जमशेदपुर | झारखण्ड
नशाखोरी से दूर रहने और प्राचीन खेल माध्यमों से बच्चों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्य था मेले का।
स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के तत्वावधान में 5 दिनों तक चलने वाला बाल मेला शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस बाल मेले में बच्चों को जीवन में कैसे आगे बढ़ाना है, उनके जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए, उनके जीवन में खेलकूद का कितना महत्व है, उनको किस तरीके से समाज को लीड करना चाहिए, इन तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई। इस दौर में, जबकि राजनेता अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं, बच्चों की सुध तक नहीं लेते, उसे दौर में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने बच्चों के लिए बाल मेला का आयोजन किया। इससे यह भी समझ में आता है कि बच्चों के भले के लिए किसके मन में टीस उठती है।
बाल मेले का उद्घाटन 20 नवंबर को हुआ। उद्घाटन करने वाले सियासी दलों के रहनुमा नहीं बल्कि खेलकूद की दुनिया में अपना परचम लहराने वाले लोग थे। मधुकांत पाठक और भोलानाथ सिंह। पाठक और भोलानाथ सिंह खेल के प्रति कितना समर्पित हैं, यह बताने की जरूरत नहीं। दोनों खेलकूद के क्षेत्र में राज्य ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हैं। 20 तारीख को ही इस बात का अंदाजा लग गया था कि यह बाल मेला गैर राजनीतिक और गैर व्यावसायिक होगा और ऐसा ही हुआ भी।
यह मेला इसलिए भी यादगार रहेगा क्योंकि इसमें 45 स्टाल लगे थे और किसी भी स्टॉल के लिए एक रुपए का भी शुल्क नहीं लिया गया था। विधायक सरयू राय ने मंच से ही इस पूरे मेले को गैर व्यावसायिक डिक्लेयर कर दिया। स्टॉल जो लगे थे, उनमें ज्ञान बढ़ाने वाली पुस्तकें, रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली चीजें और पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ नई तकनीक का इस्तेमाल कैसे होता है या कैसे करना चाहिए, इसको बताने वाले उपकरण और पाठ्य सामग्री ज्यादा मात्रा में थी।
इस बाल मेला की सफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जमशेदपुर और इसके इर्द-गिर्द के दर्जनों स्कूलों से 25000 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने मेले में सहभागिता की। प्रतिदिन दर्जनों प्रमाण पत्र और दर्जनों मेडल वितरित किए गए। 70 से ज्यादा खेलों का आयोजन किया गया। कुश्ती, कबड्डी, ताइक्वांडो, तीन टांग रेस, क्विज कंपटीशन, योग जैसे दर्जनों खेल थे जो इन पांच दिनों में आयोजित किए गए। इसका असर बच्चों पर तो पड़ा ही, उनके अभिभावकों पर भी पड़ा। अभिभावक अपने बच्चों के साथ आते और आयोजकों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते। किसी भी प्रतियोगिता में प्रवेश करने के लिए किसी भी प्रतिभागी से कोई शुल्क नहीं लिया गया।
इस आयोजन के पीछे का मूल मकसद बच्चों को नशाखोरी जैसे बुराइयों से दूर करना और पुराने जमाने के खेलों के माध्यम से उनके सर्वांगीण विकास करना महत्वपूर्ण उद्देश्य रहा। निश्चित तौर पर बीते 5 दिनों में जिस तरह के आयोजन हुए उससे यह मेला अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल हुआ।