जमशेदपुर: 10 अगस्त 2024 को भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र (आईकेएस), एनआईटी जमशेदपुर ने स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद और नाड़ी परीक्षण के महत्व पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत माननीय निदेशक प्रोफेसर गौतम सूत्रधर, सम्मानित अतिथि डॉ. गौरी शंकर मिश्रा, प्रोफेसर राम विनय शर्मा (उप निदेशक), और प्रोफेसर शलेंद्र कुमार (अध्यक्ष आईकेएस) द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके की गई।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर गौतम सूत्रधर ने अपने संबोधन में मानव के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आयुर्वेद की प्राचीन स्वास्थ्य प्रणाली के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आयुर्वेद किसी भी बीमारी के मूल कारण को बिना दुष्प्रभाव के ठीक करने में सक्षम है और यह आधुनिक पीढ़ी के लिए भी प्रासंगिक है, जो चिंता, अनिद्रा, अवसाद, और मोटापे जैसी समस्याओं का सामना कर रही है।
सम्मानित अतिथि डॉ. गौरी शंकर मिश्रा ने नाड़ी परीक्षण की प्राचीन प्रणाली और वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता को उजागर किया। उन्होंने त्रिदोष (वात, कफ, और पित्त) के संतुलन और इसकी विकृति को ठीक करने में आयुर्वेद और नाड़ी परीक्षण की भूमिका पर जोर दिया। डॉ. मिश्रा ने इस बात पर बल दिया कि समाज और आने वाली पीढ़ियों के समग्र स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद जैसी गहरी जड़ें जमा चुकी प्राचीन प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का समापन डॉ. मनीष कुमार झा, संयोजक आईकेएस द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।