चांडिल : सोमवार 9 अगस्त, 2021
आज ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी आयोजन चाण्डिल चैप्टर के तत्वधान में स्थानीय चौक बाजार में इंडिया मार्च फॉर साइंस का आयोजन किया गया। मार्च को संबोधित करते हुए रांची विश्वविद्यालय के गणित विभाग के पीएचडी रिसर्च स्कॉलर तथा ब्रेकथ्रू साइंस सोसायटी के राज्य कमेटी सदस्य अनंत कुमार महतो ने कहा की आधारभूत अनुसंधान के लिए सरकारी वित्तीय मदद चिंताजनक तरीके से घटती जा रही है और अवैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर जन नीतियां बनाई जा रही है।
इसके खिलाफ पूरे देश भर के वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, शिक्षक, प्रोफ़ेसर, विज्ञान छात्र रस्ते पर उतर रहे हैं। मार्च फ़ॉर साइंस की शुरुआत भारत में 9 अगस्त 2017 में ग्लोबल मार्च फ़ॉर साइंस के समर्थन में आयोजित की गई थी इसके बाद और साल दर साल यह चल रहा है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी देश के कई शहरों और कस्बों में मार्च फ़ॉर साइंस आयोजित किया गया है। इस तरह वैज्ञानिकों का विज्ञान और वैज्ञानिक शिक्षा को बचाने के लिए सड़कों पर उतरना लोगों को आकर्षित करता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए इस साल भी आज के दिन पूरे देश भर में अलग-अलग शहरों में यह आयोजन किया गया है। असल में जिन देशों में भी सतत एवं सराहनीय अनुसंधान कार्य किए हैं, उन सभी देशों में सरकार द्वारा विनेश विनिवेश का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा और अनुसंधान में लगाया गया है।
इन देशों द्वारा अपने सकल घरेलू उत्पाद का 6% शिक्षा पर और 3% विज्ञान अनुसंधान पर खर्च किया गया। दूसरी और भारत में शिक्षा और विज्ञान अनुसंधान पर मात्र 3% व 1% करमें क्रमशः किया जाता है और यह लगातार घटता जा रहा है। जिसके फलस्वरूप देश की जनसंख्या का एक बड़ा तबका अशिक्षित या अर्धशिक्षित ही रह जाता है।
हमारे कॉलेज और विश्वविद्यालय आधारभूत संरचना टीचिंग व नान टीचिंग और अनुसंधान के लिए बजट की अत्यंत कमी से जूझ रहे हैं। विज्ञान को पोषित करने वाली संस्थाएं जैसे सीएसआईआर और जीएसटी को भारी वित्तीय कमी से गुजरना पड़ रहा है। यहां तक कि पहले के अनुसंधान कर रहे छात्रों को भी वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है। मार्च को वीरेंद्र नाथ महतो, अनादि कुमार, विजय वर्मा ने भी संबोधित किया।
आज के कार्यक्रम में राजू महतो, राखाल प्रमाणिक, विकास प्रमाणिक, सूरजमुखी सिंह, भोलानाथ प्रमाणिक, सरोज दास सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के कई छात्र उपस्थित थे।
मार्च फ़ॉर साइंस की मुख्य मांगे:
1 – वैज्ञानिक सोच , मानवीय मूल्यबोध व प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति को संविधान के अनुच्छेद 51 अ के अनुसार बढ़ावा देना व अवैज्ञानिक विचारों के प्रचार प्रसार को रोकना ।
2 – केन्द्रीय बजट का 10 प्रतिशत व राज्य बजट का 30 प्रतिशत शिक्षा को आबंटित करना ।
3 – देश के बजट का 3 प्रतिशत वैज्ञानिक और तकनीकि अनुसंधान हेतु उपयोग करना सुनिश्चित करें ।
4 – शिक्षा प्रणाली ऐसे विचारों को न सिखाए जो वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित न हो व वैज्ञानिक साक्ष्यों का विरोध करती हो ।
5 – सार्वजनिक नीतियां वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर बनाई जाएं ।
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