जमशेदपुर | झारखण्ड
एम एस इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर खालिद इकबाल के द्वारा एक बेहतरीन प्रोग्राम सफल हो पाया जिसमे अरशद, जावेद अख्तर, डॉ जाहिद तहसीन, राहत हुसैन, आमिर फिरदौशी, मोहम्मद नदीम, मोहम्मद रहीम इत्यादि मौजूद थे।
भारत के दो अज़ीम रहनुमा बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर और मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी (रह) जिन्होंने अपनी सारी ज़िंदगी गरीबों, मजलूमों को इंसाफ दिलाने, जात पात, ऊंच नीच और आपसी भेद भाव को खत्म करने के लिए वक्फ कर दी। यह दोनो रहनुमा तकरीबन हमअसर है। और उनकी हयात-व-खिदमात की बात करे तो दोनो रहनुमाओं में बड़ी हद तक यक्सनीयता पाई जाती हैं। दोनो की जिंदगी पैदाइश से लेकर वफात तक यक्सा रही। यह अलग बात है की आज बाबा साहेब के पैरोकार (अनुयाई) बेसुमार है। और उनके बताए हुए रास्ते पर चल रहे हैं।
बाबा-ए-कौम अली हुसैन आसिम बिहारी साहब (रह) की वफात इलाहाबाद में हुई थी।
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर एक मुमताज़ मुफक्किर, मुसल्लह, कानून दां, दस्तूर-ए-हिंद के मोअलिफ और भारत के पहले वज़ीर कानून और इल्म के हासिल थे। बाबा साहेब अंबेडकर ऐसे दौर में पैदा हुए जब जुल्म-व-ज्यादती और इस्तेहसाल का दौर था और भारत का मुआसरा जात पात की तफरीक और छुआ छूत का मबनी था। डॉ अंबेडकर का ताल्लुक उसी अछूत बेरादरी से था जो इंसानी हकूक से महरूम थी। उन्हें बचपन से इस छुआ छूत का शिकार होना पड़ा। डॉ अंबेडकर जब स्कूल में दाखिला लिए तो दिगर जात के बच्चो के साथ उन्हें बैठने की इजाजत न थी। वह सबसे अलग जमीन पर टाट बिछा कर बैठते थे लेकिन कभी मायूस नहीं हुए और न हिम्मत हारी।
वही मुजाहिद आज़ादी मौलाना आसीम बिहारी (रह) का ताल्लुक मुस्लिम खानदान से था जो काफी गरीब थे। वह एक मुस्सलेह व मुफक्कीर कौम, दानेश्वर समाजी व सियासी और इंसान दोस्त शख्सियत थे उन्होंने आवाम के लिए जो खिदमत अंजाम दी उसकी मुस्लिम मुआसरे में कोई मिसाल नहीं मिलती उनकी कोशिशों के बदौलत आवाम में बेदारी पैदा हुई और सामाजी व सियासि सउर बेदार हुआ। मौलाना आसिम बिहारी (रह) ऐसे दौर में पैदा हुए जब गरीब, मेहनतकश तबकात सामाजी, तालिमी और मआसी बदहाली के शिकार थे।गैरो की तर्ज पर मुस्लिम मुआसरे में भी जात पात, ऊंच नीच का दौर था मुसलमानों के दरमियान नाइंसाफी वा इस्तेहसाल की बुरी रिवायत आम थी जिसका सिलसिला अभी भी ज़ारी है।
डॉ अंबेडकर और मौलाना आसिम बिहारी (रह) दोनो रहनुमाओं ने तालीम हासिल करने पर ज़ोर दिया, क्योंकि वह जानते थे कि समाज के अंदर फैली जात – पात, छुआछूत और नाइंसाफी व इस्तेहसाल की इस गंदी रिवायत को अगर खत्म करना है तो आला तालीम हासिल करना होगा। समाज के अंदर फैली तमाम तरह की बुराईयों को अगर ख़त्म करना है तो हमे तालीम याफता बनना होगा इन रहनुमाओं ने अपनी पूरी जिंदगी गरीबों, मेहनतकशो, तालीम, मआसी, समाजी तौर पर नजर अंदाज और कमज़ोर दलित बिरादरियो को हमा- जहत फलाह-व-बहबुद की कोशिशों में गुजार दी।
आज मौजूदा हालात में देखा जा रहा है कि हर शोबे में, हर जगह, चाहे अदालत हो, प्रशासन हो, कहीं भी मानववादी या पूंजीवादी तत्व जिनकी आबादी सिर्फ 5% से ज्यादा नहीं है। लेकिन उन्होंने 45 से 95% तक कब्जा कर रखा है ऐसे में जाति जनगणना होना चाहिए और सभी की हिस्सेदारी आबादी के हिसाब से होना चाहिए आज हमे संविधान को बचाना है साथ ही साथ मानववाद और पूंजीवाद को भी खत्म करना है ईवीएम से चुनाव ना हो इसकी मेहनत करनी है उन्होंने नारा भी दिया था की
दलित – दलित एक समान, चाहे हिंदू हो या मुसलमान
दोनो रहनुमाओं ने हमेशा लोगो से तालीम याफ्ता बनने, मुत्ताहिद होने, मेहनत करने, और अपने हुकूक के लिए आवाज उठाने, समाज के अंदर फैली बुराईयों से लड़ने और उसको खत्म करने, नाइंसाफी व इस्तेहसाल के खिलाफ आवाज बुलंद करने, जात पात की रिवायत के खिलाफ लड़ने, हक तल्फी करने वालो और हक्ताल्फी करने वाली पोलिसियो के खिलाफ लड़ने की बात कही।
आज भारत को फिर से वही जात पात और भेद भाव की आग में झोंकने की कोशिश की जा रही है समाज के लोगो को आपस में बांटा और लड़ाया जा रहा है लोगो में नफरत फैलाई जा रही है संविधान का मज़ाक उड़ाया जा रहा है लोगो के हुकूक को पामाल किया जा रहा है जुल्म-व-ज्यादती के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालो को ख़ामोश करने के लिए मुख्तलिफ हथकंडे अपनाए जा रहे है मुल्क में दंगे भड़काए जा रहे है लोगो का कत्लेआम किया जा रहा है। औरतो की इज्जते लूटी जा रही है। और यह सब उनकी नजरों के सामने हो रहा है जिन पर इसको रोकने की ज़िम्मेदारी है।
दंगा हो या जुल्म – व – ज्यादति, उसके करने वाले भी गरीब लोग होते है जिसका इस्तेमाल मनोवादी और पूंजीवादी अनासिर/ताकतों के ज़रिए उन्ही के गरीब भाईयो, मजलूमों, दलितों के खिलाफ किया जाता है। और इसके शिकार भी अक्सर गरीब तबके के लोग ही होते है चाहे उनका ताल्लुक किसी भी धर्म और मज़हब से क्यों न हो। जेहन में यह बात भी रहे की
दलित – दलित एक समान, हिंदू हो या मुसलमान
सोशल मीडिया, व्हाट्सएप, फेसबुक के ज़रिए निकल कर आ रहे विडियोज फोटोज में देखा जा रहा है की जहां कहीं भी दंगा होता है या सरकार कार्यवाई करती है उसका शिकार गरीब, एस.सी.एस.टी या ओबीसी ही हो रहे है एक तरफ सरकार गरीबी के खिलाफ योजनाएं बना रही है गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है। दूसरी तरफ गरीबों के आशियाने बनाने के बजाए उजाड़ने में लगी है और एकतरफा कार्यवाई भी कर रही है जो संविधान के खिलाफ हैं।
हिंदू मुस्लिम लड़ेंगे तो मानववादी और पूंजीवादी को फायदा होगा और अगर हिंदू मुस्लिम मिल जुल कर भाईचारे के साथ रहेंगे तो भारत को फायदा होगा और साझी विरासत को मजबूती मिलेगी।
इसलिए हमे इसके खिलाफ लड़ना है और हम सबको मिलकर हर लिहाज से आगे तरक्की करना है और भारत को बचाना है। जात के आधार पर मुरद्दम शुमारी (जनगणना) का मुतालबा करना है जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी की बात करना है जो मानववादी और पूंजीवादी ताकते हमलोगो को लेने से रोक रही है। अंग्रेजो की तरह हमे आपस में लड़ा कर राज़ करना चाहते हैं हमे इसको खत्म करके समाज में भाईचारा कायम करना है और साझी विरासत को बचाना है। मानववादी पूंजीवादी अनासीर का दायरा पूरे मुल्क में फैल चुका है जो आवाम को अपने हुकूक के लिए आवाज बुलंद करने वालो को मजहबी मसाइल में उलझा कर उनको गुमराह कर रहे हैं। हमे इसके खिलाफ मुत्ताहिद होना है और देश को बिकने और बिखरने से बचाना है।