। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक प्रतीत हो रहा है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में अनुसंधानकर्ता को आपके माध्यम से सही दिशा में अनुसंधान करने का निर्देश दिया जाए और यदि इस कांड के अनुसंधान में मेरा नाम आने का साक्ष्य मिल रहा है तो संबंधित साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाय, ताकि मुझे अपनी बात न्यायालय के समक्ष रखने का अधिकार प्राप्त हो सके।
महोदय, मैं यह परिस्थितिजन्य निष्कर्ष निकालने पर विवश हूँ कि यह मामला जमशेदपुर निवासी राज्य सरकार के एक मंत्री से जुड़ा हुआ है और संभावना है कि अनुसंधानकर्ता अथवा/और साईबर थाना प्रभारी उनके प्रभाव में आ सकते है । इसलिए इस कांड में हुए अबतक के अनुसंधान में अनुसंधानकर्ता जिस निष्कर्ष पर पंहुचे है , उसका पर्यवेक्षण स्वयं आपके स्तर से अथवा आपके द्वारा नामित किसी वरीय पुलिस अधिकारी के द्वारा कराया जाना न्याय संगत होगा। मैं आपसे यह निवेदन प्रासंगिक कांड का निष्पक्ष, दबाव रहित, विधिसम्मत अनुसंधान सुनिश्चित करने के लिए कर रहा हूँ। आशा है आप इस संबंध में आवश्यक कारवाई करेंगे।
सधन्यवाद,
भवदीय
(सरयू राय)