Jamshedpur : शनिवार 25 दिसम्बर, 2021
भाजमो जमशेदपुर महानगर के तत्वाधान में आज भारत रत्न देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती भाजमो जिला कार्यालय साकची में मनायी गई। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से विधायक सरयू राय उपस्थित हुए। विधायक श्री सरयू राय एवं भाजमो कार्यकर्ताओ ने अटल जी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किया साथ ही दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भाजमो जिलाध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव ने कहा की अटल जी ने कविता लिखी थी “हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा।” भाजमो के कार्यकर्ताओं को भी इसी नीती के साथ अपने लक्ष्य प्राप्ती की ओर बिना रुके, बिना थके निरंतर जनहित के कार्य करने चाहिए। मुख्य वक्ता विधायक सरयू राय ने अपने संबोधन में कहा की श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का लंबा राजनीतिक जीवन रहा है। देश जब आजाद नहीं हुआ था तब से अटल जी परोक्ष रूप से राजनीति में सक्रीय थे। आजादी मिली तब वे 23 वर्ष से कम उम्र के थे। वर्ष 1945 में वे आरएसएस से जुड़े और 21 अक्टूबर 1951 को नया दल बनाया।
डाँ श्याम प्रसाद मुखर्जी के निजी सचिव के रूप में अटल जी ने कार्य किया। डाँ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बिना अनुमति के जम्मू-कश्मीर गए। जब मुखर्जी की हत्या हुई तब अटल जी सहित अन्य मुठ्ठी भर युवाओं ने संगठन का मोर्चा संभाला। अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख, पंडीत दिन दयाल उपाध्याय, इंद्र सिंह भंडारी ये वे सभी युवा थे और इनकी उम्र महज 25-30 वर्ष के बीच की थी। देश में संगठन गढ़ने के लिए चार भागों में विभाजित किया और ऐसे चार लोगों ने मिलाकर पुरे देश में संगठन खड़ा किया।
1957 में जनसंघ पार्टी के बैनर से चुनाव लड़ा गया। जिसमे जनसंघ को 3 सिटे आयी। 1966 में सबसे अधिक 35 सीट आयी। इसी तरह पार्टी के लोगों ने महन्त किया और परस्पर विश्वास से टीम बनी। इनको लगा की देश में इमर्जेंसी आ गई है। सबको मिलकर एक होना चाहिए। तब इन्होने पार्टी को जनता पार्टी में विलिन कर दिया।
1971 में भारतीय सेना ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग किया। तब वाजपेयी ने कहा की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी को माँ दुर्गा का स्वरुप करार दिया। अटल जी कहते थे की विरोधी भी अच्छा काम करता उसकी प्रशंसा किजिए। वर्ष 1977 में मोराजी देसाई की सरकार बनी जिसमें बाजपेयी जी को विदेश मंत्री बनाया गया। दो वर्ष में बाजपेयी ने दिखा दिया की विदेश नीति और कूटनीति किसे कहते हैं। अड़ोस पड़ोस के देश उनके व्यक्तित्व के कायल हो गए। वे पहले शख्सियत थे जिन्होनें संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया।
वाजपेयी जी ने सदैव कहा हम लचीले हैं लेकिन कोई हमें मोड़ नही सकता। दो साल सरकार चली झंझट आरंभ हुआ तत्पश्चात बाजपेयी जी ने कहा की इस दल में रहना संभव नहीं है और 1980 में भारतीय जनता पार्टी का निर्माण हुआ। उन्होनें कहा की समाजवाद भाजपा के खुन में नहीं था। उस समय जो आगे गाड़ी बढी समाजवाद को छोड़ा गया।
एक जोड़ि थी लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी की। आडवाणी की जो लोकप्रियता थी बाबरी मस्जिद विध्वंश के समय वे सर्वाधिक थी और वे देश के सर्वोच्च लोकप्रिय नेता बन गए किंतु बाम्बे अधिवेशन में आडवाणी ने घोषणा की अगला चुनाव में प्रधानमंत्री उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी होंगे। राजनीति में लंबी रेखा खिंचा और आडवाणी जी ने अटल जी के लिए पद को त्याग दिया और इसी तरह अटल ने आडवाणी को नाम को आगे किया।
जनसंघ में जो राजनीतिक संस्कृति बनाई की जो योग्य है उसे आगे बढ़ने का अवसर देंगे साथ ही जो वरिष्ठ है उसकी सदैव सम्मान करें। हम एक दल के नाते खड़े हुए है जनसंघ की जो नीति थी उसे आगे बढ़ाना है। अनेंको अलौकिक कहानियाँ है वाजपेयी जी के जीवन की जिसे हमें सुनने और अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। आज ही के पावन दिन देश के एक और महान विभूति पंडीत मदन मोहन मालवीय का भी जनमदीन है। पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदु विश्वविद्यालय बनवाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। विश्वविद्यालय निर्माण के लिए धन संग्रह करने हेतु वे देश भर में घुमे और की लोगों से मदद मांगी इसी कड़ी में वे हैदराबाद के निजाम के दरबार पहुँचे। निजाम ने उन्हें अपमानित किया और अपना एक जुता उनके झोले में रख दिया लेकिन वे हताश नहीं हुए और उसी जुते की निलामी कर डाली और इस प्रकार विश्वविद्यालय निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। देश के इन दोनों महान विभूतियों ने देश को रास्ता दिखाया।
आज परिस्थिति ऐसी हो गई है की देश में हिंदु और हिंदुत्व के उपर बहस छिड़ गई है। रामायण में जिस प्रकार कालनेमी ने हनुमान का मार्ग अवरूद्ध एवं उन्हें गुमराह करने के लिए मायावी रूप धारण कर लिया था उसी प्रकार आज लोग देश को ठगने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के रूप धारण कर लेते हैं। इसलिए इनसे सावधान रहते हुए देश-हित और समाज-कल्याण की दिशा में सकरात्मक रूप से कार्य करने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन भाजमो जिला मंत्री राजेश कुमार झा एवं धन्यवाद ज्ञापन भाजमो साकची पूर्वी मंडल अध्यक्ष वरूण सिंह ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजमो केंद्रीय महासचिव संजीव आचार्या, जिला महासचिव मनोज सिंह उज्जैन, कुलविंदर सिंह पन्नू, उपाध्यक्ष बंदना नमता, मंत्री राजेश झा, विकाश गुप्ता, कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र प्रसाद, विधायक प्रतिनिधि (व्यवसायी मामलों) वा महानगर प्रवक्ता आकाश शाह, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष अमित शर्मा, जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा, जोगिंदर सिंह जोगी, सुधीर सिंह, महिला मोर्चा महामंत्री किरण सिंह, सीमा दास, काकुली मुखर्जी, चंद्रशेखर राव बिरसानगर मंडल अध्यक्ष, प्रवीण सिंह उलीडीह मंडल अध्यक्ष, बिनोद यादव सीतारामडेरा मंडल अध्यक्ष,नागेंद्र सिंह, सीतारामडेरा मंडल अध्यक्ष, विनोद राय लक्ष्मीनगर मंडल अध्यक्ष, कैलाश झा गोलमुरी मंडल अध्यक्ष, तिलेश्वर प्रजापति कदमा मंडल अध्यक्ष, राघवेन्द्र प्रताप सिंह साकची पश्चिम अध्यक्ष, बरूण कुमार सिंह साकची पूर्वी अध्यक्ष, असीम पाठक गोलमुरी प्रतिनिधि, दुर्गा राव, कमल किशोर, शंकर कर्मकार, इंद्रजीत सिंह, शेषनाथ पाठक, अमर झा, विकाश सिंह, एस पी सिंह, नंदिता गगराई, सुमित साहू, गौतम धर, प्रेम सक्सेना, कारण पांडे, सुखदेव गुरुंग, संजय कुमार झा, अमनवीर सिंह, संतोष रजक, सौरवसिंह, शशिकांत, जयप्रकाश सिंह, गणेश चंद्रा, पिंकी विश्वास, शारदा शर्मा, विजय लक्ष्मी, सीमा गोस्वामी, मोनी नाग, डॉ अशोक पासवान, पोबिर महतो, राजू सिंह, सुभम सिंह, राजेश कुमार, श्रीकांत प्रसाद, सुनील शर्मा, भरत पांडे, त्रिलोचन सिंह, चंदन सिंह, लवली कुमारी, शिव कुमार यादव, डी मनी, नीरज कुमार, किरण देवी, सोमनाथ साहू, सनातन पॉल, विक्की यादव, मंगलानंद, चंदन सिंह, रवि कुमार, सूरज कुमार तिवारी सहित अन्य उपस्थित थे।