केदारनाथ : शुक्रवार 05 नवम्बर, 2021
भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज केदारनाथ धाम में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखते हुए राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने श्री आदि शंकराचार्य समाधि का उद्घाटन किया, साथ ही श्री आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी अनावरण किया तथा केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
इस अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री ने कुछ महत्वपूर्ण बातों को साझा किया है-
“कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, बाबा केदारनाथ धाम में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है”
“आदि शंकराचार्य का पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित था”
“भारतीय दर्शन मानव कल्याण की बात करता है और जीवन को समग्र रूप से देखता है, आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया”
” अब हमारी आस्था के सांस्कृतिक विरासतों केन्द्रों को उसी गौरवभाव से देखा जा रहा है, जैसा देखा जाना चाहिए”
“आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है, अयोध्या को अपना गौरव वापस मिल रहा है”
“आज, भारत अपने लिए कठिन लक्ष्य और समय-सीमा निर्धारित करता है, आज देश को समय-सीमा और लक्ष्यों को लेकर भयभीत रहना मंजूर नहीं है”
“उत्तराखंड के लोगों के अपार सामर्थ्य और अपनी क्षमताओं में पूर्ण विश्वास को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार उत्तराखंड के विकास के ‘महायज्ञ’ में शामिल है”
नौशेरा में सैनिकों के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कल दिवाली पर उन्होंने 130 करोड़ भारतीयों की भावनाओं को सैनिकों तक पहुंचाया और आज गोवर्धन पूजा के अवसर पर मैं सैनिकों की भूमि पर मौजूद हूँ तथा बाबा केदार की दिव्य उपस्थिति के सानिध्य में हूँ।
रामचरितमानस के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा – ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’ अर्थात् कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि बाबा केदारनाथ की शरण में उन्हें ऐसी ही अनुभूति प्राप्त होती है।
उन्होंने आगे कहा कि यहां ठहरने, स्वागत केंद्रों जैसी नई सुविधाओं से पुरोहितों तथा श्रद्धालुओं का जीवन आसान होगा और उन्हें तीर्थाटन के अलौकिक अनुभव में पूर्ण रूप से डूब जाने का अवसर मिलेगा।
वर्ष 2013 में हुए केदारनाथ जल-प्रलय को याद करते हुये प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्षों पहले बाढ़ के पानी से जो नुकसान यहां हुआ था, वह अकल्पनीय था। और जो लोग यहां आते थे, वे सोचते थे कि क्या हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि यह पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान केदारनाथ की अनुकम्पा और आदि शंकराचार्य की प्रेरणा तथा भुजभूकम्प के बाद के हालात से निपटने में उनके अपने अनुभव से वे उन मुसीबत भरे समय में मदद करने में सक्षम हुये थे। अपनी निजी भावना प्रकट करते हुये कहा कि उन्हें यहां की सेवा करने का आशीर्वाद है और इसी आशीर्वाद ने पहले भी उनके जीवन को दिशा दी है।
उन्होंने धाम में विकास कार्यों के लिये अथक परिश्रम करने पर सभी कामगारों, पुजारियों, रावल परिवार के पुरोहितों, अधिकारियों और मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया, जो ड्रोन और अन्य प्रौद्योगिकियों के जरिये कार्य की लगातार निगरानी करते रहे। उन्होंने कहा, “इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का यह मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं।”
आदि शंकराचार्य का उल्लेख करते हुये श्री मोदी ने कहा कि संस्कृत में शंकर का अर्थ “शं करोति सः शंकरः” होता है, यानी जो कल्याण करे, वही शंकर है। उन्होंने कहा कि इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वे जन-साधारण के कल्याण के लिये समर्पित थे। प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि एक ऐसा भी समय था, जब अध्यात्म और धर्म को केवल रूढ़ियों और पुरातन कर्म-कांड से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है और जीवन को पूर्णता के साथ देखता है। आदि शंकराचार्य ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अब हमारी सांस्कृतिक विरासत को, आस्था के केंद्रों को उसी गौरवमय भाव से देखा जा रहा है, जैसा उसे देखा जाना चाहिये। श्री मोदी ने कहा, “आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है। अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है। अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा।
आज हम यह कल्पना कर सकते हैं कि भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत अपनी विरासत के प्रति आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब देश अपने लिये बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय-सीमायें निर्धारित करता है।
उस परियोजना पर भी काम शुरू हो गया है जिसके माध्यम से श्रद्धालु यहां भविष्य में केबल कार के जरिए केदारनाथ जी के दर्शन कर सकेंगे। पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी है। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन को सुगम बनाने के लिए रोपवे बनाने का काम चल रहा है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड के लोगों की अपार क्षमता को ध्यान में रखते हुए और उनकी योग्यताओं में पूर्ण विश्वास करते हुए, राज्य सरकार उत्तराखंड के विकास के ‘महायज्ञ’ में शामिल है।”
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उत्तराखंड द्वारा दिखाए गए अनुशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि भौगोलिक कठिनाइयों को पार करते हुए आज उत्तराखंड और उसके लोगों ने शत-प्रतिशत रूप से टीके की एक खुराक का लक्ष्य हासिल कर लिया है। यही उत्तराखंड की शक्ति और ताकत है। प्रधानमंत्री ने कहा, “उत्तराखंड काफी ऊंचाई पर स्थित है। मेरा उत्तराखंड अपनी ऊंचाई से भी ऊपर जाकर नई ऊंचाइयों को छुएगा।”
वर्ष 2013 की बाढ़ में ध्वस्त हो गए श्री आदि शंकराचार्य की समाधि का पुनर्निर्माण किया गया है। यह संपूर्ण पुनर्निर्माण कार्य प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में किया गया है। उन्होंने इस परियोजना की प्रगति की लगातार समीक्षा और निगरानी की है। आज भी प्रधानमंत्री ने सरस्वती आस्थापथ के इर्दगिर्द चल रहे एवं पूरे हो चुके कार्यों की समीक्षा की एवं उनका निरीक्षण किया।
सोर्स – PIB India